नई दिल्ली। हर सुहागन स्त्री के लिए करवाचौथ का व्रत काफी महत्वपूर्ण होता
है। प्यार और आस्था के इस पर्व पर सुहागिन स्त्रियां पूरा दिन उपवास रखकर
भगवान से अपने पति की लंबी उम्र और गृहस्थ जीवन में सुख की कामना करती हैं।
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
इस साल यह व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाएगा। करवाचौथ' शब्द दो शब्दों से
मिलकर बना है,'करवा' यानी 'मिट्टी का बरतन' और 'चौथ' यानि 'चतुर्थी '। इस
त्योहार पर मिट्टी के बरतन यानी करवे का विशेष महत्व बताया गया है। माना
जाता है करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है,
उनके घर में सुख, शान्ति,समृद्धि और सन्तान सुख मिलता है। ज्योतिषाचार्यों
के अनुसार 70 सालों बाद इस करवाचौथ पर एक शुभ संयोग बन रहा है, जो
सुहागिनों के लिए विशेष फलदायी होगा। बता दें, इस बार रोहिणी नक्षत्र के
साथ मंगल का योग बेहद मंगलकारी रहेगा। रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में
रोहिणी के योग से मार्कंडेय और सत्याभामा योग भी इस करवा चौथ बन रहा है।
चंद्रमा की 27 पत्नियों में से उन्हें रोहिणी सबसे ज्यादा प्रिय है। यही
वजह है कि यह संयोग करवा चौथ को और खास बना रहा है। इसका सबसे ज्यादा लाभ
उन महिलाओं को मिलेगा जो पहली बार करवा चौथ का व्रत रखेंगी। करवाचौथ की
पूजा के दौरान महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत करके रात को छलनी से चंद्रमा
को देखने के बाद पति का चेहरा देखकर उनके हाथों से जल ग्रहण कर अपना व्रत
पूरा करती हैं।
करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त-
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- सायंकाल 6:37- रात्रि 8:00 तक चंद्रोदय-
सायंकाल 7:55 चतुर्थी तिथि आरंभ- 18:37
(27 अक्टूबर) चतुर्थी तिथि समाप्त- 16:54 (28 अक्टूबर)
करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त-
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- सायंकाल 6:37- रात्रि 8:00 तक चंद्रोदय-
सायंकाल 7:55 चतुर्थी तिथि आरंभ- 18:37
(27 अक्टूबर) चतुर्थी तिथि समाप्त- 16:54 (28 अक्टूबर)
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