शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

पूजा के समय मंत्र बोलना जरूरी क्यों होता है?

हिन्दू धर्म में पूजा करने को बहुत महत्व दिया जाता है। छोटे या बड़े किसी भी तरह के उत्सव या आयोजन के प्रारंभ से पहले पूजा या अनुष्ठान जरूर किया जाता है। पूजा या अनुष्ठान चाहे किसी भी देवता का हो बिना मंत्र जप के पूरा नहीं होता है। लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि पूजन के समय मंत्र जप क्यों किया जाता है? दरअसल मंत्र एक ऐसा साधन है, जो मनुष्य की सोई हुई सुषुप्त शक्तियों को सक्रिय कर देता है। मंत्रों में अनेक प्रकार की शक्तियां निहित होती है, जिसके प्रभाव से देवी-देवताओं की शक्तियों का अनुग्रह प्राप्त किया जा सकता है। रामचरित मानस में मंत्र जप को भक्ति का पांचवा प्रकार माना गया है।
मंत्र जप से उत्पन्न शब्द शक्ति संकल्प बल तथा श्रद्धा बल से और अधिक शक्तिशाली होकर अंतरिक्ष में व्याप्त ईश्वरीय चेतना के संपर्क में आती है। जिसके फलस्वरूप मंत्र का चमत्कारिक प्रभाव साधक को सिद्धियों के रूप में मिलता है।शाप और वरदान इसी मंत्र शक्ति और शब्द शक्ति के मिश्रित परिणाम हैं। साधक का मंत्र उच्चारण जितना अधिक स्पष्ट होगा, मंत्र बल उतना ही प्रचंड होता जाएगा।वैज्ञानिकों का भी मानना है कि ध्वनि तरंगें ऊर्जा का ही एक रूप है। मंत्र में निहित बीजाक्षरों में उच्चारित ध्वनियों से शक्तिशाली विद्युत तरंगें उत्पन्न होती है जो चमत्कारी प्रभाव डालती हैं।

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