- अरुण कुमार बंछोर (रायपुर)
छात्र जीवन से ही राजनीति में उतरी राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय परिषद की अध्यक्ष स्मिता पांडे का कहना है कि समाजसेवा करना ही उनके जीवन का ध्येय है और लक्ष्य भी। उन्होंने वार्ड क्रमांक 50 से भाजपा टिकट के लिए अपना दावा किया है। वे कहती है कि अगर वे पार्षद बनी तो वार्ड के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। महिला उत्थान और जागरूकता के लिए काम कर रही स्मिता किआज भी महिलायें प्रताड़ित होने न्याय के लिए आगे नहीं आती है। उनसे सभी पहलुओं पर बेबाक से बात की। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के संपादित अंश –
प्र० आपने राजनीति को ही अपना कॅरियर क्यों चुना?
उ० बचपन से ही मुझे राजनीति से लगाव रहा है। छात्रजीवन से ही मैंने राजनीति शुरू कर दी थी। छात्र नेता के रूप में मैंने विद्यार्थियों के लिए कई लड़ाई लड़ी थी। सबको न्याय मिले यही मेरा मकसद होता था।
प्र० एकाध कोई संघर्ष, जो छात्रों के लिए की हो?
उ० कई है पर श्वेता हत्याकांड के खिलाफ जो हमने संषर्ष छेड़ा था, उसे आज भी याद किया जाता है। छोटी सी छात्रा के साथ अमानवीय हरकत के बाद जब उनकी ह्त्या कर दी गयी थी तब मैंने एकआंदोलन खड़ा किया था। जिससे सरकार भी परेशान हो गयी थी। 4000 लड़कियों को जुलूस के रूप में ले जाकर प्रशासन की नींद हराम कर दी थी।
प्र० समाजसेवा को ही अपना लक्ष्य क्यों तय किया?
उ० बचपन से ही मुझे समाजसेवा करने की ललक थी इसलिए इसे ही मैंने अपना लिया।
प्र० कोई तो आपके आदर्श होंगे, जिन्हे देखकर आप आगे बढ़ रही है?
उ० मेरे दादा-दादी है, जिनसे मैंने समाजसेवा करना सीखा है। दादा दामोदर देशपांडे और दादी उषा देशपांडे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे चरखा से सूत कातते थे और कपड़ा भी बनाते थे। वो मेरे आदर्श हैं और प्रेरणाश्रोत भी।
प्र० आपने भाजपा से पार्षद के लिए टिकट माँगी है, आपका मुद्दा क्या होगा?
उ० साफ़-सफाई, पेयजल और राशनिंग मेरा मुख्य मुद्दा होगा। पंकज विक्रम वार्ड जहां से मेरा वास्ता है वहां बुनियादी समस्याएं बहुत अधिक है। मई उन सबका निराकरण चाहती हूँ। पार्षद बनी तो अपने वार्ड का कायाकल्प कर दूंगी ये मेरा वादा है।
प्र० राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय के लिए आप क्या करती है?
उ० लोग अपनी समस्या लेकर आते है तो हम उन्हें न्याय दिलाने की पूरी कोशिश करते है। जेल,सरकारी दफ्तर, या सार्वजनिक स्थानो में भी नज़र रखते है, साथ अन्याय ना हो।
प्र० महिलाये आज पहले की अपेक्षा ज्यादा प्रताड़ित हो रही है, क्या आपके पास ऐसा कोई प्रकरण आता है?
उ० आता तो है पर आज भी महिलाओं में जागरूकता की कमी है। महिलाये अपने परिवार के खिलाफ प्रताड़ना की शिकायत करती है तो केस वापस भी ले लेती है, ऐसे में हम कुछ नहीं कर पाते। महिलायें जल्दी दबाव में आ जाती हैं।
प्र० इसके लिए आगे आप क्या करना चाहेंगी?
उ० मैं महिला उत्थान के लिये काम करना चाहती हूँ। उनमे जागरूकता पैदा करना बहुत ही जरूरी है महिला यौन उत्पीड़न के खिलाफ मैं सतत संघर्ष करती रहूंगी। लोगो से मैं कहना चाहूंगी कि ऐसा कोई मामला दिखे तो परिषद को जरूर सूचित करे ताकि हम उन्हें न्याय दिला सकें।
अरुण कुमार बंछोर
(वरिष्ठ पत्रकार, रायपुर)
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