सोमवार, 24 जनवरी 2011

सेहत की साथी, ताजी सब्जियाँ

सौन्दर्य और सब्जियों का रिश्ता
संसारभर के पुरुष व महिलाएँ स्वास्थ्य तथा सौंदर्य चाहते हैं, किन्तु कोई भी प्राकृतिक आहार-विहार, दिनचर्या अपनाना नहीं चाहता। डिब्बाबंद आहार का चलन बहुत बढ़ा है। रेडीमेड फूड प्रोडक्ट, हॉटडॉग जैसी चीजें इस आपाधापी के जीवन में ज्यादा इस्तेमाल की जा रही है।

प्राकृतिक चिकित्सा वास्तव में चिकित्सा कम जीने की कला, आत्मसाक्षात्कार का विज्ञान अधिक है। यह चिकित्सात्मक की अपेक्षा रक्षात्मक अधिक है। यदि हम अपना खान-पान बदल लें तो जीवन पद्धति बदल जाएगी। शक्ति ऊर्जा अर्जित होने लगेगी। जहा शक्ति है, वहीं स्वास्थ्य है, वहीं सौन्दर्य है।
अन्न कम खाएँ, सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें, वह भी रसेदार बनाकर। इससे शरीर के भीतर के अंग पुष्ट होते हैं, शरीर सुचारु रूप से कार्य करता है। व्यक्तित्व में स्वतः निखार आने लगता है। भीतर की उष्मा जब बाहर झलकती है तो वही स्वास्थ्य कहलाता है, वही सौंदर्य बनकर दमकता है।
कुछ सब्जियाँ तो बहुत उपयोगी हैं, जैसे-
* करेला पेट के कृमि नष्ट करता है। रक्तशोधन कर, अग्नाशय को सक्रिय करता है।
* टमाटर रक्त बढ़ाता है एवं त्वचा निखारता है।
* नीबू शरीर के पाचक रसों को बढ़ाता है।
* पालक हड्डियों को कैल्शियम से सुदृढ़ करता है। पत्तेदार सब्जी लौह तत्व से भरपूर होती है अतः इन सबका उचित रूप से सलाद में प्रयोग करें।
* भिंडी वीर्य में गाढ़ापन लाती है, शुक्राणु बढ़ाती है।
* लौकी शीघ्र पाचक, रक्तवर्द्धक है, शीतलता प्रदान करती है।
* खीरा रक्तकणों का शोधन करता है व इसका प्रवाह बढ़ाता है।
* लहसुन खून का थक्का जमने नहीं देता अतः हृदय रोग में लाभकारी है।
* परवल शरीर को ऊर्जा देती है।
* गोभी, आलू, बीन्स आदि शरीर के विविध भागों, तत्वों, मात्राओं को प्रभावित करते हैं। इनको बनाते समय सावधानी की जरूरत है।
सब्जी को काटने से पूर्व अच्छी तरह धो लिया जाए, काटने के बाद धोने से सब्जी के तत्व नष्ट होते हैं। पकाते समय अधिक तेल डालने व ज्यादा देर तक आग पर रखकर स्वाद के लालच में कहीं सब्जियों की पौष्टिकता नष्ट हो जाती है। अधिक मिर्च-मसाले से भी सब्जी का स्वाद कम हो जाता है।
ताजी सब्जियाँ, ताजा बनाकर सेवन करना ही हितकर होता है। बासी, फ्रिज में रखी, बार-बार गरम करके परोसी गई सब्जी में पौष्टिक तत्व खत्म हो चुके होते हैं।

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