शुक्रवार, 19 सितंबर 2014

कहते हैं कलयुग में जरूर सुनना चाहिए ये कहानी....

दमयन्ती के पिता ने सभी देशों के राजा को स्वयंवर के लिए निमंत्रण पत्र भेज दिया और सूचित कर दिया। सभी देश के राजा हाथी व घोड़ों के रथों से वहां पहुंचने लगे। नारद और पर्वत से सभी देवताओं को भी दमयन्ती के स्वयंवर का समाचार मिल गया। इन्द्र और सभी लोकपाल भी अपने वाहनों सहित रवाना हुए। राजा नल को भी संदेश मिला तो वे भी दमयन्ती से स्वयंवर के लिए वहां पहुंचे। नल के रूप को देखकर इंद्र ने रास्ते में अपने विमान को खड़ा कर दिया और नीचे उतरकर कहा कि राजा नल आप बहुत सत्यव्रती हैं।
आप हम लोगों के दूत बन जाइए। नल ने प्रतिज्ञा कर ली और कहा कि करूंगा। फिर पूछा कि आप कौन है तो इन्द्र ने कहा हम लोग देवता है। हम लोग दमयन्ती के लिए यहां आएं हैं। आप हमारे दूत बनकर दमयन्ती के पास जाइए और कहिए कि इन्द्र, वरुण, अग्रि और यमदेवता तुम्हारे पास आकर तुमसे विवाह करना चाहते हैं। इनमें से तुम चाहो उस देवता को अपना पति स्वीकार कर लो।
नल ने दोनों हाथ जोड़कर कहा कि देवराज वहां आप लोगों का और मेरे जाने का एक ही प्रायोजन है। इसलिए आप मुझे वहांं दूत बनाकर भेजे यह उचित नहीं है। जिसकी किसी स्त्री को पत्नी के रूप में पाने की इच्छा हो चुकी हो वह भला उसको कैसे छोड़ सकता है और उसके पास जाकर ऐसी बात कह ही कैसे सकता है? आप लोग कृपया इस विषय में मुझे क्षमा कीजिए। देवताओं ने कहा नल तुम पहले हम लोगों से प्रतिज्ञा कर चुके हो कि मैं तुम्हारा काम करूंगा। अब प्रतिज्ञा मत तोड़ो। अविलम्ब वहां चले जाओ। नल ने कहा- राजमहल में निरंतर कड़ा पहरा रहता है मैं कैसे जा सकुंगा।

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