मंगलवार, 26 जुलाई 2011

...और राजा की कोख से हुआ पुत्र का जन्म

युधिष्ठिर ने पूछा युवानश्व के पुत्र मान्धाता तीनों लोकों में प्रसिद्ध थे। उनका जन्म किस प्रकार हुआ है? लोमेश मुनि ने कहा राजा युवनाश्च इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न हुआ था। उसने एक सहस्त्र अश्वमेघ करके भी बहुत से यज्ञ किए और उन सभी में बहुत बड़ी-बड़ी दक्षिणाएं दी। अपने मंत्रियों को राज्य की बाघ डोर सौंपकर वे वन में रहने लगे। एक बार महर्षि भृगु ने पुत्र प्राप्त करने के लिए यज्ञ कराया। रात्रि के समय उपवास से गला सूख जाने के कारण राजा को बहुत प्यास लगी। उसने आश्रम के भीतर जाकर पानी मांगा।
जब लोग रात के समय जागरण से थककर गहरी नींद में थे। किसी ने उनकी आवाज न सुनी। महर्षि ने एक बड़ा जल का कलश रख था। राजा ने उसे पी लिया क्योंकि कुछ देर में तपोधन भृगुपुत्र के सहित सब मुनिजन उठे और उन सभी ने उस घड़े को जल से खाली देखा। तब उन सभी ने आपसे में मिलकर पूछा कि यह किसका काम है। इस पर युवनाश्व सच-सच कह दिया कि मेरा है। यह सुनकर भृगपुत्र ने कहा राजन् - यह काम अच्छा नहीं हुआ। तुम्हारे एक महान् बलवान पराक्रमी पुत्र उत्पन्न हो इसी उद्देश्य से ही मैंने यह जल अभिमंत्रित करके रखा है।
अब जो हो गया उसे भी पलटा नहीं जा सकता। अवश्य ही जो कुछ हुआ है वह दैवकी की ही प्रेरणा से हुआ है। तुमने प्यास के कारण अभिमंत्रित जल पिया है। इसीलिए अब तुम्हे ही प्रसव करना होगा। फिर सौ वर्ष बीतने के बाद राजा की बांयी कोख फाड़कर एक सूर्य जैसा ही तेजस्वी बालक निकला। ऐसा होने पर भी बहुत आश्चर्य हुआ कि इससे राजा की मौत नहीं हुई। इस पर बालक को देखने के लिए खुद इंद्र आए। उनसे देवताओं ने पूछा यह बालक क्या पीएगा। तब इन्द्र ने उसके मुंह में अंगुली डालकर कहा मेरी अंगुली पिएगा। इसीलिए उसका नाम मांधाता होगा।

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