सोमवार, 11 मई 2015

गुड नाईट शायरी

मीठी-मीठी यादों को  पलकों में सजा लेना
साथ गुजारे पल को पलकों में बसा लेना
दिल को फिर भी न मिले सुकून तो
मुस्कुरा के मुझे अपने सवाप्नो में बुला लेना ....!
"शुभ-रात्रि "



हर रात में आपके पास उजाला हो
हर कोई आपका चाहने वाला हो
रात गुजर जाये उनके सपनों के सहारे
ऐसा कोई आपके स्वप्नों को सजाने वाला हो ...!
" शुभ-रात्रि "



सितारे चाहते है कि रात आये
हम क्या लिखे कि आपका जबाब आये
सितारों जैसी चमक तो नही मुझमे
हम क्या करे कि आपको मेरी याद आये ..!
"शुभ-रात्रि "


उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती है
उसकी प्यारी आँखे हमे दुनिया भुला देती है
आएगी आज भी वो मेरे स्वप्नों में यारों
बस यही उम्मीद हमे रोज़ सुला देती है ...!
"शुभ-रात्रि "


 आँखों ही आँखों में बात होने दो
मुझे मीठे-मीठे सपनो में सो जाने दो.!!
शुभ रात्री साथियों,

 आपको प्यार करने से दर लगता है
आपको खोने से डर लगता है
कही आँखों से गम न हो जाये यादे
अब सोच रात को सोने से डर लगता है .!
शुभ रात्रि

गम ने हसने न दिया ज़माने ने रोने न दिया
इस उलझन ने चैन से जीने न दिया
थक के जब सितारों से पनाह ली तब
नीद आई तो तेरी याद ने सोने नही दिया ..!
शुभ रात्रि 


 लोग न जाने किस तरह की रंगीन रातों की चाहत रखा करते है
मेरी रात तो वही सुन्दर जो अपनों के ख्यालो में बिता करते है ...!
शुभ रात्रि


 कीताब पढ़ने के लिए होती है उसमे सिर्फ़ तकते हो क्यों
रात सोने के लिए होती है ऱोज देर रात जगते हो क्यों ..!
 शुभ रात्रि 

 सुन्दर मधुर स्वप्नों की बारात गुजर गयी यारा
बातों ही बातों में देखो आधी रात गुजर गयी यारा ..!
 शुभ रात्रि 


 हवा से लिपटी हुई सिसकियों से लगता है, मेरी "दर्द" की कहानी किसी और ने भी दोहराई ...
दोस्ती के खातिर ही सही, देर अब न लगा "शुभ संध्या" बोल दे मेरे भाई ....!


 आप इस तस्वीर की ख़ूबसूरती को निहारते रहिये
हो गयी है अर्धरात्रि,मुझे शुभ रात्रि कहते रहिये ...!

 उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती है
उसकी प्यारी आँखे हमे दुनिया भुला देती है
आएगी आज भी वो मेरे स्वप्नों में यारों
बस यही उम्मीद हमे रोज़ सुला देती है ...!
 शुभ रात्रि


गुड नाईट को बोली हूँ पहले उनको सुला के आओ
फिर धीरे से, हौले से मेरी आँखों में बश जाओ ...!
शुभ रात्रि ...!

रोमांटिक शायरी






एक आरज़ू सी दिल में अक्सर छुपाये फिरता हूँ
प्यार करता हूँ तुझसे पर कहने से डरता हूँ
कही नाराज़ न हो जाओ मेरी गुस्ताखी से तुम
इसलिए खामोश रहके भी तेरी धडकनों को सुना करता हूँ ...!
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दीवाने है तेरे नाम के इस बात से इंकार नही
कैसे कहे तुमसे प्यार नही कुछ तो कसूर है आपकी
आँखों का अकेले तो गुनाहगार नही ...!
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खोया हूँ तुम्हारे ख्यालो में जमाने का कोई होश नही
न समझो मुझे तुम दीवाना इतना भी मै मदहोश नही
चला तेरा जादू कुछ ऐसा धड़कन मेरी खामोश नही
नज़रे बन गई अब तेरी मुहमे इनका आधोश नही ...!
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 फूल से किसी ने पूछा, तू ने सब को खुश्बू दी
पर तुझे क्या मिला, फूल ने कहा :
देना लेना तो व्यापार है, जो देकर कुछ ना माँगे,
वो प्यार है..........!!
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 कोई नजरो से इशारा कर लेता है
कोई आँखों से कुछ कह देता है
बड़ा ही मुश्किल हो जाता है जबाब देना
जब कोई इंग्लिश में कुछ लिख देता है ..!!
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आईना देखोगे तो मेरी याद आएगी
साथ गुज़री वो मुलाकात याद आएगी
पल भर क लिए वक़्त ठहर जाएगा,
जब आपको मेरी कोई बात याद आएगी..!!
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 जा सकी ना मै दूर और वो आये ना करीब ,
मेहरबान कैसे हो जाता मेरी मुहब्बत पर मेरा नसीब ..!!
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बिन देखे तेरी तस्वीर बना सकते है
बिन मिले तेरा हल बता सकते है
हमारे प्यार में इतना दम है कि
तेरे आँसू अपनी आँखों से गिरा सकते है ..!
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बहुत खूबसूरत है आँखे तुम्हारी
इन्हें बना दो किस्मत हमारी
हमे नही चाहिए ज़माने कि खुशियाँ
अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी ...!
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आपकी जुदाई भी हमे प्यार करती है
आपकी यादे भी हमे बेक़रार करती है
जाते जाते कही भी हो जाए मुलाकात आपसे
तलास आपको ये नज़र बार बार करती है ...!
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वो आपका पलके झुका के मुस्कुराना
वो आपका नज़रे झुका के शर्मना
वैसे आपको पता है या नही हमे पता नही
पर इस दिल को मिल गया उसका नजराना ..!
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गुज़र रहे है आज इश्क के उस मुकाम से
नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से
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माना कि मर जाने पर भुला दिए जाते है लोग ज़माने में
पर मै अभी जिन्दा हूँ फिर कैसे उसने मुझे भुला दिया ...!
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तुम्हारी जिद बेमानी है दिल ने हार कब मानी है
कर ही लेगा एक दिन बश में तुम्हे आदत इसकी पुरानी है ...!!
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मैंने अपनी हर एक साँस तुम्हारी गुलाम कर रखी है
लोगो ने ये जिन्दगी बदनाम कर राखी है
अब ये आइना भी किस काम का मेरे
मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी है ..!
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तेरी आवाज कि शहनाइयों से प्यार करते है
तस्सबुर मई तेरे तनहाइयों से प्यार करते है
जो मेरे नाम से तेरे नाम को जोड़े ज़माने वाले
अव हम उन चर्चो से भी प्यार करते है ..!
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 जो बात आज तक मै कह न सकी लो आज वो सबके सामने कहती हूँ
जो चेहरा तुम आईने में रोज देखते हो उसी से प्यार मै करती हूँ ...!
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 छुपके जो उनसे मिलती रही तो दोष क्या हमारा
कुछ अपनी जरूरत और कुछ होता उनका इशारा ...!
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रहो मेरी जुल्फों के साये में आज तुम रहो
और टूट के मुझे प्यार करो
आज मै मै न रहूँ आज मै तुम हो जाऊ
अपने प्यार से ऐसा मेरा श्रृंगार करो ...!
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 एक दीवाने की जव निकली दिल की बात
दर्द को मिला पी गया पानी के साथ...रिया ..!
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मै तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती
मै जवाब बनता अगर तू सवाल होती
सब जानते है मैं नशा नही करता,
मगर मै भी पी लेता अगर तू शराब होती....!
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♥ ♥ आँखों से देखा दिल से दुहाई नजर की कीमत हमने चुकाई ♥ ♥
♥ ♥ एक कमी थी जो मेरे दिल के महल में उसमे तेरी तस्वीर लगाई ..! ♥ ♥
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 मेरे अपने जिन्दगी का यही एक वसूल है
जब तू कबूल है तो तेरा सब कुछ कबूल है ...!
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घर से बाहर कोलेज जाने के लिए वो नकाब मे निकली
सारी गली उनके पीछे निकली
इनकार करते थे वो हमारी मोहबत से
और हमारी ही तसवीर उनकी किताब से निकली……!

शुक्रवार, 1 मई 2015

खुले में निबटने वालों से निबटती लट्ठमार महिलाएँ


"तीन बजे भोरवा में चलली सड़किया के सफाई में चला हे सखिये उठा रोड के सफाई में,हाथ में लेली टरचवा, हाथ में लेली डंडवा, चला हे सखिये उठा रोड के सफाई में...”बिहार के नालंदा इलाक़े में तड़के सुबह महिलाएं ये गीत गाती सड़कों पर निकलती हैं.महिलाओं की ये टोली पहरे पर निकली है, जिसका मक़सद है खुले में शौच करने वालों को खदेड़कर आबादी वाले इलाक़ों से दूर करना.
नालंदा ज़िले के अरौत गाँव की 16 महिलाओं की ये पहरेदारी इलाक़े के लोगों को सफ़ाई का पाठ पढ़ाने के लिए है.गाँव में लगभग पौने तीन सौ घर हैं, लेकिन ज़्यादातर घरों में शौचालय नहीं. ऐसे में औरत-मर्द दोनों शौच के लिए रास्तों के किनारे खुले में बैठा करते थे.
गाँव में रहने वाले सुदामा प्रसाद कहते हैं, “दस फुट की सड़क पर चलने की ख़ातिर चार फुट भी जगह नहीं बचती थी. रात के अंधेरे में नीचे खेत में उतर कर आते-जाते थे कि मैला ना लगे”.
गंदगी और उनसे होने वाली बीमारियों से परेशान गाँव की ही एक महिला गिरजा देवी ने पिछले साल अक्तूबर में पहल करते हुए गाँव की कुछ महिलाओं को इकट्ठा कर सुबह और शाम रास्ते पर पहरेदारी करने का निर्णय लिया.
घरों में शौचालय नहीं और अंधेरे में दूर तक जाना सुरक्षित नहीं, ऐसे में पहरा देने वाली टोली की महिलाएं शौच करने वाली औरतों को दूर खेत तक छोड़कर आती हैं.यही नहीं समूह की महिलाएं हफ्ते में एक बार गाँव की नालियाँ भी साफ करती हैं.
गिरजा देवी बताती हैं, "शुरुआत में पहले पहल हम चार लोग थे, लेकिन धीरे-धीरे और महिलाओं नें जुड़ने की इच्छा जताई. इस तरह आज हम कुल 16 औरतें हैं जो चार-चार की टोली में अपने घर के नज़दीक वाले रास्ते पर पहरा देती हैं.”
समूह की सभी महिलाएं दलित हैं और पढ़ाई-लिखाई का कभी कोई मौका नहीं मिला, लेकिन स्वच्छता के प्रति इनकी प्रतिबद्धता देखते बनती है.
पहरेदारी के लिए निकली राज मुन्नी देवी बातों-बातों में कहती हैं, "काम भले ही नेक हो, लेकिन सफाई के लिए पहरेदारी करना आसान नहीं है."
उनके मुताबिक़, गाँव के कई लोगों से इन औरतों का बैर हुआ और तो कईयों ने बोल-चाल तक बंद कर दी.किन काम चलाऊ डंडे और हाथ में टॉर्च लेकर अंधेरे मुंह मुस्तैदी करने वाली इन महिलाओं की पहल रंग ला रही है.इस मुहिम को लोगों का समर्थन मिल रहा है.