शनिवार, 23 जुलाई 2011

सिर्फ शिवजी को चढ़ाना ही नहीं खाना भी चाहिए बिल्वपत्र क्योंकि...

शिव के पूजन अर्चन से भक्तों पर उनकी विशेष कृपा होती है। शिवजी को पूजन के समय बिल्वपत्र विशेष रूप से अर्पित किए जाते हैं। सावन में शिवलिंग पर नियमित रूप से बिल्वपत्र सिर्फ चढ़ाना ही नहीं बल्कि उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी बहुत अधिक है। वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हुआ कि बेल के पत्ते बिल्व पत्र में छूने से वह गुण है कि उक्त कमी को पूरा कर देता है।
बिल्व पत्र तोड़े जाने के बाद भी 20 -21 दिन तक यह गुण रहता है शायद इसीलिये सावन में बेल पत्ते को बार बार छूने के लिए इसको धार्मिक महत्व दिया गया हो वैसे बेल और बेल पत्ते में अन्य औषधीय गुण भी होते है। बिल्वपत्र उत्तम वायुनाशक, कफ- मिटाने वाला है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं। बिल्वपत्र उडऩशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं।
बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, कृमिनाशक, संग्राही (मल को बाँधकर लाने वाले) व सूजन उतारने वाो हैं। ये मूत्र के प्रमाण व मूत्रगत शर्करा को कम करते हैं।कहते हैं सावन में नियमित रूप से शिव को बिल्व पत्र अर्पित करके यदि उसमे से बिल्वपत्र खाया भी जाए तो मधुमेह रोगियों को विशेष लाभ होता है। बिल्व शरीर के सूक्ष्म मल का शोषण कर उसे मूत्र के द्वारा बाहर निकाल देते हैं। इससे शरीर की शुद्धि हो जाती है। बिल्वपत्र दिल व दिमाग दोनों सवस्थ्य रहते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते हैं।

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