हिन्दू नव वर्ष का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार पितामह ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया था इसीलिए यह सृष्टि का प्रथम दिन है। इस बार हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ 23 मार्च, शुक्रवार से हो रहा है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हमारे लिये क्यों महत्वपूर्ण है, इसके सामाजिक एवं ऐतिहासिक सन्दर्भ इस प्रकार हैं-
1- इसी तिथि को रेवती नक्षत्र में विष्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान के आदि अवतार मत्स्य रूप का प्रादुर्भाव माना जाता है।
2- युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ भी इसी तिथि को हुआ था।
3- मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी तिथि को हुआ था।
4- माँ दुर्गा की उपासना का पर्व नवरात्र भी इसी तिथि को प्रारंभ होते हैं।
5- युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरम्भ इसी तिथि को माना जाता है।
6- उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् का प्रारम्भ भी इसी तिथि को किया गया था।
7- महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की थी।
1- इसी तिथि को रेवती नक्षत्र में विष्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान के आदि अवतार मत्स्य रूप का प्रादुर्भाव माना जाता है।
2- युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ भी इसी तिथि को हुआ था।
3- मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी तिथि को हुआ था।
4- माँ दुर्गा की उपासना का पर्व नवरात्र भी इसी तिथि को प्रारंभ होते हैं।
5- युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरम्भ इसी तिथि को माना जाता है।
6- उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् का प्रारम्भ भी इसी तिथि को किया गया था।
7- महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की थी।
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