मंगलवार, 27 मार्च 2012

अहम सवाल!

‘मुद्दा करप्‍शन का है तो रक्षा मंत्री को खुद ही कार्रवाई करनी चाहिए थी। उन्‍हें आर्मी चीफ को फोन कर कहना चाहिए था कि इस बारे में आप लिखकर दीजिए।’

कई सवाल उठते हैं
एंटनी के आज के बयान से कई सवाल उठते हैं। पहला सवाल यह कि आखिर जनरल सिंह घूस की पेशकश करने वाले अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्‍यों नहीं करना चाहते थे? इसके अलावा यदि रक्षा मंत्री को इस मामले की जानकारी (भले ही मौखिक) मिली, तो उन्‍होंने अपने स्‍तर पर (स्‍वत: संज्ञान लेते हुए) कोई कार्रवाई क्‍यों नहीं की। इतनी गंभीर बात रक्षा मंत्री की जानकारी में आने के बाद भी तेजिंदर सिंह ने बतौर अफसर नौकरी की और सेवा शर्तों के मुताबिक ही रिटायर हुए, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्‍यों नहीं की गई या फिर इस तरह के मामलों की जांच नहीं की गई? जनरल वी के सिंह डेढ़ साल तक चुप क्‍यों बैठे रहे? मंत्री के कहने पर लिखित शिकायत क्‍यों नहीं की?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें