रविवार, 5 जून 2011

हरी-हरी दुनिया

सब्ज़ी-भाजी से कैसे होगी दुनिया राज़ी,चलिए देखते हैं -
कढ़ी पत्ता, पुदीना, हरा धनिया, टमाटर और हरी मिर्च यह सारे आपको सीधे पौधों से मिलें, तो भोजन की लज्ज़त ही कुछ और होगी। ऐसा किचन गार्डन के ज़रिए आसानी से किया जा सकता है।
यही सारे हरे मददगार हर मौसम में उपलब्ध हो सकते हैं। इसके अलावा दूसरी सब्ज़ियां भी लगाई जा सकती हैं। लौकी, भिंडी, बैगन, पालक, तुरई, मेथी आदि भी किचन गार्डन में खूब फलेंगे।
इनके लिए बहुत सारी जगह की ज़रूरत नहीं है। गमलों में भी इन्हें रोपा जा सकता है। गमले लाकर, उनमें मिट्टी-खाद मिलाकर तैयार कर लें। धनिए, पुदीने, टमाटर जैसे रोज़मर्रा इस्तेमाल वाली सब्ज़ियों के गमलों को आगे रखें।
अब लेते हैं कुछ बुनियादी जानकारी -
धनिया = धनिए के बीजों को गमले की मिट्टी में तीन सेंटीमीटर गहराई में दबा दें। कुछ ही दिन में हरा-भरा धनिया उग आएगा।
पुदीना = बाजार से थोड़ा-सा जड़ वाला पुदीना लाकर गमले की मिट्टी में रोप दें। रोजाना पानी दें और इसे बढ़ते हुए देखें।
हरी मिर्च = हरी मिर्च लगाने के लिए आपको छायादार जगह की जरूरत होगी। बाजार से हरी मिर्च के बीज लाकर गमले की मिट्टी में बीज बो दें। कुछ ही दिनों में यह बीज अंकुरित हो छोटी-छोटी पौध के रूप में तैयार हो जाएंगे।

अब तीन-चार पौधे (गमले के आकार के अनुसार) उसी गमले में रहने दें, शेष अन्य गमले में रोप दें। थोड़े ही दिनों में इन पौधों में आए फूल छोटी-छोटी हरी मिर्च में तब्दील हो जाएंगे।
कुलफा = कुलफा खट्टी स्वादयुक्त पत्तेदार सब्जी है, जो गर्मियों में ठंडक प्रदान करती है। बाजार में उपलब्ध कुलफा सब्जी की हरी टहनियां लाएं और इन्हें गमले में रोप दें। नियमित तौर पर पानी दें, कुछ ही दिन में कुलफा की पत्तियां पूरे गमले को ढंक लेंगी।
पालक = बाजार से पालक के बीज लाकर चौड़े मुंह वाले गमले की मिट्टी में दबा दें। कुछ वक्त बाद हरी-भरी पालक से पूरा गमला सज जाएगा।
अदरक = बाजार से लाई हुई अदरक की गांठों भी गमले की मिट्टी में रोप सकती हैं।
तुलसी = तुलसी की पत्तियां अनके औषधीय गुणों को समेटे हुए होते हैं। तुलसी के बीजों को गमले की गीली मिट्टी में दबा दें। कुछ दिनों में नए पौधे की कोपलें दिखाई देने लगेंगी।
कढ़ी पत्ता = उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक कई व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने में इन पत्तों का इस्तेमाल होता है। इसे भी आप गमले में लगा सकती हैं।
आप ज़िक्र करते हैं उन सब्ज़ियों का, जिन्हें आप बगीचे में खाली जमीन हो, तो लगा सकती हैं.
लौकी-सेम-तौराई= यह सभी सब्जियां बेलों में लगती हैं। इनके बीजों को लाकर अलग-अलग क्यारियों में बो दें। बेल के बड़े होने पर इनको बगीचे की नजदीकी दीवार का सहारा दें। कुछ ही दिनों में बेलें आपके घर को हरियाली के रंग से ढंक लेंगी और ताज़ी, सेहत भरी सौगातें देंगी।
आप किचन गार्डन में केला, आम, शहतूत, अनार, अमरुद आदि वृक्ष भी लगा सकती हैं। ये सभी लम्बे समय तक पर्यावरण संरक्षण में योगदान देंगे ही, साथ ही साथ दूसरों को भी पर्यावरण के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करेंगे। सब्ज़ी-फलों की सौगात पड़ोसियों और रिश्तेदारों में वितरित कर आप सामाजिक सम्बंध सुदृढ़ कर सकती हैं।
व्यक्तिगत स्तर पर, नन्हे से किचन गार्डन के ज़रिए किए गए यह प्रयास भी पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण भूिमका निभा सकते हैं।
बागवानी से सेहत भी, स्वाद भी
प्रकृति से नज़दीकी सेहत की गारंटी है। शुद्ध हवा और ताज़ा भोजन अगर मिले, तो क्या कहने। इसके अलावा बागवानी में रुचि लेने से आप एक नई विधा में महारत हासिल कर सकती हैं। अपनी पसंद के आधार पर समय-समय पर किचन गार्डन के पौधों को भी बदलती रहें।
उदाहरण के लिए यदि आप कॉन्टिनेंटल खाना बनाने की शौकीन हैं, तो अपने किचन गार्डन में पार्सले, सेज और थायम उगाएं। ऐसे ही जब आप इटेलियन फूड बनाना सीखें, तो तुलसी, रोजमैरी और ऑर्गेनो लगाएं।

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