बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

कौन थे द्रोपदी के पुत्र जो पांडवों से हुए?

कृष्ण ने सभी को समझाया। उसके बाद अर्जुन और सुभद्रा का विधिपूर्वक विवाह करवाया गया। विवाह के एक साल बाद तक वे द्वारका में सुभद्रा के साथ ही रहे और कुछ समय पुष्कर में बिताया। वनवास के बारह साल पूरे होने के बाद वे सुभद्रा के साथ इन्द्रप्रस्थ आए। अर्जुन के इन्द्रप्रस्थ पहुंचने पर सभी ने उनका बहुत खुशी से स्वागत किया। सुभद्रा लाल रंग के ग्वालियन के वेष में रानिवास गयी। वहां जाकर सुभद्रा ने कुंती का आशीर्वाद लिया। सुभद्रा ने द्रोपदी के पैर छूकर कहा बहन मैं तुम्हारी दासी हूं।

यह सुनकर द्रोपदी ने उसे खुशी से गले लगा लिया। अर्जुन के आ जाने से महल में रौनक आ गयी थी। उनके इन्द्रप्रस्थ लौट आने की खबर सुनकर कृष्ण और बलराम उनसे मिलने इंद्रप्रस्थ आए। उन्होंने सुभद्रा को बहुत सारे उपहार दिए। बलराम और दूसरे यदुवंशी कुछ दिन रूककर वहां से चले गए लेकिन कृष्ण वही रूक गए। समय आने पर सुभद्रा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम अभिमन्यु रखा गया। द्रोपदी ने भी एक-एक वर्ष के अंतराल से पांचों पांडव के एक-एक पुत्र को जन्म दिया। युधिष्ठिर के पुत्र का नाम प्रतिविन्ध्य, भीमसेन से उत्पन्न पुत्र का नाम सुतसोम, अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा, नकुल के पुत्र का नाम शतानीक, सहदेव के पुत्र का नाम श्रुतसेन रखा गया।
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