मया 2 से काफी उम्मीदें हैं, छत्तीसगढ़ी फिल्मों की पायरेसी नहीं
- अरुण कुमार बंछोर
छत्तीसगढ़ फिल्मों के सुपेर स्टार प्रकाश अवस्थी का कहना है कि थियेटर में प्रदर्शन के अलावा और किन- किन तरीकों से आय हो सकती है इस विषय पर विचार कर उसके आय के संसाधन बढ़ाने होंगे। उन्हें अपनी आने वाली फिल्म मया 2 से काफी उम्मीदें हैं। वे कहतें हैं कि ये अच्छी बात है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों की पायरेसी नहीं हो रही है। जबकि हिन्दी फिल्मों की पायरेटेड सीडी एक हफ्ते बाद बाजार में उपलब्ध हो जाती है। लेकिन क्षेत्र छोटा होने की वजह से वीडियो राइट्स से ज्यादा आमदनी भी नहीं होती है। इस क्षेत्र में और कारपोरेट कंपनियां आयेंगी तब हो सकता है कि प्रतिस्पर्धा में कुछ हो। मया, टूरा रिक्शा वाला, टूरा अनाड़ी तभो खिलाड़ी,दू लफाडू जैसी सुपर हिट फिल्मों में हीरो से सुपर स्टार बने प्रकाश अवस्थी इन दिनों पहली छत्तीसगढ़ी सीक्वल फिल्म मया टू का निर्माण कर रिलीज की तैयारी में जुटे है। वे इस फिल्म के निर्देशक भी हैं। छत्तीसगढ़ी के अलावा बंगला फिल्म,भोजपुरी और हिन्दी फिल्म अग्निशिक्षा में कार्य किया हैं। श्री अवस्थी से हमने हर पहलूओं पर बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के अंश।
0 मया 2 आपकी दिवाली ने आ रही है उसमे दर्शकों के लिए ऐसा क्या है ?
00 मया टू में पारिवारिक स्टोरी के अलावा कामेडी के तड़के के साथ मसाला मूवी से लोगों को मनोरंजन होगा यह उम्मीद है।यह दो भाईयों की कहानी वाली एक बेहतरीन फिल्म है।
0 मया 2 में आपकी भूमिका क्या है?
00 मया 2 में मैं मुख्य भूमिका में हूँ। यह एक पारिवारिक कहानी है। दो भाई है जिसके प्यार और टकराव को लेकर बनाया गया है।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा भोजपुरी और उडिय़ा फिल्मो की भी यहां शूटिंग होने लगी है। वहां के कलाकार भी यहां की फिल्मो में काम कर रहे है। क्या यहां कलाकारों की कमी है?
00 छत्तीसगढ़ी सिनेमा में शौकिया तौर पर फिल्म बनाने वाले लोग बड़ी संख्या में आ रहे है। कई भाषाओं में क्षेत्रीय फिल्म निर्माण से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की आउट सोर्सिंग हुई है भोजपुरी, और उडिय़ा से नया बाजार मिला है इसी तरह और भी तरीके ईजाद करने से इंडस्ट्रीज के सभी लोगों का भला होगा। यहां कलाकारों की कतई कमी नहीं है।
0 आपने भोजपुरी और बंगाली फिल्मे भी की है तो उस ओर रुझान कैसे हुआ?
00 श्रेय जी की फिल्म चिंगारी के जरिये मैं फिल्मो में आया था। उन्होंने मेरा काम कई फिल्मो में देखा था उन्होंने ऑफर दिया और मैंने काम शुरू कर दिया । मैंने चिंगारी की शूटिंग ख़त्म ही किया था तभी केडी ने मुझे टिपटॉप लैला अंगूठा छाप छैला के लिए ऑफर दिया। इस तरह भोजपुरी फिल्मो में एंट्री हुई।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के आपको सुपरस्टार मना जाता है , क्या यही मुकाम आप वहां भी बना पाएंगे?
00 दोनों ही जगहों का माहौल अलग अलग है। मन में दृढ़ इच्छा हो तो सब संभव है। मैंने बहुत कोशिश की है। सतीश जैन जी मेरे डायरेक्टर होते तो शायद मैं भी सुपर स्टार बन जाता।
0 आप किस तरह का रोल करना पसंद करते है?
00 मुझे सभी तरह का लीड रोल पसंद है। नेचुरल रोल ही करना चाहूँगा।
0 आगे की क्या योजना है.कौन सी फिल्म बनाएंगे?
00 आगे भी फिल्म बनाता रहूँगा। निर्देशन तो मैंने मजबूरी म किया है। मैं चाहता हूँ की और डायरेक्टर आये और फिल्म बनाये।
0 सरकार से छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को कैसी मदद की अपेक्षा करते हैं ?
00 छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा। उद्योगों की तरह रियायती दर में जमीन और उस पर कामर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति से नहीं कंपनियां सिनेमाघरों के निर्माण के लिए आकर्षित हो सकती है।
- अरुण कुमार बंछोर
छत्तीसगढ़ फिल्मों के सुपेर स्टार प्रकाश अवस्थी का कहना है कि थियेटर में प्रदर्शन के अलावा और किन- किन तरीकों से आय हो सकती है इस विषय पर विचार कर उसके आय के संसाधन बढ़ाने होंगे। उन्हें अपनी आने वाली फिल्म मया 2 से काफी उम्मीदें हैं। वे कहतें हैं कि ये अच्छी बात है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों की पायरेसी नहीं हो रही है। जबकि हिन्दी फिल्मों की पायरेटेड सीडी एक हफ्ते बाद बाजार में उपलब्ध हो जाती है। लेकिन क्षेत्र छोटा होने की वजह से वीडियो राइट्स से ज्यादा आमदनी भी नहीं होती है। इस क्षेत्र में और कारपोरेट कंपनियां आयेंगी तब हो सकता है कि प्रतिस्पर्धा में कुछ हो। मया, टूरा रिक्शा वाला, टूरा अनाड़ी तभो खिलाड़ी,दू लफाडू जैसी सुपर हिट फिल्मों में हीरो से सुपर स्टार बने प्रकाश अवस्थी इन दिनों पहली छत्तीसगढ़ी सीक्वल फिल्म मया टू का निर्माण कर रिलीज की तैयारी में जुटे है। वे इस फिल्म के निर्देशक भी हैं। छत्तीसगढ़ी के अलावा बंगला फिल्म,भोजपुरी और हिन्दी फिल्म अग्निशिक्षा में कार्य किया हैं। श्री अवस्थी से हमने हर पहलूओं पर बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के अंश।
0 मया 2 आपकी दिवाली ने आ रही है उसमे दर्शकों के लिए ऐसा क्या है ?
00 मया टू में पारिवारिक स्टोरी के अलावा कामेडी के तड़के के साथ मसाला मूवी से लोगों को मनोरंजन होगा यह उम्मीद है।यह दो भाईयों की कहानी वाली एक बेहतरीन फिल्म है।
0 मया 2 में आपकी भूमिका क्या है?
00 मया 2 में मैं मुख्य भूमिका में हूँ। यह एक पारिवारिक कहानी है। दो भाई है जिसके प्यार और टकराव को लेकर बनाया गया है।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा भोजपुरी और उडिय़ा फिल्मो की भी यहां शूटिंग होने लगी है। वहां के कलाकार भी यहां की फिल्मो में काम कर रहे है। क्या यहां कलाकारों की कमी है?
00 छत्तीसगढ़ी सिनेमा में शौकिया तौर पर फिल्म बनाने वाले लोग बड़ी संख्या में आ रहे है। कई भाषाओं में क्षेत्रीय फिल्म निर्माण से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की आउट सोर्सिंग हुई है भोजपुरी, और उडिय़ा से नया बाजार मिला है इसी तरह और भी तरीके ईजाद करने से इंडस्ट्रीज के सभी लोगों का भला होगा। यहां कलाकारों की कतई कमी नहीं है।
0 आपने भोजपुरी और बंगाली फिल्मे भी की है तो उस ओर रुझान कैसे हुआ?
00 श्रेय जी की फिल्म चिंगारी के जरिये मैं फिल्मो में आया था। उन्होंने मेरा काम कई फिल्मो में देखा था उन्होंने ऑफर दिया और मैंने काम शुरू कर दिया । मैंने चिंगारी की शूटिंग ख़त्म ही किया था तभी केडी ने मुझे टिपटॉप लैला अंगूठा छाप छैला के लिए ऑफर दिया। इस तरह भोजपुरी फिल्मो में एंट्री हुई।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के आपको सुपरस्टार मना जाता है , क्या यही मुकाम आप वहां भी बना पाएंगे?
00 दोनों ही जगहों का माहौल अलग अलग है। मन में दृढ़ इच्छा हो तो सब संभव है। मैंने बहुत कोशिश की है। सतीश जैन जी मेरे डायरेक्टर होते तो शायद मैं भी सुपर स्टार बन जाता।
0 आप किस तरह का रोल करना पसंद करते है?
00 मुझे सभी तरह का लीड रोल पसंद है। नेचुरल रोल ही करना चाहूँगा।
0 आगे की क्या योजना है.कौन सी फिल्म बनाएंगे?
00 आगे भी फिल्म बनाता रहूँगा। निर्देशन तो मैंने मजबूरी म किया है। मैं चाहता हूँ की और डायरेक्टर आये और फिल्म बनाये।
0 सरकार से छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को कैसी मदद की अपेक्षा करते हैं ?
00 छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा। उद्योगों की तरह रियायती दर में जमीन और उस पर कामर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति से नहीं कंपनियां सिनेमाघरों के निर्माण के लिए आकर्षित हो सकती है।
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