मंगलवार, 14 जून 2011

शेर पर सवारी करते हैं इस रूप में गणेश!!!

भगवान गणेश मंगलमूर्ति माने गए हैं। हिन्दू धर्मग्रंथों में भगवान गणेश को एक ही ईश्वर के पांच अलग-अलग रुपों यानी पंचदेवों में विघ्रहर्ता देवता माना गया है। इस तरह श्री गणेश भी अनादि, अजर परमात्मा का ही रूप माने गए हैं। यही कारण है कि शास्त्रों में में भगवान शिव द्वारा भी गणेश उपासना के प्रसंग आए हैं।

श्री गणेश के परब्रह्म स्वरूप और महिमा को ही प्रमाणित करते हैं शास्त्रों में बताए अलग-अलग युगों में श्री गणेश के चार विघ्रनाशक अवतार। इनमें कृतयुग में विनायक, त्रेतायुग में मयूरेश्वर, द्वापर युग में गजानन और कलियुग में धूम्रकेतु नाम से गणेश पूजनीय माने गए हैं।
सामान्यत: हर धर्मावलंबी श्री गणेश के स्वरूप से जुड़ी ऐसी ही विशेष बातों में गणेश का वाहन मूषक या चूहा जानते और मानते हैं। किंतु ऊपर बताए अलग-अलग युगों के अवतारों में श्री गणेश के विनायक अवतार से जुड़ी रोचक बात यही है कि उनका वाहन चूहा नहीं बल्कि सिंह यानी शेर है।
श्री गणेश के सिंह पर विराजित इसी स्वरूप का वर्णन करते हुए ही शास्त्रों में लिखा गया है कि -
सिंहारूढो दशभुज: कृते नाम्रा विनायक:।
तेजोरूपी महाकाय: सर्वेषां वरदो वशी।।

जिसका सरल अर्थ है कि कृतयुग यानी सतयुग श्री गणेश का वाहन सिंह है, वे दशभुजाधारी, तेज कांतिमान, विशाल शरीर वाले सभी को अभय और वरदान देने वाले हैं।
इस तरह स्पष्ट है कि भगवान गणेश चूहे पर ही नहीं शेर पर भी सवारी करते हैं।

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