शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

नवरात्रि में ही क्यों होते हैं तांत्रिक अनुष्ठान?

नवरात्रि को देवी आराधना का सर्वोत्तम समय माना जाता है। चैत्र और अश्विन मास में पडऩे वाली नवरात्रि का हिन्दू त्योहारों में बड़ा महत्व है।
अश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है। इसमें अश्विन मास की नवरात्रि को तो तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
ऐसा क्यों होता है कि दोनों ही नवरात्रियां माता पर्व के दिन हैं, फिर भी तांत्रिक अनुष्ठानों व सिद्धियों के लिए अश्विन नवरात्रि को ही श्रेष्ठ माना जाता है? क्या इस समय में तांत्रिक अनुष्ठान पूरे करने से उनका विशेष फल मिलता है?
इस नवरात्रि पर्व को सिद्धि के लिए विशेष लाभदायी माना गया है। नवरात्रि में की गयी पूजा, जप-तप साधना, यंत्र-सिद्धियां, तांत्रिक अनुष्ठान आदि पूर्ण रूप से सफल एवं प्रभावशाली होते हैं।
चूंकि मां स्वयं आदि शक्ति का रूप हैं और नवरात्रों में स्वयं मूर्तिमान होकर उपस्थित रहती हैं और उपासकों की उपासना का उचित फल प्रदान करती हैं।
सृष्टि के पांच मुख्य तत्वों में देवी को भूमि तत्व की अधिपति माना जाता है। तंत्र-मंत्र की सारी सिद्धियां इस धरती पर मौजूद सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी होती हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों में चूंकि चारों ओर पूजा और मंत्रों का उच्चारण होता है, इससे नकारात्मक ऊर्जा कमजोर पड़ जाती है। इन नौ दिनों में सकारात्मक ऊर्जा अपने पूरे प्रभाव में होती है।
इस कारण जो भी काम किया जाता है उसमें आम दिनों की अपेक्षा बहुत जल्दी सफलता मिलती है। तंत्र-मंत्र के साथ भी यही बात लागू होती है। तंत्र की सिद्धि आम दिनों के मुकाबले बहुत आसानी से और कम समय में मिलती है।

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