मंगलवार, 21 जून 2011

अगस्त्य मुनि की बात सुनकर राजा के होश क्यों उड़ गए?

सभी पांडव तीर्थयात्रा करते हुए गयशिर क्षेत्र में पहुंचे वहां उन्होंने चर्मुर्मास्य यज्ञ कर ब्राह्मणों को बहुत सी दक्षिणा दी। युधिष्ठिर अगस्त्याश्रम आए। यहां लोमेश मुनि ने उनसे कहा एक बार अगस्त्य मुनि ने एक गड्डे में अपने पितरों को उल्टे सिर लटके देखा तो उनसे पूछा आप लोग इस तरह नीचे को सिर किए क्यों लटक हुए हैं? तब उन वेदवादी मुनियों ने कहा, हम तुम्हारे पितृगण हैं और पुत्र होने की आशा लगाए हम इस गड्ढे में लटके हुए हैं।
बेटा अगत्स्य यदि तुम्हारे एक पुत्र हो जाए तो इस नरक से हमारा छुटकारा हो सकता है। अगस्त्य बड़े तेजस्वी थे। उन्होंने पितरों से कहा पितृगण आप निश्चिंत रहिए। मैं आपकी इच्छा पूरी करूंगा। पितरों को इस प्रकार ढांढस बंधाने के बाद अगस्त्य ऋषि ने विवाह के लिए विचार किया। लेकिन उन्हें उनके अनुरूप कोई भी स्त्री नहीं मिली। तब उन्होंने विदर्भ के राजा के पास गए और उन्होंने कहा मैं आपसे आपकी पुत्री लोपामुद्रा मांगता हूं। ऋषि अगस्त्य की बात सुनकर राजा के होश उड़ गए। वे ना तो इस प्रस्ताव को स्वीकार कर सके और न कन्या देने का साहस।

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