युधिष्ठिर की आज्ञा मानकर भीम हिडिम्बा के साथ चले गए। हिडिम्बा भीम को आकाशमार्ग से लेकर उड़ गई। तब हिडिम्बा ने सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया और तरह-तरह से वह भीम को रिझाने लगी। हिडिम्बा भीमसेन से मीठी-मीठी बातें करते हुए पहाड़ों की चोटियों पर, जंगलों में, गुफाओं आदि में विहार करने लगी। समय आने पर हिडिम्बा ने एक पुत्र को जन्म दिया। उसका मुख विशाल, नुकीले दांत, तीखी दाढ़ें और विशाल शरीर था।
राक्षसों की माया से वह तुरंत ही जवान हो गया। उसके सिर पर बाल नहीं थे। भीम तथा हिडिम्बा ने उसके घट अर्थात सिर को उत्कच यानि केशहीन देखकर उसका नाम घटोत्कच रख दिया।
घटोत्कच पाण्डवों के प्रति बड़ी श्रद्धा और प्रेम रखता था तथा पाण्डव भी उस पर स्नेह रखते थे। इस प्रकार भीम की प्रतिज्ञा पूरी होने पर हिडिम्बा ने पाण्डवों को जाने के लिए हामी भर दी। तब घटोत्कच ने कुंती व पाण्डवों को नमस्कार कर पूछा कि मैं किस प्रकार आपकी सेवा कर सकता हूं।
घटोत्कच की बात सुनकर कुंती ने घटोत्कच से प्रेमपूर्वक कहा कि तू कुरुवंश में पैदा हुआ है और पाण्डवों का सबसे बड़ा पुत्र है। इसलिए समय आने पर इनकी सहायता करना। तब घटोत्कच ने कहा कि जब भी आप मेरा स्मरण करेंगे मैं तुरंत आपकी सेवा में उपस्थित हो जाऊंगा। ऐसा कहकर वह उत्तर दिशा की ओर चला गया।
राक्षसों की माया से वह तुरंत ही जवान हो गया। उसके सिर पर बाल नहीं थे। भीम तथा हिडिम्बा ने उसके घट अर्थात सिर को उत्कच यानि केशहीन देखकर उसका नाम घटोत्कच रख दिया।
घटोत्कच पाण्डवों के प्रति बड़ी श्रद्धा और प्रेम रखता था तथा पाण्डव भी उस पर स्नेह रखते थे। इस प्रकार भीम की प्रतिज्ञा पूरी होने पर हिडिम्बा ने पाण्डवों को जाने के लिए हामी भर दी। तब घटोत्कच ने कुंती व पाण्डवों को नमस्कार कर पूछा कि मैं किस प्रकार आपकी सेवा कर सकता हूं।
घटोत्कच की बात सुनकर कुंती ने घटोत्कच से प्रेमपूर्वक कहा कि तू कुरुवंश में पैदा हुआ है और पाण्डवों का सबसे बड़ा पुत्र है। इसलिए समय आने पर इनकी सहायता करना। तब घटोत्कच ने कहा कि जब भी आप मेरा स्मरण करेंगे मैं तुरंत आपकी सेवा में उपस्थित हो जाऊंगा। ऐसा कहकर वह उत्तर दिशा की ओर चला गया।
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