सोमवार, 2 नवंबर 2015

एक ऐसा गाँव जहां 75 हजार से भी ज्यादा नीम पेड़ है

देश में सर्वाधिक नीम पेड़ों वाले टॉप 5 गाँवों में शामिल है गाँव सलोनी 
सन स्टार स्पेशल - अरुण कुमार बंछोर
रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक ऐसा गाँव है जहां आप जिधर भी जाओ सिर्फ नीम के ही पेड़ नजऱ आएंगे। इस गाँव को नीम गाँव भी कहा जाता है। सबसे मजेदार और गंभीर बात यह है कि इस गाँव के लोग कभी बड़े बीमारी से ग्रसित नहीं होते हैं। क्योंकि नीम को भारत में 'गांव का दवाखानाÓ कहा जाता है।

नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। यहाँ तक कि यह अपने औषधीय गुणों की वजह से आयुर्वेदिक मेडिसिन में पिछले चार हजार सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है। नीम को संस्कृत में 'अरिष्टÓ भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, 'श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।Óजी हाँ हम बात कर रहे है धमतरी जिले के गाँव सलोनी की ,जो देश में सर्वाधिक नीम पेड़ों वाले टॉप 5 गाँवों में शामिल है। लगभग 450 घरों वाले गाँव में 75 हजार से अधिक नीम पेड़ है। इसका श्रेय जाता है सरपंच वामन साहू को जिन्होंने हर तरफ नीम पेड़ का ही वृक्षारोपण कराया। सलोनी को हराभरा गाँव का भी दर्जा प्राप्त है। सन 2009 में तात्कालीन वन मंत्री विक्रम उसेंडी इस गाँव को देखकर हतप्रभ रह गए थे । मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी इस गाँव की सराहना कर चुके है।

छत्तीसगढ़ के सिहावा नगरी ब्लाक का गांव सलोनी में आप जहां भी जाएंगे नीम पेड़ ही आपका स्वागत करेगा। सड़क के दोनों और नीम पेड़ सुन्दरता का एक मिसाल है। गाँव की खाली जमीन पर एक दो नहीं बल्कि कई वृक्षारोपण है,जिसमे नीम का ही पेड़ है। नीम पेड़ के साथ साथ कहीं कही पर फलदार और औषधीय पौधे लगाए गए हैं। ये इस बात का प्रतीक है कि गाँव के ;लोग पर्यावरण के प्रति कितने जागरूक है। हमने सरपंच वामन साहू के साथ पूरे वृक्षारोपण का अवलोकन किया। उन्होंने बताया कि अपने 25 साल के राजनीतिक जीवन में उन्होंने सिफर पेड़ों से ही प्यार किया है। गाँव में पहले कुछ भी नहीं था। जब सड़कें बनी तब वन विभागों के अफसरों से आग्रह कर सड़क के दोनों किनारे पर नीम पेड़ का रोपण कराया। खुद उसकी देखभाल की। पहले अफसर कहते थे यहां पेड़ नहीं जी पाएंगे आज वही अफसर इस गाँव की तारीफ़ करते नहीं थकते हैं। क्योकि इस गाँव की जमीन पथरीली है जिसमे पेड़ पौधे कम ही जि़ंदा रह पाते है। ओर गाँव वालों की मेहनत और पर्यावरण के प्रति प्यार ने गाँव को हरा भरा बना दिया है।
नीम पेड़ ही क्यों ,फलदार पौधे क्यों नहीं लगाए। इसके जवाब में सरपंच साहू का कहना है कि नीम के अर्क में मधुमेह यानी डायबिटिज, बैक्टिरिया और वायरस से लडऩे के गुण पाए जाते हैं। नीम के तने, जड़, छाल और कच्चे फलों में शक्ति-वर्धक और मियादी रोगों से लडऩे का गुण भी पाया जाता है। इसकी छाल खासतौर पर मलेरिया और त्वचा संबंधी रोगों में बहुत उपयोगी होती है। वे कहते हैं कि आने वाले समय में पत्ते,नीम के फल हमारे गाँव के लिए अर्थ का जरिया बनेगा। सोच अच्छी है क्योकि नीम के पत्ते भारत से बाहर 34 देशों को निर्यात किए जाते हैं। इसके पत्तों में मौजूद बैक्टीरिया से लडऩे वाले गुण मुंहासे, छाले, खाज-खुजली, एक्जिमा वगैरह को दूर करने में मदद करते हैं। इसका अर्क मधुमेह, कैंसर, हृदयरोग, हर्पीस, एलर्जी, अल्सर, हिपेटाइटिस (पीलिया) वगैरह के इलाज में भी मदद करता है। नीम के बारे में उपलब्ध प्राचीन ग्रंथों में इसके फल, बीज, तेल, पत्तों, जड़ और छिलके में बीमारियों से लडऩे के कई फायदेमंद गुण बताए गए हैं।

 आजकल हमारी जिन्दगी में देसी नुस्खो का कोई खास स्थान तो नहीं है क्योंकि अमूमन सभी लोग अंग्रेजी दवाओं पर अधिक से अधिक निर्भर है शायद इसलिए कि वो जल्दी असर करती है 7 मेरा मानना है कि शायद ऐसा नहीं है आप अगर गौर से देखें तो हमारे आस पास पर्यावरण ने हमे बहुत से औषधियुक्त पौधे दिए है
जिनके इस्तेमाल से हम कुछ छोटी मोटी परेशानियो को बड़ी आसानी से दूर कर सकते है और नीम भी उनमे से एक है 7 साथ ही कुछ गंभीर बीमारीओं में भी समय के साथ उचित मार्गदर्शन में अगर हम औषधि युक्त पौधों का सेवन करते है तो उनसे निजात पाई जा सकती है 7
वामन साहू सरपंच सलोनी


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