शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

कैसे संदेश भेजा स्वर्गीय पाण्डु ने युधिष्ठिर के लिए

महाभारत में अब तक आपने पढ़ा...मायासुर द्वारा अर्जुन से उसकी सेवा स्वीकार करने का निवेदन करना और उसके द्वारा भव्य सभा का निर्माण अब आगे...पाण्डवों की सभा में एक दिन देवर्षि नारद आए। नारद जी ने युधिष्ठिर को कुटनीति व राजनीति से संबंधित कई बातें बताई। तब युधिष्ठिर ने नारद जी से कहा नारदजी आपने सभी लोकों की सभाए देखी हैं तो मुझे उन सभी सभाओं का वर्णन सुनाएं। तब देवर्षि ने युधिष्ठिर को देवता, वेद, यम, ऋषि, मुनि आदि की सभाओं का वर्णन सुनाया। नारद जी ने यमराज की सभा में मौजुद सभी राजाओं की उपस्थिति का वर्णन किया।
युधिष्ठिर ने उनसे पूछा नारद जी आपने मेरे पिता पाण्डु को किस प्रकार देखा था। तब देवर्षि ने कहा मैं आपको राजा हरिशचन्द्र की कहानी सुनाता हूं। हरिशचन्द्र एक वीर सम्राट थे। उन्होंने सम्पूर्ण पृथ्वी पर राजसूय यज्ञ का अनुष्ठान किया था।आपके पिता राजा हरिशचन्द्र का ऐश्वर्य देखकर विस्मित हो गये। जब उन्होंने देखा कि मैं मनुष्य लोक जा रहा हूं। तब उन्होंने आपके लिए यह संदेश भेजा है। उन्होंने कहा युधिष्ठिर तुम मेरे पुत्र हो। यदि तुम राजसूय यज्ञ करोगे तो मैं चिरकालिक आनंद भोगूंगा। नारदजी ने कहा मैंने आपके पिता से कहा कि मैं उनका यह संदेश आप तक पहुंचा दूंगा। युधिष्ठिर आप अपने पिता का संकल्प पूर्ण करें। देवर्षि नारद इतना कहकर ऋषियों सहित वहां से चले गए।

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