जब दुर्योधन ने भीम को विष देकर गंगा में फेंक दिया तो उसे बड़ा हर्ष हुआ। शिविर के समाप्त होने पर सभी कौरव व पाण्डव भीम के बिना ही हस्तिनापुर के लिए रवाना हो गए। पाण्डवों ने सोचा कि भीम आगे चले गए होंगे। जब सभी हस्तिनापुर पहुंचे तो युधिष्ठिर ने माता कुंती से भीम के बारे में पूछा। तब कुंती ने भीम के न लौटने की बात कही। सारी बात जानकर कुंती व्याकुल हो गई तब उन्होंने विदुर को बुलाया और भीम को ढूंढने के लिए कहा। तब विदुर ने उन्हें सांत्वना दी और सैनिकों को भीम को ढूंढने के लिए भेजा।
उधर नागलोक में भीम आठवें दिन रस पच जाने पर जागे। तब नागों ने भीम को गंगा के बाहर छोड़ दिया। जब भीम सही-सलामत हस्तिनापुर पहुंचे तो सभी को बड़ा संतोष हुआ। तब भीम ने माता कुंती व अपने भाइयों के सामने दुर्योधन द्वारा विष देकर गंगा में फेंकने तथा नागलोक में क्या-क्या हुआ, यह सब बताया। युधिष्ठिर ने भीम से यह बात किसी और को नहीं बताने के लिए कहा। इसके बाद भी दुर्योधन ने कई बार भीम को मारने का षडय़ंत्र रचा लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाया।
पाण्डव सबकुछ जानकर भी विदुर की सलाह के अनुसार चुप ही रहे। जब धृतराष्ट्र ने देखा कि सभी राजकुमार खेल-कूद में ही लगे रहते हैं तो उन्होंने कृपाचार्य को उन्हें शिक्षा देने के लिए निवेदन किया। इस तरह कौरव व पाण्डव कृपाचार्य से धनुर्वेद की शिक्षा प्राप्त करने लगे।
उधर नागलोक में भीम आठवें दिन रस पच जाने पर जागे। तब नागों ने भीम को गंगा के बाहर छोड़ दिया। जब भीम सही-सलामत हस्तिनापुर पहुंचे तो सभी को बड़ा संतोष हुआ। तब भीम ने माता कुंती व अपने भाइयों के सामने दुर्योधन द्वारा विष देकर गंगा में फेंकने तथा नागलोक में क्या-क्या हुआ, यह सब बताया। युधिष्ठिर ने भीम से यह बात किसी और को नहीं बताने के लिए कहा। इसके बाद भी दुर्योधन ने कई बार भीम को मारने का षडय़ंत्र रचा लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाया।
पाण्डव सबकुछ जानकर भी विदुर की सलाह के अनुसार चुप ही रहे। जब धृतराष्ट्र ने देखा कि सभी राजकुमार खेल-कूद में ही लगे रहते हैं तो उन्होंने कृपाचार्य को उन्हें शिक्षा देने के लिए निवेदन किया। इस तरह कौरव व पाण्डव कृपाचार्य से धनुर्वेद की शिक्षा प्राप्त करने लगे।
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