गुरुवार, 7 अगस्त 2014

ब्रह्म मुहूर्त में जागने से मिलती है लक्ष्मी और बुद्धि

हमें रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर का त्याग कर देना चाहिए। ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय। रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है। हमारी दिनचर्या सुबह उठने से आरंभ होती है। इसलिए सुबह जल्दी उठना दिनचर्या का सबसे पहला और महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसी कारण हमारी संस्कृति में सुबह उठने का समय भी तय किया गया है, वह है ब्रह्म मुहूर्त। इस समय जागने से सुंदरता, लक्ष्मी और बुद्धि मिलती है। ब्रह्म मुहूर्त में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है और दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा फार्मूला है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है।
शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है- वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति। ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥ - भाव प्रकाश सार-93 अर्थात- ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता है। अच्छे स्वास्थ्य का रहस्य हमारे धर्मग्रंथों में ब्रह्म मुहूर्त में उठने का सबसे बड़ा लाभ अच्छा स्वास्थ्य बताया गया है। क्या है इसका रहस्य? दरअसल सुबह चार बजे से साढ़े पांच बजे तक वायुमंडल में यानी हमारे चारों ओर आक्सीजन अधिक होती है। वैज्ञानिक खोजों से पता चला है कि इस समय आक्सीजन 41 प्रतिशत, करीब 55 प्रतिशत नाइट्रोजन और 4 प्रतिशत कार्बन डाईआक्साइड गैस रहती है। सूर्योदय के बाद वायुमंडल में आक्सीजन कम और कार्बन डाईआक्साइड बढ़ती है। आक्सीजन हमारे जीवन का आधार है। शास्त्रों में इसे प्राणवायु कहा गया है। ज्यादा आक्सीजन मिलने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लिए।

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