बुधवार, 21 जुलाई 2010

मुस्कुराहट

खुशी लौट आएगी!
ज्यादातर लोगों का कहना है कि मुस्कुराहट से उन्हें सच्ची ताकत मिलती है। उन्हें बताया गया है कि मुस्कुराहट आत्मविश्वास की कमी से उबरने की बेहतर दवा है। परंतु ज्यादातर लोग इस बात में इसलिए यकीन नहीं करते, क्योंकि जब वे डरे होते हैं, तो वे मुस्कुराने की कोशिश ही नहीं करते। यह छोटा-सा प्रयोग करके देखिए।

आप पराजित अनुभव करें और बड़ी मुस्कुराहट दें। एक साथ, एक ही समय में यह सम्भव नहीं है। आप ऐसा कर ही नहीं सकते। बड़ी मुस्कुराहट आपको आत्मविश्वास देती है। बड़ी मुस्कुराहट आपका डर भगाती है, चिंता दूर करती है और निराशा हर लेती है। और एक सच्ची मुस्कुराहट सिर्फ आपके मन से बुरी भावनाओं को ही नहीं हटाती बल्कि सच्ची मुस्कुराहट से लोगों का विरोध भी पिघल जाता है-और यह तत्काल होता है। अगर आप किसी को बड़ी-सी, सच्ची मुस्कुराहट दें, तो सामने वाला आदमी आपसे गुस्सा हो ही नहीं सकता।

कुछ समय पहले की बात है मेरे साथ एक घटना हुई, जिसमें ऐसा ही हुआ। मैं चौराहे पर हरी बत्ती जलने का इंतज़ार कर रहा था कि तभी भड़ाम की आवाज़ आई। मेरे पीछे वाले ड्राइवर का पैर ब्रेक से हट गया था और उसने मेरी कार के बम्पर में पीछे से टक्कर मार दी थी। मैंने शीशे में से देखा कि वह बाहर निकल रहा था। मैं भी तत्काल बाहर निकल आया और नियमों की पुस्तक को भूलते हुए बहस के लिए तैयार हो गया। मैं मानता हूं कि मैं उससे बहस करके उसे नीचा दिखाने के लिए पूरी तरह तैयार था।

परंतु सौभाग्य से, इसके पहले कि मुझे ऐसा करने का मौका मिलता, वह मेरे पास आया, मुस्कुराया और बड़ी गम्भीरता से कहा, ‘दोस्त, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था।’ उसकी मुस्कुराहट और उसके गम्भीर वाक्य को सुनकर मेरा गुस्सा काफूर हो गया। जवाब में मैंने भी ‘चलता है। ऐसा तो होता ही रहता है।’ पलक झपकते ही हमारा विरोध मित्रता में बदल गया। बड़ी मुस्कुराहट दीजिए और आप महसूस करेंगे कि ‘एक बार फिर खुशी के दिन लौट आए हैं।’ परंतु मुस्कुराहट बड़ी होनी चाहिए। आधी मुस्कुराहट से काम नहीं चलेगा। आधी मुस्कुराहट की सफलता की कोई गारंटी नहीं है। तब तक मुस्कुराएं, जब तक आपके दांत न दिखने लगें। खुलकर मुस्कुराइए। खुले दिल की निशानी है ये।

1 टिप्पणी: