शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

दौलत और खुशियों से जिंदगी रोशन करे लक्ष्मी स्तुति

मातृ शक्ति के तीन रूपों में एक महालक्ष्मी की पूजा-उपासना लोक पंरपराओं में प्राय: धन-दौलत की परेशानियों को दूर करने का एक धार्मिक उपाय अधिक दिखाई देता है। जबकि माता लक्ष्मी प्रकाश की ही प्रतीक है और प्रकाश ज्ञान का यानि मां लक्ष्मी जागरण का संदेश देती है। दीपावली पर की जाने वाली रोशनी भी जागकर उठ खड़े होने को ही प्रेरित करती है। सरल शब्दों में जब आप विचार, व्यवहार, दृष्टि की मलीनता दूर कर सद्गुणों को अपनाने की शुरुआत करते हैं, तब खुशहाली के दरवाजे खुल जाते हैं। जिंदगी खुशियों की रोशनी से जगमगा जाती है। धार्मिक आस्था भी यही है कि खुले दरवाजों में माता लक्ष्मी प्रवेश करती है।

माता लक्ष्मी के आवाहन, ध्यान और प्रसन्नता के लिए धर्म शास्त्रों में तरह-तरह के सूक्त, स्त्रोत और मंत्र बताए गए हैं। इनमें से ही एक है लक्ष्मी स्तवन। इस लक्ष्मी स्तवन का पाठ हर लक्ष्मी पूजा, शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी पूजा, दीपावली, धनतेरस या अन्य किसी भी विशेष लक्ष्मी पूजा की आरंभ में करने पर वैभव, ऐश्वर्य के साथ मनोरथ पूर्ति करता है। संस्कृत भाषा या व्याकरण की जानकारी के अभाव में आप इसकी हिन्दी अर्थ का भी पाठ कर लक्ष्मी की प्रसन्नता से दरिद्रता दूर कर सकते हैं।
लक्ष्मी स्तवन -
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी ।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी ॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी ।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥




इस लक्ष्मी स्तवन का सरल अर्थ है - लाल कमल पर रहने वाली, अद्भुत आभा और कांतिवाली, असह्य तेजवाली, रक्त की भाति लाल रंग वस्त्र धारण करने वाली, मन को आनंदित करने वाली, समुद्रमंथन से प्रकट हुईं विष्णु भगवान की पत्नी, भगवान विष्णु को अति प्रिय, कमल से जन्मी है और अतिशय पूज्य मां लक्ष्मी आप मेरी रक्षा करें और मनोरथ पूरे कर जीवन वैभव और ऐश्वर्य से भर दे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें