गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

गॉडफादर जैसे रोल का मुझे इन्तजार है

 बार बार टूटता हूँ और सम्हालता हूँ: पुष्पेन्द्र सिंह 

छत्तीसगढ़ के जाने माने स्टार पुष्पेन्द्र सिंह में खूबियों का खजाना है। वे एक अच्छे कलाकार है तो उतने ही
अच्छे निर्माता निर्देशक और लेखक भी हैं। उन्हें अपने काम के प्रति जूनून है। उनका कहना है कि - कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती , लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। उनका सपना गॉडफादर जैसे रोल करने की है, जो किसी के जीवन पर आधारित हो। पुष्पेन्द्र सिंह मुम्बई में भी अपनी कला का लोहा मनवा रहे हैं। उन्होंने सीरियलों में 100 से ज्यादा एपिशोड कर चुके हैं। उनसे हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है।
० छत्तीसगढ़ी फिल्मो की क्या संभावनाएं हैं?
०० जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। कोई प्लानिंग नहीं होती जो पैसा नहीं लेते वही कलाकार यहाँ चलते है। तो आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। ० छत्तीसगढ़ी सिनेमा अच्छा व्यवसाय करे इसके लिए क्या कर सकते हैं?
०० यहां फिल्मे कमजोर बन रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। छत्तीसगढ़ में मिनी सिनेमाघर दो सौ दर्शकों की क्षमता वाली टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। प्रचार प्रसार की कमी है। सिर्फ रायपुर में प्रचार के लिए पांच लाख चाहिए जो निर्माता नहीं करते।
० आप इस क्षेत्र में कैसे आये ?
०० मै थियेटर से आया हूँ। सलमा सुलतान की धारावाहिक सुनो कहानी में मुझे मौका मिला फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैंने भारतभूषण के साथ काम किया है।
० फिल्मो की और रुझान कैसे हुआ?
०० मेरी कला मेरे पिताजी की देंन है। कृष्ण बनाकर मुझे खड़ा कर दिए थे वही  प्रेरणाश्रोत है। आगे बढ़ने में मेरी पत्नी का भी बहुत सहयोग है। जिसके कारण मैं कलाकार हूँ ।
० आपने बहुत सी फिल्मे कर ली आपकी राह कैसे आसान हुआ?
०० मै बार बार टूटता हूँ ,बार बार सम्हालता हूँ । मुझे ढर्रे पर जीना नहीं आता। यहां आलोचना करने वाले तो बहुत मिल जाएंगे पर साथ देने वाले नहीं। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होप्ती , लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। बस मै यही जानता हूँ।
० छत्तीसगढ़ी फिल्मो के प्रदर्शन में कमी कहाँ होती है?
०० प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है।
० क्या छत्तीसगढ़ में नायिकाओं की कमी है कि बाहर से लाना पड़ता है?
०० हाँ जरूर है। लडकिया बहुत है पर अच्छे घरों की लडकियां इस फिल्ड में आना नहीं चाहती क्योकि उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता जो वो चाहतीं हैं। इसलिए कमी बनी हुई है।
० आपकी भविष्य की क्या योजना है?
०० मै साल में दो ही काम करूंगा पर अच्छा करूंगा। मैंने अपना ग्रुप तैयार किया है एसपी इंटरटेनमेंट के बैनर पर हमने काम शुरू किया है। इस क्षेत्र में काम करते रहेंगे।
० आपने सभी प्रकार की भूमिका का निर्वहन किया है वैसे आपको कैसा रोल पसंद है?
०० मुझे आज तक पसंद का रोल नहीं मिला। साइलेंट करेक्टर चाहिए ,पता नहीं कभी मिल पायेगा या नही।
० रील और रियल लाइफ में क्या अंतर पाते है?
०० बहुत अंतर है। रियाल लाइफ की घटना को रील लाइफ में ला सकते हैं पर रील को रियल में नहीं ला सकते।
० ऐसा कोई सपना जिसे आप पूरा होते हुए देखना चाहते हैं?
०० गॉडफादर जैसे रोल करने की तमन्ना है, जो किसी के जीवन पर आधारित हो। जैसे महात्मा गांधी। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें