गुरुवार, 23 जून 2011

डायनिंग टेबल पर खाना क्यों नहीं खाना चाहिए?

भारत में प्राचीन समय से ही जमीन पर सुखासन में बैठकर खाना खाने की परंपरा है। हमारे यहां खड़े होकर खाना-खाने को या डायनिंग टेबल पर भोजन करने को अच्छा नहीं माना जाता है। हमारे यहां तो भोजन को बाजोट पर रखने की परंपरा थी। इसका का कारण यह है कि भोजन को हमारी संस्कृति में सिर्फ दिनचर्या का सिर्फ एक काम मात्र ही नहीं माना गया है। हमारे शास्त्रों के अनुसार भोजन एक तरह का हवन है। हमारा हर ग्रास इस हवन में एक आहूति की तरह है।
जिस तरह पूरी आस्था और सम्मान से हवन में देवताओं का आवाह्न कर उनसे निवेदन करने से समस्याएं खत्म हो जाती है। उसी तरह भोजन को पूरे सम्मान व आस्था के साथ ग्रहण करें तो शरीर की सारी व्याधियां व रोग खत्म हो जाते हैं। शरीर स्फूर्तिवान रहता है। अन्न को देवता माना जाता है इसीलिए उसे सम्मान देकर अपने आसन से थोड़ा ऊपर बाजोट पर रखकर ग्रहण किया जाता है।
साथ ही इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि सुखासन में बैठकर खाना खाने से खाना शीघ्र ही पच जाता है। इससे चेहरे का तेज भी बढ़ता है। जबकि डायनिंग टेबल पर खाने से भोजन ठीक से नहीं पचता है जिसके कारण अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए डायनिंग टेबल पर भोजन करना उचित नहीं माना गया है।

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