अंतर - राष्ट्रीय कराटे खिलाड़ी और प्रशिक्षक है
दस हजार बच्चों को कर चुकी है प्रशिक्षित
एक मुलाक़ात - अरुण बंछोर
मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह कर दिखाया है हर्षा साहू ने। कुश्ती चैंपियन कमलनारायण साहू और एथलेटिक्स राजेश्वरी साहू की बेटी हर्षा आज महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल है। वे राज्य से पहली अंतर्राष्ट्रीय कराटे खिलाड़ी है और यहां नन्हे मुंहे बच्चों को कराटे में प्रशिक्षित करने में जूटी हुई है। शहीद राजीव पांडे पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हर्षा की दिली तमन्ना है कि उनके द्वारा प्रशिक्षित बच्चे भी यह अवार्ड हासिल करें। हर्षा अब तक दस हजार बच्चों को कराटे का प्रशिक्षण दे चुकी है। कई बच्चे नेशनल मेडलिस्ट भी बन गए हैं। हर्षा दैनिक राष्ट्रीय हिन्दी मेल के दफ्तर आई तो हमने उनसे हर पहलुओं पर बात की।
० कराटे के प्रति आपका रुझान कैसे हुआ ?
०० पापा को देखकर मुझे भी कुछ बनने की ललक थी। पापा कुश्ती के खिलाड़ी थे तो मैंने कराटे को चुना। माँ एथलेटिक्स है तो उनका मुझे सहयोग मिला और मै आज आपके सामने हूँ।
० आपने बहुत सारे एवार्ड और मैडल जीते ,यह कैसे संभव हुआ?
०० मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। मैंने ठान ली थी कि मुझे बेस्ट कराटे चैम्पियन बनना है तो बनना है और मैंने अपनी मेहनत से इसे साबित भी किया।
० आप कब से इस क्षेत्र में है और क्यों?
०० सन 2001 में मैंने कराटे के क्षेत्र में हूँ। आत्मरक्षा के लिए यह सबसे कारगर है और एक अच्छा खेल भी। इसके कई फायदे भी है। इस दौरान मैंने कई अवार्ड और पुरूस्कार हासिल किया जिसमे सबसे बड़ा पुरूस्कार है शहीद राजीव पांडे पुरूस्कार।
० आपके प्रेरणाश्रोत और आदर्श कौन है?
०० मेरे माता पिता ही मेरे प्रेरणाश्रोत है और मेरे गुरु अजय साहू मेरे आदर्श हैं।
० अब आप बच्चों को कराटे का प्रशिक्षण दे रही है, कितने बच्चों को सीखा चुकी हैं?
०० करीब दस हजार बच्चों को मैं यह प्रशिक्षण दे चुकी हूँ। मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे नेशनल तक जा चुके हैं। कई अवार्ड और पदक जीत चुके हैं। ये मेरी उप्लब्द्धी है। उन्हें पुरूस्कार लेते हुए देखतीं हूँ तो मुझे गर्व होता है।
० आपसे प्रशिक्षण लेने वालों में लडकियां कितनी है?
०० अधिकतर लडकियां ही होती है जिन्हे हम आत्मरक्षा के गुण बतातें हैं। कराटे के प्रति लडकियों में बहुत उत्साह है। यह अच्छा संकेत भी है कि लड़कियां जागरूक हो रही हैं।
० आपकी कोइ ख्वाहिश है जो पूरा होते हुए आप देखना चाहती हैं?
०० हाँ मै अपने द्वारा प्रशिक्षित बच्चों को शहीद राजीव पाण्डे पुरूस्कार लेते हुए देखना चाहती हूँ। यही मेरा सपना है और उद्देश्य भी।
० कभी आप इस फिल्ड में निराश भी हुई हैं ?
०० हाँ जब मेरा नेशनल स्पर्धा के लिए चयन हुआ था और मै पैसों के अभाव में नहीं जा पाई थी तब मुझे बहुत दुःख हुआ था और निराश भी।
दस हजार बच्चों को कर चुकी है प्रशिक्षित
एक मुलाक़ात - अरुण बंछोर
मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह कर दिखाया है हर्षा साहू ने। कुश्ती चैंपियन कमलनारायण साहू और एथलेटिक्स राजेश्वरी साहू की बेटी हर्षा आज महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल है। वे राज्य से पहली अंतर्राष्ट्रीय कराटे खिलाड़ी है और यहां नन्हे मुंहे बच्चों को कराटे में प्रशिक्षित करने में जूटी हुई है। शहीद राजीव पांडे पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हर्षा की दिली तमन्ना है कि उनके द्वारा प्रशिक्षित बच्चे भी यह अवार्ड हासिल करें। हर्षा अब तक दस हजार बच्चों को कराटे का प्रशिक्षण दे चुकी है। कई बच्चे नेशनल मेडलिस्ट भी बन गए हैं। हर्षा दैनिक राष्ट्रीय हिन्दी मेल के दफ्तर आई तो हमने उनसे हर पहलुओं पर बात की।
० कराटे के प्रति आपका रुझान कैसे हुआ ?
०० पापा को देखकर मुझे भी कुछ बनने की ललक थी। पापा कुश्ती के खिलाड़ी थे तो मैंने कराटे को चुना। माँ एथलेटिक्स है तो उनका मुझे सहयोग मिला और मै आज आपके सामने हूँ।
० आपने बहुत सारे एवार्ड और मैडल जीते ,यह कैसे संभव हुआ?
०० मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। मैंने ठान ली थी कि मुझे बेस्ट कराटे चैम्पियन बनना है तो बनना है और मैंने अपनी मेहनत से इसे साबित भी किया।
० आप कब से इस क्षेत्र में है और क्यों?
०० सन 2001 में मैंने कराटे के क्षेत्र में हूँ। आत्मरक्षा के लिए यह सबसे कारगर है और एक अच्छा खेल भी। इसके कई फायदे भी है। इस दौरान मैंने कई अवार्ड और पुरूस्कार हासिल किया जिसमे सबसे बड़ा पुरूस्कार है शहीद राजीव पांडे पुरूस्कार।
० आपके प्रेरणाश्रोत और आदर्श कौन है?
०० मेरे माता पिता ही मेरे प्रेरणाश्रोत है और मेरे गुरु अजय साहू मेरे आदर्श हैं।
० अब आप बच्चों को कराटे का प्रशिक्षण दे रही है, कितने बच्चों को सीखा चुकी हैं?
०० करीब दस हजार बच्चों को मैं यह प्रशिक्षण दे चुकी हूँ। मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे नेशनल तक जा चुके हैं। कई अवार्ड और पदक जीत चुके हैं। ये मेरी उप्लब्द्धी है। उन्हें पुरूस्कार लेते हुए देखतीं हूँ तो मुझे गर्व होता है।
० आपसे प्रशिक्षण लेने वालों में लडकियां कितनी है?
०० अधिकतर लडकियां ही होती है जिन्हे हम आत्मरक्षा के गुण बतातें हैं। कराटे के प्रति लडकियों में बहुत उत्साह है। यह अच्छा संकेत भी है कि लड़कियां जागरूक हो रही हैं।
० आपकी कोइ ख्वाहिश है जो पूरा होते हुए आप देखना चाहती हैं?
०० हाँ मै अपने द्वारा प्रशिक्षित बच्चों को शहीद राजीव पाण्डे पुरूस्कार लेते हुए देखना चाहती हूँ। यही मेरा सपना है और उद्देश्य भी।
० कभी आप इस फिल्ड में निराश भी हुई हैं ?
०० हाँ जब मेरा नेशनल स्पर्धा के लिए चयन हुआ था और मै पैसों के अभाव में नहीं जा पाई थी तब मुझे बहुत दुःख हुआ था और निराश भी।
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