आज हम आपको सुनाते हैं एक कहानी कि कैसे गणपति बप्पा का एक दांत टूटा. हो सकता है कि आपने परशुराम से युद्ध वाली कहानी सुनी हो, लेकिन हम आपको बताते हैं एक दूसरी कहानी जिसके अनुसार बप्पा ने
खुद ही अपना दांत तोड़ दिया था. बात उस समय की है जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए बैठे, तो उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो उनके मुख से निकले हुए महाभारत की कहानी को लिखे. इस कार्य के लिए उन्होंने श्री गणेश जी को चुना. गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए पर उनकी एक शर्त थी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल के लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा. गणेश जी ने कहा कि अगर आप रुकेंगे तो मैं भी लिखना बंद कर दूंगा.अब महर्षि नें एक शर्त और रखी कि गणेश जी जो भी लिखेंगे वह उसे समझ कर ही लिखेंगे. गणेश जी भी शर्त मान गए. अब दोनों ने काम शुरू किया और महाभारत के लेखन का काम प्रारंभ हुआ. कुछ देर लिखने के बाद अचानक से गणेश जी की कलम टूट गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि महर्षि बहुत तेजी से बोल रहे थे. अब अपने काम में बाधा को दूर करने के लिए गणपति ने अपने एक दांत को तोड़ दिया और स्याही में डूबा कर महाभारत की कथा लिखने लगे.
खुद ही अपना दांत तोड़ दिया था. बात उस समय की है जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए बैठे, तो उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो उनके मुख से निकले हुए महाभारत की कहानी को लिखे. इस कार्य के लिए उन्होंने श्री गणेश जी को चुना. गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए पर उनकी एक शर्त थी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल के लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा. गणेश जी ने कहा कि अगर आप रुकेंगे तो मैं भी लिखना बंद कर दूंगा.अब महर्षि नें एक शर्त और रखी कि गणेश जी जो भी लिखेंगे वह उसे समझ कर ही लिखेंगे. गणेश जी भी शर्त मान गए. अब दोनों ने काम शुरू किया और महाभारत के लेखन का काम प्रारंभ हुआ. कुछ देर लिखने के बाद अचानक से गणेश जी की कलम टूट गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि महर्षि बहुत तेजी से बोल रहे थे. अब अपने काम में बाधा को दूर करने के लिए गणपति ने अपने एक दांत को तोड़ दिया और स्याही में डूबा कर महाभारत की कथा लिखने लगे.
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