० इस धरती ने अनेक शूरवीरों को जन्मा
मां तुझे सलाम! अमर शायर इकबाल के उक्त कथन में पूर्ण सच्चाई है हमारा देश भारत सचमुच संसार का शिरोमणि देश है। यह केवल एशिया का ही दिव्य भाल नहीं है, विश्व का मुकुट है। भारत प्रकृति का पालक है। छः ऋतुएं यहां मुस्कराती हुई गुजर जाती हैं। सिंधु, गंगा, यमुना, कृष्णा, काबेरी, नर्मदा सरिताएं अपने अमृत जल से इस धरती को सींचती हैं। तभी तो यहां की उर्वरा भूमि अनाज उगलती है। भारत की स्वर्ण भूमि विदेशियों के लिए सदा ही आकर्षक का केंद्र रही है। सिकंदर बार, कोलंबस, वास्कोडिगामा आदि की यात्राएं इसी तथ्य को सिद्ध करती हैं। मानव की तो विसात ही क्या देवता और भगवान तक इस भूमि पर जन्म लेने के लिए ललचाते रहे हैं। राम, कृष्ण, गौतम, गुरु नानक जैसे अवतारी पुरुष भारत में ही जन्मे थे। मां ने अपनी कोख से अनेक शूरवीरों को जन्म दिया। धर्मवीर युधिष्ठिर, दानवीर कर्ण, युद्धवीर अर्जुन, दयावीर महावीर सब भारत भूमि की ही तो उपज थे।भारत ही वह देश है जिसमें ज्ञान और विज्ञान की रश्मियां सबसे पहले विकीर्ण हुई थीं। नालंदा और तक्षशिला के खड्डहर आज भी इसी बात के साक्षी हैं। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा का लुप्त वैभव प्राचीन भारतीय संस्कृति का ही शंख फूंक रहा है। भारत अनेक धर्मों, सम्प्रदायों, मत मतान्तरों और जातियों का देश रहा है। अनेक धर्मों की त्रिवेणी यहीं हैं अनेक जातियों का संगम इस देश में हुआ है। हिंदू, मुस्लिम, जैन, ईसाई और पारसी सब सुखपूर्वक यहां निवास करते हैं। देश-प्रेम की पावन गंगा भारत में बहती है। हमारा देश विदेशियों के द्वारा पद्दलित हुआ दो सौ वर्ष तक हम अंग्रेजों के गुलाम रहे। इस अद्योगति से हमें देश के रत्न बाल गंगाधर तिलक, पंजाब केसर लाला लाजपतराय, शहीद भगत सिंह, त्यागमूर्ति चन्द्रशेखर आजाद, वीर सुभाष, नेहरू, लौह हृदय श्री लालबहादुर शास्त्री आदि देश भक्तों ने उबारा। इन लोगों ने परतंत्र भारत की बेड़ियां काटीं। 15 अगस्त 1947 के दिन देश स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता प्राप्त कर लेने के बाद भारत के राष्ट्रीय गौरव को नेहरू जी ने दिन प्रतिदिन बढ़ाया। पुराने तीर्थों की जगह नए तीर्थों ने ले ली। आज भारत शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, प्रौद्योगिक विकास आदि सभी क्षेत्रों में प्रगति पथ पर है। भारत की इस अद्भुत संस्कृति, गौरवमय गाथा, उज्ज्वल भविष्य, प्रकृति शिरोमणि को देखते हुए प्रत्येक भारतीय के दिल से केवल एक ही आवाज निकलती है- 'मां तुझे सलाम।
मां तुझे सलाम! अमर शायर इकबाल के उक्त कथन में पूर्ण सच्चाई है हमारा देश भारत सचमुच संसार का शिरोमणि देश है। यह केवल एशिया का ही दिव्य भाल नहीं है, विश्व का मुकुट है। भारत प्रकृति का पालक है। छः ऋतुएं यहां मुस्कराती हुई गुजर जाती हैं। सिंधु, गंगा, यमुना, कृष्णा, काबेरी, नर्मदा सरिताएं अपने अमृत जल से इस धरती को सींचती हैं। तभी तो यहां की उर्वरा भूमि अनाज उगलती है। भारत की स्वर्ण भूमि विदेशियों के लिए सदा ही आकर्षक का केंद्र रही है। सिकंदर बार, कोलंबस, वास्कोडिगामा आदि की यात्राएं इसी तथ्य को सिद्ध करती हैं। मानव की तो विसात ही क्या देवता और भगवान तक इस भूमि पर जन्म लेने के लिए ललचाते रहे हैं। राम, कृष्ण, गौतम, गुरु नानक जैसे अवतारी पुरुष भारत में ही जन्मे थे। मां ने अपनी कोख से अनेक शूरवीरों को जन्म दिया। धर्मवीर युधिष्ठिर, दानवीर कर्ण, युद्धवीर अर्जुन, दयावीर महावीर सब भारत भूमि की ही तो उपज थे।भारत ही वह देश है जिसमें ज्ञान और विज्ञान की रश्मियां सबसे पहले विकीर्ण हुई थीं। नालंदा और तक्षशिला के खड्डहर आज भी इसी बात के साक्षी हैं। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा का लुप्त वैभव प्राचीन भारतीय संस्कृति का ही शंख फूंक रहा है। भारत अनेक धर्मों, सम्प्रदायों, मत मतान्तरों और जातियों का देश रहा है। अनेक धर्मों की त्रिवेणी यहीं हैं अनेक जातियों का संगम इस देश में हुआ है। हिंदू, मुस्लिम, जैन, ईसाई और पारसी सब सुखपूर्वक यहां निवास करते हैं। देश-प्रेम की पावन गंगा भारत में बहती है। हमारा देश विदेशियों के द्वारा पद्दलित हुआ दो सौ वर्ष तक हम अंग्रेजों के गुलाम रहे। इस अद्योगति से हमें देश के रत्न बाल गंगाधर तिलक, पंजाब केसर लाला लाजपतराय, शहीद भगत सिंह, त्यागमूर्ति चन्द्रशेखर आजाद, वीर सुभाष, नेहरू, लौह हृदय श्री लालबहादुर शास्त्री आदि देश भक्तों ने उबारा। इन लोगों ने परतंत्र भारत की बेड़ियां काटीं। 15 अगस्त 1947 के दिन देश स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता प्राप्त कर लेने के बाद भारत के राष्ट्रीय गौरव को नेहरू जी ने दिन प्रतिदिन बढ़ाया। पुराने तीर्थों की जगह नए तीर्थों ने ले ली। आज भारत शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, प्रौद्योगिक विकास आदि सभी क्षेत्रों में प्रगति पथ पर है। भारत की इस अद्भुत संस्कृति, गौरवमय गाथा, उज्ज्वल भविष्य, प्रकृति शिरोमणि को देखते हुए प्रत्येक भारतीय के दिल से केवल एक ही आवाज निकलती है- 'मां तुझे सलाम।
धन्यवाद ,मै अवश्य जुड़ना चाहूँगा।
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