सोमवार, 6 अप्रैल 2015

मैंने कब कहा?

बिन्नी के फाइनल एग्जाम खत्म हो गए हैं। इन दिनों वह सुबह मम्मी के बिना जगाए ही जाग जाता है। फिर फटाफट ब्रश करता है और तैयार होकर अपने दादाजी के साथ पार्क चला जाता है। उसके फुर्तीलेपन से मम्मी खुश हैं।
इस साल बिन्नी क्लास 6 में जाएगा। वह नई क्लास में जाने की बात सोचकर काफी खुश है। उसका मन उत्साह से भरा हुआ है। वह दादाजी के साथ रास्ते में चला जा रहा है और सोच रहा है कि आने वाले दिनों में उसे मम्मी के साथ मिलकर कितने काम करने हैं। अपने कबर्ड और अलमारी साफ करनी हैं। पुरानी किताबों और कॉपियों को वहां से हटाना है। नई-नई किताबें, कॉपियां, बोतल, लंच बॉक्स, बैग और ड्रेस खरीदनी हैं। यह सब सोचकर उसका मन रोमांच से भर जाता है।  
वह मन-ही-मन प्लान करता है कि इस साल वो मम्मी से जिद करके सब कुछ अपने पसंदीदा ब्लू कलर का ही खरीदेगा। वह सोचता है, ‘कितना अच्छा लगेगा। बैग, पेंसिल बॉक्स, बोतल, लंच बॉक्स सबके सब नीले रंग के। जैसा नीला आसमान। कितना प्यारा लगता है! एकदम साफ-साफ, उसे देखकर मन को बहुत शांति मिलती है।’
बिन्नी इन्हीं ख्यालों में गुमसुम सा बिना कुछ बोले चला जा रहा था। तभी दादाजी ने कहा, ‘बिन्नी! आज तो हम बहुत जल्दी पार्क पहुंच गए।’
उसने जवाब दिया, ‘जी हां!’
इसके बाद पार्क में दादाजी अपने दोस्तों के साथ बातचीत करते हुए टहलने लगे। इधर बिन्नी अपने दोस्तों के साथ खेलने में मगन हो गया। उसे अपना प्यारा दोस्त आतिफ जो मिल गया था। बिन्नी ने आतिफ से कहा, ‘आतिफ, आज मेरे घर चलो।’
पहले तो आतिफ ने थोड़ा ना-नुकुर किया, फिर तैयार हो गया। दादाजी के साथ दोनों दोस्त घर पहुंचे। बिन्नी के घर पहुंचते ही आतिफ ने अपनी मम्मी को फोन करके बताया कि वह बिन्नी के घर आया हुआ है। दो घंटे खेलकर वापस घर लौट आएगा।
मिसेज वर्मा यानी बिन्नी की मम्मी दोनों दोस्तों को गरमागरम आलू का परांठा नाश्ते में देती हैं। दोनों खुश होकर खाते हैं। तभी बिन्नी की मम्मी ने आतिफ से पूछा, ‘आतिफ, तुम्हारा छोटा भाई कैसा है? लगता है, तुम्हें तो उसके साथ खेलने से फुर्सत ही नहीं मिलती है। तभी इतने दिनों बाद आए हो।’
आतिफ कहता है, ‘आंटी, मेरा तो कोई छोटा भाई है ही नहीं।’
मिसेज वर्मा आतिफ के जवाब को सुनकर चुप हो जाती हैं। वह बिन्नी की तरफ देखकर मुस्कराती हैं। कहती हैं, ‘अरे, मुझसे भूल हो गई। शायद, बिन्नी ने किसी और के बारे में बताया होगा।’
थोड़ी देर बाद आतिफ के पापा आते हैं और उसे लेकर चले जाते हैं और बिन्नी अपना मन पसंदीदा टीवी चैनल देखने में व्यस्त हो जाता है। पर उसकी मम्मी बिन्नी की फिजूल की बातें बनाने की हरकत से परेशान हो सोच में पड़ जाती हैं। उन्हें याद आता है कि अभी न्यू ईयर पर बिन्नी ने ट्यूशन वाली मैडम से कहा था कि वह केक लेकर आएगा। फिर पड़ोस की मिसेज शर्मा से उसने कहा कि इस बार समर वेकेशन में बिन्नी अपनी फैमिली के साथ काठमांडू जाएगा। वगैरह-वगैरह।
इसी ऊहापोह में वो बिन्नी के कमरे में जाती हैं और बोलती हैं, ‘बेटा, आज आतिफ ने मुझे गलत समझा होगा। अगर यह बात वह अपने मम्मी-पापा को बताएगा तो उसके पेरेंट्स शायद बुरा मान जाएं, हमसे नाराज हो जाएं। आतिफ तुमसे बात करना बंद कर दे। तुम्हारे साथ खेलना बंद कर दे, क्योंकि तुम मनगढंत और झूठी बातें किसी के बारे में बोल जाते हो।’
आज तो मम्मी और आतिफ की बातें सुनकर बिन्नी मन-ही-मन डर गया था। आज उसे अपनी गलत आदत समझ में आ गई थी। उसने तय किया कि आज के बाद वह इस तरह की बातें कभी किसी के बारे में नहीं कहेगा, जिससे कि किसी को शर्मिदा होना पड़े। वह धीरे से मम्मी के पास आकर कहता है, ‘सॉरी मम्मी। अब ऐसा नहीं करूंगा।’

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