छत्तीसगढ़ी फिल्मो को बढ़ावा नहीं मिला
रायपुर। मन में लगन और दृढ़ इच्छा हो तो कोई भी काम असंभव नहीं होता। टीवी देख- देखकर मैंने भी फिल्मो में काम करने की सोची थी और आज सबके सामने हूँ। यह कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में माँ और भाभी की भूमिका निभाने वाली श्वेता शर्मा का। अपनी असल जिंदगी में भी भारी उतार चढ़ाव देखने वाली श्वेता कहती है कि सरकार का सहयोग मिले तो छत्तीसगढ़ी फिल्मो के भी दिन बाहर जाएंगे। छत्तीसगढ़ में भी अच्छी अच्छी जगहें हैं जहां फिल्मो की शूटिंग की जा सकती है। श्वेता से हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।
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एक मुलाक़ात - अरुण कुमार बंछोर
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0 आपने फिल्मो में आने की कैसे सोची?
00 टीवी प्रोग्राम देखकर। मुझे भी लगा की फिल्मो में काम करना चाहिए। जब तीवफी देखती थी तो मुझे लगता था कि ऐसा रोल तो मै भी कर सकती हूँ।
0 क्या आपने इसके लिए कोई ट्रेनिंग ली है ?
00 बिलकुल नहीं ली है। बचपन से ही डांस करती रही हूँ। जब 5 साल की थी तब से मना में इच्छा थी कि में भी अपनी कला का प्रदर्शन करूँ।
0 बिना प्रशिक्षण के यह कैसे संभव हो पाया ?
00 मन में लगन और दृढ़ इच्छा हो तो कोई भी काम असंभव नहीं होता। टीवी देख- देखकर मैंने भी फिल्मो में काम करने की सोची थी और आज सबके सामने हूँ।
0 आपने अभी तक कितने फिल्मे की है? और कैसा अनुभव रहा है?
00 मैंने अभी तक 9 छत्तीसगढ़ी फिल्मे की है और अभी एक भोजपुरी फिल्मे कर रही हूँ। और अच्छा मौका मिले तो और अच्छा काम करूंगी।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मो में आप माँ और भाभी का ही रोल करती हैं, क्या कभी मन में नहीं आया की और भी अच्छा रोल करूँ ?
00 मै अपनी भूमिका से संतुष्ट हूँ। सभी बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला है। और छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में मैं खुश हूँ।
0 ऐसा कोई ख़ास भूमिका बताईये जिसमे आपको ज्यादा अच्छा लगा हो?
00 फिल्म गोहार रामराज में मै मंत्री जी की पत्नी की भूमिका में हूँ और फिल्म मोहनी में ठकुराइन बनी हूँ वो मुझे बहुत अच्छा लगा। मोहनी में तो मैंने खूब दबंगई की है और आखिऱी में अपने ही भाई को गोली मार देती हूँ।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मे ज्यादा क्यों नहीं ताकीजों में टिक पाती ?
00 कई कारण है कहानी अच्छी हो,फूहड़पन ना हो, तो फिल्मे चलेंगी। कई फिल्मे सुपर-डुपर रही हैं। फिर सरकार का सहयोग भी तो नही मिल पाता । यहां इतने अच्छे लोकेशन होने के बाद भी फिल्मो की शूटिंग नहीं होती। फिल्म टेटकूराम की शूटिंग बाहर हुई है।
0 क्या अपने बच्चों को भी फिल्मो में लाएंगी ?
00 नहीं ये बच्चे ही फैसला करेंगे ,की उन्हें आगे चलकर क्या करना है।
0 असल जिंदगी में आपने बहुत है तो क्या ऐसी कोई फिल्म में भी काम की है?
00 हाँ फिल्म चुभन है जिसमे मैंने लीड रोल की है। उसमे एक महिला पर होने वाली अत्याछार का बखूबी से चित्रण किया गया है। मेरा काफी शोषण होता है और मै दो बार बिकती हूँ । वो एक अच्छे फिल्म बनी है, करना मुझे बहुत अच्छा लगा है।
रायपुर। मन में लगन और दृढ़ इच्छा हो तो कोई भी काम असंभव नहीं होता। टीवी देख- देखकर मैंने भी फिल्मो में काम करने की सोची थी और आज सबके सामने हूँ। यह कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में माँ और भाभी की भूमिका निभाने वाली श्वेता शर्मा का। अपनी असल जिंदगी में भी भारी उतार चढ़ाव देखने वाली श्वेता कहती है कि सरकार का सहयोग मिले तो छत्तीसगढ़ी फिल्मो के भी दिन बाहर जाएंगे। छत्तीसगढ़ में भी अच्छी अच्छी जगहें हैं जहां फिल्मो की शूटिंग की जा सकती है। श्वेता से हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।
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एक मुलाक़ात - अरुण कुमार बंछोर
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0 आपने फिल्मो में आने की कैसे सोची?
00 टीवी प्रोग्राम देखकर। मुझे भी लगा की फिल्मो में काम करना चाहिए। जब तीवफी देखती थी तो मुझे लगता था कि ऐसा रोल तो मै भी कर सकती हूँ।
0 क्या आपने इसके लिए कोई ट्रेनिंग ली है ?
00 बिलकुल नहीं ली है। बचपन से ही डांस करती रही हूँ। जब 5 साल की थी तब से मना में इच्छा थी कि में भी अपनी कला का प्रदर्शन करूँ।
0 बिना प्रशिक्षण के यह कैसे संभव हो पाया ?
00 मन में लगन और दृढ़ इच्छा हो तो कोई भी काम असंभव नहीं होता। टीवी देख- देखकर मैंने भी फिल्मो में काम करने की सोची थी और आज सबके सामने हूँ।
0 आपने अभी तक कितने फिल्मे की है? और कैसा अनुभव रहा है?
00 मैंने अभी तक 9 छत्तीसगढ़ी फिल्मे की है और अभी एक भोजपुरी फिल्मे कर रही हूँ। और अच्छा मौका मिले तो और अच्छा काम करूंगी।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मो में आप माँ और भाभी का ही रोल करती हैं, क्या कभी मन में नहीं आया की और भी अच्छा रोल करूँ ?
00 मै अपनी भूमिका से संतुष्ट हूँ। सभी बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला है। और छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में मैं खुश हूँ।
0 ऐसा कोई ख़ास भूमिका बताईये जिसमे आपको ज्यादा अच्छा लगा हो?
00 फिल्म गोहार रामराज में मै मंत्री जी की पत्नी की भूमिका में हूँ और फिल्म मोहनी में ठकुराइन बनी हूँ वो मुझे बहुत अच्छा लगा। मोहनी में तो मैंने खूब दबंगई की है और आखिऱी में अपने ही भाई को गोली मार देती हूँ।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मे ज्यादा क्यों नहीं ताकीजों में टिक पाती ?
00 कई कारण है कहानी अच्छी हो,फूहड़पन ना हो, तो फिल्मे चलेंगी। कई फिल्मे सुपर-डुपर रही हैं। फिर सरकार का सहयोग भी तो नही मिल पाता । यहां इतने अच्छे लोकेशन होने के बाद भी फिल्मो की शूटिंग नहीं होती। फिल्म टेटकूराम की शूटिंग बाहर हुई है।
0 क्या अपने बच्चों को भी फिल्मो में लाएंगी ?
00 नहीं ये बच्चे ही फैसला करेंगे ,की उन्हें आगे चलकर क्या करना है।
0 असल जिंदगी में आपने बहुत है तो क्या ऐसी कोई फिल्म में भी काम की है?
00 हाँ फिल्म चुभन है जिसमे मैंने लीड रोल की है। उसमे एक महिला पर होने वाली अत्याछार का बखूबी से चित्रण किया गया है। मेरा काफी शोषण होता है और मै दो बार बिकती हूँ । वो एक अच्छे फिल्म बनी है, करना मुझे बहुत अच्छा लगा है।
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