सुख का योग ख़ुशी का मंत्र
आप जितने ज्यादा मशहूर होते हैं, जितने ज्यादा अमीर होते हैं, उतना ही अधिक काम करना पड़ता है और तनाव झेलना पड़ता है। ऐसी महिलाओं को तो घर-बाहर की दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। यहां जानिए कुछ ऐसी जगहों और तकनीकों के बारे में, जिनकी मदद से मशहूर हस्तियों को मिलती है शांति..
श्रीश्री रविशंकर का ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ हाई प्रोफ़ाइल, प्रोफेशनल्स के बीच काफ़ी लोकप्रिय है, जो उन्हें आसान तरीक़े से तनाव से निजात दिलाकर ख़ुशहाल बनाता है।
एक्सपर्ट्स एडवाइज
बी पॉजीटिव
इमेज कंसल्टेंट छाया मोमया बता रही हैं कि नजरिया किस हद तक आपके लुक और फीलिंग्स पर असर डालता है..
अच्छा दिखने और अच्छा महसूस करने का सबसे अहम रास्ता है, नियमित तौर पर एक्सरसाइज करें, अनुशासित जीवन जिएं और सकारात्मक विचार रखें। लेकिन डिसिप्लिन का मतलब जिद्दी होना नहीं है, क्योंकि बड़े शहरों की भागती लाइफ़ में आप रोजाना अपने हिसाब से खाने और सोने का समय तय नहीं कर सकते। सबसे अहम बात है- पॉजीटिव थिंकिंग। जब आप नकारात्मक सोचते हैं, तो यह आपके एपियरेंस पर भी दिखता है। इसलिए, अगर आप गॉसिप भी कर रहे हों, तो दुर्भावनापूर्ण न बनें। और हां, अगर आप झूठ बोलेंगे, तो यह आपके चेहरे पर साफ़ नजर आ जाएगा। मेट्रो सिटीज में बहुत सारे लोग होलिस्टिक लाइफ़ जी रहे हैं। यदि आप मेरी राय में ऐसे तीन नाम पूछेंगे, तो मैं नीता अंबानी, अमिताभ बच्चन और सलमान ख़ान के नाम लूंगी। उनकी मौजूदगी इतनी चमकदार होती है कि कमरे में आते ही हर कोई उनकी तरफ़ खिंचता चला जाता है।
हाई स्पीड लाइफ़ में अक्सर तनाव से दो-चार होना पड़ता है, ख़ासतौर पर जब आप हाई लाइफ़ जी रहे हों। यानी, आप मशहूर हों और जिम्मेदारियां भी कई हों, तो दबाव और भी बढ़ जाता है। लेकिन इसके बावजूद काम तो करने ही पड़ते हैं। ऐसे में जरूरत होती है, उन तकनीकों की, जो मन को शांत रखें और पूरे दिन ख़ुशहाली का एहसास कराएं। यहां हम बता रहे हैं ऐसी ही तकनीकों के बारे में, जिनका इस्तेमाल मैडोना से लेकर रिया पिल्लै तक और ग्वेनिथ पाल्ट्रो से लेकर रागेश्वरी और रीता ढोडी जैसी हस्तियां करती हैं।
हॉलीवुड के अष्टांग योगी
मैडोना, स्टिंग और ग्वेनिथ पाल्ट्रो जैसी हॉलीवुड शख्सियतों नेअष्टांग योगा की ट्रेनिंग मैसूर स्थित सेंटर से ली है, जहां हर महीने क़रीब 150 विदेशी आते हैं। योग की हजारों वर्ष पुरानी इस शैली में श्वास-प्रश्वास के साथ मुद्राएं शामिल हैं। ‘विन्यास’ नामक इस प्रक्रिया में ख़ून में गर्मी दौड़ती है, वह साफ़ व पतला होता है। इससे जोड़ों के दर्द दूर होते हैं और आंतरिक अंगों से रोग व विषैले तत्व निकलते हैं। विन्यास से जन्मा पसीना इस जहर को शरीर से बाहर करता है।
इससे सभी तरह का सकरुलेशन इंप्रूव होता है, हल्की और मजबूत बॉडी मिलती है और मन शांत होता है। यही कारण है कि ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने इस योगा सेंटर को 2010 की मस्ट-विजिट सूची में शामिल किया है। ‘सूर्य नमस्कार’ से इसकी शुरुआत होती है।
अष्टांग योगा सेंटर की स्थापना के. पट्टाभि जोइस ने की थी और अब तो दुनियाभर में इसकी शाखाएं हैं। फिलहाल सेंटर की जिम्मेदारी संभाल रहे एस. जोइस बताते हैं, ‘हम मैसूर में महीने भर की गहन ट्रेनिंग देते हैं। इस कोर्स के लिए फीस 27,575 रुपए है और इसमें सिर्फ़ क्लास का ख़र्च सम्मिलित है, आवास और भोजन का नहीं। एक महीने के बाद अगले 30 दिनों के लिए फीस 17 हजार रुपए हो जाती है। हालांकि इंडियंस के बीच योग के प्रचार-प्रचार के लिए हमने फीस 5,000 रुपए रखी है।’
क्या है ख़ास : ‘त्रिस्थाना’ का अर्थ है, ध्यान दिए जाने वाले तीन स्थान। ये हैं- पोश्चर, श्वास तंत्र और दृष्टि। आसन के दौरान कहां देखना है, यह भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए नाक, नाभि, भांैहों के मध्य, हाथ, पैर आदि नौ जगहें तय हैं।
अधिक जानकारी के लिए www.kpjayi.org पर विजिट या 235, 8 क्रॉस, गोकुलम, थर्ड स्टेज, मैसूर पर संपर्क किया जा सकता है।
फोटो बदल सकता है जिंदगी
दूसरी तरफ़, बिजनेसवुमन रीता ढोडी योग की ही एक और शाखा सिद्ध योगा का अनुसरण करती हैं। वे बताती हैं कि वे 1992 से सिद्ध योग का पालन करने के साथ स्वामी मुक्तानंद के गणोशपुरी (जिला : थाणे, महाराष्ट्र) आश्रम का भी रेगुलर विजिट कर रही हैं। लेकिन उनकी साधना में नाटकीय मोड़ तब आया, जब 2000 में उन्होंने वहां 21 दिन की र्रिटीट अटैंड की। इसमें वे 13 दिनों तक पूरी तरह मौन रही थीं।
रीता कहती हैं कि उस दौरान मुझे जो अनुभव हुआ, वह ता जिंदगी याद रहेगा। बकौल रीता, ‘उस समय मुझ पर शक्तिपात हुआ, उस क्षण से मेरी पूरी जिंदगी ही बदल गई। उसके बाद से साधना को लेकर मेरा प्रयास, अनुशासन और प्रतिबद्धता गहरी और फोकस्ड हो गई। मैंने रोज सुबह मेडिटेशन शुरू कर दिया, कई र्रिटीट में गई और अन्य आध्यात्मिक पद्धतियों से भी लगातार जुड़ी रही। कुछ समय बाद रास्ता रोकने वाली पुरानी आदतें, छोटी सोच और प्रवृत्तियां ग़ायब होने लगीं। मैंने जाना कि ख़ुशी का असली स्रोत तो मेरे भीतर, मेरे दिल में ही है।’
क्या है ख़ास : गुरु के माध्यम से कुंडलिनी जागरण इस योग को औरों से अलग बनाता है। कुंडलिनी यानी आध्यात्मिक ऊर्जा, जो मेरुदंड के आधार पर सुप्त अवस्था में रहती है। गुरु से शिष्य में इस ऊर्जा को स्थानांतरण होता है, जो शक्तिपात कहलाता है। यह गुरु की आत्मशक्ति, दृष्टि, स्पर्श, किसी भी माध्यम से हो सकता है, यहां तक कि उसकी फोटो के जरिए भी। गुरु की तस्वीर सामने रखकर या ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए ध्यान लगाया जाता है।
सिद्ध योगा के बारे में अधिक जानकारी के लिए www.siddhayoga.org.in पर विजिट किया जा सकता है, या संपर्क करें : गुरुदेव सिद्धपीठ, पोस्ट: गणोशपुरी, जिला : थाणे (महाराष्ट्र)
जीवन जीने की कला
मशहूर टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस की पत्नी और मॉडल रिया पिल्लै आर्ट ऑफ लिविंग की इंस्ट्रक्टर हैं। रिया बताती हैं, ‘सहज समाधि मेडिटेशन आर्ट ऑफ लिविंग की तकनीक है, जो है तो बेहद साधारण, पर असरदार और शहरी जीवन की हाई स्ट्रेस लाइफ़ में काफ़ी कारगर भी है। यह इतनी सहज तकनीक है कि इसका प्रयोग क़रीब-क़रीब कहीं भी किया जा सकता है- काम के लिए जाते हुए, ट्रैफिक जाम में फंसे हुए, दो अपॉइंटमेंट्स के दौरान, कहीं भी। आपको बस 20 मिनट के समय की जरूरत होती है।’ रिया साफ़ करती हैं कि ज्यादा से ज्यादा असर के लिए आपको दिन में दो बार ध्यान लगाना होगा, एक बार सुबह और दूसरी बार शाम को।
क्या है ख़ास : सहज समाधि के तहत हर प्रतिभागी को एक मंत्र दिया जाता है, जिसके जाप से गहरा ध्यान लगाने में मदद मिलती है। इस तरह के ध्यान का मूल विचार है- ‘जाने दो’, यानी क्रोध व पिछली घटनाओं को जाने दो और भविष्य की इच्छाओं व योजनाओं को भी जाने दो।
सुदर्शन क्रिया : यह आर्ट ऑफ लिविंग का केंद्र है। यह सांस की सिंपल, रिद्मिक टेक्निक है। यह माना जाता है कि जीवन की एक लय होती है। हमें समय पर भूख लगती है, समय पर नींद आती है। उसी तरह विचारों की, सांस की भी लय होती है। जब शरीर, मन, विचार, सांस सब लय में चलते हैं, तो असली आनंद मिलता है।
ख़रीदकर ख़ुश नहीं होंगे
एक्टर-सिंगर रागेश्वरी का मानना है कि ज्यादातर इंसान ख़ुशियों से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि वे इसे ग़लत जगहों पर देखते हैं- टीवी, इंटरनेट और यहां तक कि वह विज्ञापन भी, जो कहता है- यदि आप इसे खाएंगे, तो ख़ुश हो जाएंगे, या ख़ुशी पाना चाहते हैं, तो इसे ख़रीद लीजिए। लेकिन ये सब फुर्र हो जाने वाली ख़ुशियां हैं और समग्र ख़ुशहाली को बढ़ाने में कोई ज्यादा योगदान नहीं देतीं। बकौल रागेश्वरी, ‘सन् 2000 में हिमाचल प्रदेश में एक बुद्धिमान लामा ने मुझसे कहा था- ‘शरीर, मन और आत्मा के सिद्धांत का पालन करो, बस।’ देखा जाए तो यह विज्ञान की तरह है।
मसलन, शरीर के लिए आपको वाक या वर्कआउट जैसी सिंपल एक्टिविटी करने की जरूरत है। माइंड को क्रिएटिव विजुअल की दरकार है। आप वैकेशन स्पॉट की कल्पना कर सकते हैं या एक हैप्पी बुक पढ़ सकते हैं, हैप्पी मूवी देख सकते हैं। आत्मा के मामले में यह लोगों को माफ़ करना है। ज्यादातर समय हमें पता ही नहीं होता कि हमारे भीतर कितना जहर भरा पड़ा है। मूलत: हम किसी को लेकर अपसेट होते हैं, तो हम ख़ुद को बदल रहे होते हैं, जबकि वह व्यक्ति तो आजाद होता है। इसलिए जाने दें और दुराग्रह न पालें। स्माइलिंग भी हैप्पीनेस का एक और टूल है। ख़ुशियों के लिए मेरी अन्य टेक्निक्स हैं- गार्डनिंग की जाए या बच्चों को खेलता देखा जाए।’ इससे तत्काल ख़ुशी मिलती है।
लेना नहीं, देना है लाइफ़
सिंगर शैरोन प्रभाकर का मानना है कि जब बेटी शहनाज (सेल्समेन ऑफ द ईयर फेम) का जन्म हुआ, तब उन्हें जिंदगी के नए मायने मिले। ‘उस समय तक मेरा मानना था कि मैं ख़ुशियों के बारे में जानती हूं, क्योंकि मेरी लाइफ़ में करियर से जुड़ी ढेर सारी सफलताएं थीं। लेकिन जब शहनाज आई, तो एक नए आनंद का जन्म हुआ। उस समय तक मेरी जिंदगी में सिर्फ़ लेना ही लेना था।
लेकिन यह देने के बारे में था, एक बिल्कुल नई एनर्जी।’ शैरोन बताती हैं कि हाल ही में उन्होंने आत्म साक्षात्कार की शुरुआत की। मैं ख़ुद को मान्यता देने बाहरी चीजों पर निर्भर थी, फिर मैं भीतर की ओर मुड़ी और बुद्धिज्म को पाया। इससे जीवन में स्पष्टता मिली और नैतिक मूल्यों, शांति का सही एहसास मिला।
अष्टांग योगा के आठ हिस्से हैं : यम (मोरल कोड्स), नियम (आत्म-शुद्धीकरण व अध्ययन), आसन, प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (संवेदन नियंत्रण), धारणा (कॉन्सनट्रेशन), ध्यान व समाधि। इसमें ‘त्रिस्थाना’ पर जोर है, यानी पोश्चर, सांस और आसन के दौरान नजर कहां रखनी है।
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