रविवार, 27 दिसंबर 2015

एंकरिंग से नायिका बनी मंदिरा

शाहरुख के साथ काम कर सके , उस लायक बनने की है तमन्ना

छालीवुड में एंकरिंग से फिल्मो में कदम रखने वाली नायिका मंदिरा नायक की तमन्ना शाहरुख के साथ काम करने लायक बनने की है। साथ ही वे फिटनेस के लिए लोगो को जागरूक करना चाहती है। मंदिरा छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी। मंदिरा दैनिक सन स्टार के दफ्तर आई तो हमने उनसे हर पहलुओं पर बात की।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करती थी फिर नाटकों में किया। जब जब टीवी देखता था तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए ।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। नाटकों में भाग लेने के बाद लोगो ने मेरा अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया। माँ कुंती नायक ही मेरे प्रेरणाश्रोत है जो हर पल मेरे साथ होती है।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी  , लेकिन निगेटिव रोल पसंद है।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
00 सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।
0 आप इतने फिट कैसे हो पाई। राज क्या है?
00 मैंने हेल्थ को लेकर बहुत मेहनत की है। अपना काफी वजन कम किया है। अब फिटनेस के लिए लोगो को अभियान चलाकर जागरूक करूंगी। 
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। शाहरुख खान के साथ काम करने की तमन्ना है। इस लायक बन सकूँ यही मेरी इच्छा है। 

गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

लोग मुझे बेस्ट खलनायक के रूप में ही पहचाने : अरविन्द

छत्तीसगढ़ी फिल्मो को प्राइमरी स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए

छत्तीसगढ़ी फिल्मो के चर्चित नाम है अरविन्द गुप्ता,जिन्होंने 25 से अधिक फिल्मो में अपने अभिनय से
निर्माता निर्देशकों का दिल जीत लिया है। उनका कहना है कि लोग मुझे बेस्ट खलनायक के रूप में ही पहचाने। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को प्राइमरी स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए। अरविन्द कहतें हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो का भविष्य काफी
अच्छा है। दबंग देहाती में शानदार भूमिका निभाने वाले अरविन्द कहते हैं कि सरकार को भी छालीवुड की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कलाकारों का भला हो सके।दैनिक सन स्टार ने उनसे हर पहलुओं पर बात की।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करता था फिर थियेटर ज्वाइन किया। जब जब टीवी देखता था तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए ।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां दिखती है। दूसरी और लोगो को छत्तीसगढ़ी फिल्मो के बारे में बताया जाना चाहिए। प्राइमरी स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मैंने कई फिल्मे कर ली है। थियेटर करने के बाद लोगो ने मेरा अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चला था। अब इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। लगातार काम करूंगा।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा , लेकिन निगेटिव रोल पसंद है।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
00 सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।
0 रिल और रियल लाइफ में क्या अंतर है?
00 रिल और रियल लाइफ में बहुत अंतर है। रील लाइफ निर्देशक के अनुसार होता है और रियल लाइफ अपने हिसाब से होती है।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। मै चाहता हूँ कि लोग मुझे बेस्ट खलनायक के रूप में जानें। 

गॉडफादर जैसे रोल का मुझे इन्तजार है

 बार बार टूटता हूँ और सम्हालता हूँ: पुष्पेन्द्र सिंह 

छत्तीसगढ़ के जाने माने स्टार पुष्पेन्द्र सिंह में खूबियों का खजाना है। वे एक अच्छे कलाकार है तो उतने ही
अच्छे निर्माता निर्देशक और लेखक भी हैं। उन्हें अपने काम के प्रति जूनून है। उनका कहना है कि - कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती , लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। उनका सपना गॉडफादर जैसे रोल करने की है, जो किसी के जीवन पर आधारित हो। पुष्पेन्द्र सिंह मुम्बई में भी अपनी कला का लोहा मनवा रहे हैं। उन्होंने सीरियलों में 100 से ज्यादा एपिशोड कर चुके हैं। उनसे हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है।
० छत्तीसगढ़ी फिल्मो की क्या संभावनाएं हैं?
०० जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। कोई प्लानिंग नहीं होती जो पैसा नहीं लेते वही कलाकार यहाँ चलते है। तो आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। ० छत्तीसगढ़ी सिनेमा अच्छा व्यवसाय करे इसके लिए क्या कर सकते हैं?
०० यहां फिल्मे कमजोर बन रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। छत्तीसगढ़ में मिनी सिनेमाघर दो सौ दर्शकों की क्षमता वाली टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। प्रचार प्रसार की कमी है। सिर्फ रायपुर में प्रचार के लिए पांच लाख चाहिए जो निर्माता नहीं करते।
० आप इस क्षेत्र में कैसे आये ?
०० मै थियेटर से आया हूँ। सलमा सुलतान की धारावाहिक सुनो कहानी में मुझे मौका मिला फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैंने भारतभूषण के साथ काम किया है।
० फिल्मो की और रुझान कैसे हुआ?
०० मेरी कला मेरे पिताजी की देंन है। कृष्ण बनाकर मुझे खड़ा कर दिए थे वही  प्रेरणाश्रोत है। आगे बढ़ने में मेरी पत्नी का भी बहुत सहयोग है। जिसके कारण मैं कलाकार हूँ ।
० आपने बहुत सी फिल्मे कर ली आपकी राह कैसे आसान हुआ?
०० मै बार बार टूटता हूँ ,बार बार सम्हालता हूँ । मुझे ढर्रे पर जीना नहीं आता। यहां आलोचना करने वाले तो बहुत मिल जाएंगे पर साथ देने वाले नहीं। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होप्ती , लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। बस मै यही जानता हूँ।
० छत्तीसगढ़ी फिल्मो के प्रदर्शन में कमी कहाँ होती है?
०० प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है।
० क्या छत्तीसगढ़ में नायिकाओं की कमी है कि बाहर से लाना पड़ता है?
०० हाँ जरूर है। लडकिया बहुत है पर अच्छे घरों की लडकियां इस फिल्ड में आना नहीं चाहती क्योकि उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता जो वो चाहतीं हैं। इसलिए कमी बनी हुई है।
० आपकी भविष्य की क्या योजना है?
०० मै साल में दो ही काम करूंगा पर अच्छा करूंगा। मैंने अपना ग्रुप तैयार किया है एसपी इंटरटेनमेंट के बैनर पर हमने काम शुरू किया है। इस क्षेत्र में काम करते रहेंगे।
० आपने सभी प्रकार की भूमिका का निर्वहन किया है वैसे आपको कैसा रोल पसंद है?
०० मुझे आज तक पसंद का रोल नहीं मिला। साइलेंट करेक्टर चाहिए ,पता नहीं कभी मिल पायेगा या नही।
० रील और रियल लाइफ में क्या अंतर पाते है?
०० बहुत अंतर है। रियाल लाइफ की घटना को रील लाइफ में ला सकते हैं पर रील को रियल में नहीं ला सकते।
० ऐसा कोई सपना जिसे आप पूरा होते हुए देखना चाहते हैं?
०० गॉडफादर जैसे रोल करने की तमन्ना है, जो किसी के जीवन पर आधारित हो। जैसे महात्मा गांधी। 

मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

तमिलनाडू में पर्यटकों को उपलब्ध कराते हैं सभी सुविधाएं

अतिथि देवो भवः का निर्वाह करते हैं : मीणा
छत्तीसगढ़ सरकार अपना कार्यालय चलायें तो खुशी होगी

- अरुण कुमार बंछोर
रायपुर। तमिलनाडु के पर्यटन विभाग द्वारा राज्य में घूमने आए पर्यटकों के लिए टूर पैकेज की सुविधा है, जिसकी जानकारी आप यहां ऑनलाइन ले सकते हैं| सामान्य टूर पैकेज, रेल यात्रा पैकेज, विशेष पर्यटन और रद्दीकरण आदि की जानकारी भी यहां उपलब्ध है| आप भी तमिलनाडु भ्रमण की समयसीमा तय कर, टूर पैकेजों के खर्च की जानकारी घर बैठे ले सकते हैं | हम अतिथि देवो भवः का निर्वाह करते हैं। यहाँ कहना है तमिलनाडू राज्य पर्यटन विभाग कमिश्नर एवं पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक श्री हर सहाय मीणा का। वे कहते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार का वहां कार्यालय तो है पर बंद है वहां स्टाफ बैठाकर दफ्तर को फिर शुरू करें तो हमें खुशी होगी। श्री मीणा सरकारी दौरे पर रायपुर आये हैं। हमने उनसे हर पहलूओं पर बात की है।
० आपके राज्य में आने वाले पर्यटकों को सरकार क्या सुविधाएं उपलब्ध कराती है?
०० राज्य में घूमने आए पर्यटकों के लिए टूर पैकेज की सुविधा है। हमारे यहां अतिथि देवो भवः का निर्वाह करते हैं इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध हैं।
० बाहर से आने वाले पर्यटकों को पर्यटन स्थलों की सम्पूर्ण जानकारी हो इसके लिए क्या व्यवस्था है?
०० राज्य के हर बस और रेलवे स्टेशनों पर सम्पूर्ण जानकारी उपलब्द्ध है। पर्यटकों को कही भी भटकना नहीं पड़ता है। पर्यटन विभाग की और से सभी भाषाओं के जानकार भी उपलब्ध कराये जाते हैं।
० तमिलनाडू को पर्यटन से कितनी आय हो जाती है?
०० देखिये आय मायने नहीं रखती, वैसे हमारा पर्यटन विकास निगम 1600 करोड़ कम मुनाफे में था। महत्वपूर्ण होता है कि कितने पर्यटक आये। हमने  पर्यटन स्थलों में मंदिरों, वन्य जीवन, भोजन, कला, संस्कृति, राज्य के संगीत से संबंधित संस्थानों को शामिल किया है।
० देश विदेश से कितने पर्यटक आते हैं और देश में स्थान क्या है?
०० तमिलनाडू का देशी पर्यटकों में पहला और विदेशी पर्यटकों में दूसरा स्थान हैं। 2014 में 3276 लाख देशी और 46 लाख 58 हजार विदेशी पर्यटकोण ने तमिलनाडू के पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया है।
० छत्तीसगढ़ सरकार से पर्यटन को लेकर कोई अनुबंध या सहयोग है?
०० छत्तीसगढ़ सरकार से कोई मेलमिलाप नहीं है। दोनों अपने अपने पर्यटन स्थलों के लिए काम करते है। सहयोग हो सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार का चेन्नई में अपना दफ्तर है पर स्टाफ नहीं होने के कारण बंद पड़ा हुआ है। अच्छा होगा दफ्तर को खोल दिया जाए। इससे ये होगा की जो लोग छत्तीसगढ़ से तमिलनाडू जाते हैं उन्हें छत्तीसगढ़ दफ्तर से सारी जानकारी और सुविधाये मिल जाएगी।
० तमिलनाडू में पुरातात्विक स्थानो की भरमार है। सबसे आकर्षक जगह कौन सी मानते हैं?
०० चेन्नई में पर्यटन के कई आकर्षण हैं। चेन्नई के समुद्र तट पर स्थित रिसोर्ट बहुत सुंदर हैं। मनीला तट चेन्नई का गौरव है। ऐतिहासिक सेंट जाॅर्ज किले की यात्रा आपको प्राचीन समय में खींच ले जाती है। चेन्नई में कई मंदिर, चर्च और आध्यात्मिक केन्द्र हैं। यहां के पार्थसारथी मंदिर और कपिलेश्वर मंदिर का निर्माण 13 वीं सदी में हुआ था और यह द्रविड़ वास्तुकला का नमूना है।
० इतिहास और संस्कृति को भी तमिलनाडू सरकार ने पर्यटन में शामिल किया है?
०० हाँ ,राज्य की संस्कृति से सबको परिचय कराते हैं। सन् 1851 में निर्मित चेन्नई का राजकीय संग्रहालय मद्रास संग्रहालय के नाम से लोकप्रिय है। कोलकाता के बाद यह भारत का दूसरा सबसे पुराना संग्रहालय है और यह अपने आप में किसी खजाने से कम नहीं है। कला, पुरातत्व, मावन विज्ञान, मुद्रा शास्त्र और बहुत कुछ बेहतरीन कृतियों का यहां भंडार है।

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

कलेक्टर बनना चाहता है बाल कलाकार रज़ा खान

फिल्मो में काम करते रहेंगे 
छत्तीसगढ़ी फिल्मो में अपने अभिनय का जादू बिखरने वाले बाल कलाकार रजा खान की दिली इच्छा आईएएस की परीक्षा पास कर कलेक्टर बनने की है। अगर ऐसा होता है तो भी वे फिल्मो में काम करते रहेंगे। फिल्म दबंग देहाती में बड़े कलाकारों के साथ काम करके रज़ा खान बेहद खुश है। छालीवुड के सुपर स्टार करन खान भी उनके अभिनय के कायल हैं। रज़ा से दैनिक सन स्टार ने बेबाक बात की है।
0 फिल्म दबंग देहाती में आपका क्या रोल है और कैसे कर पाएं है?
00 ये मेरी दूसरी फिल्म है मुझे इस फिल्म में अच्छा रोल दिया गया है। इसमें मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। एक तो बड़े बड़े कलाकारो के साथ काम करने का मौका मिला है। इसका अपना अलग ही मजा है। करन खान के बारे में जितना सूना था उससे ज्यादा अच्छा है। बस अभी तो सीख रहा हूँ।
0 इसके पहले भी आपने करण खान के ही फिल्म में काम किया है?
00 हाँ फिल्म सिधवा सजन में मैंने उनके बचपन का किरदार निभाया है। उनके साथ काम करके मुझे बहुत ही अच्छा महसूस होता है।
0  पहली बार कैमरे के सामने आने से डर नहीं लगा?
00 नहीं इसके पहले हमेशा स्कूल के कार्यक्रमों में भाग लेता रहा हूँ।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। आईना के सामने खड़े होकर एक्टिंग किया करता था तब मेरे पिता मोहम्मद निजाम खान को लगा कि मै एक अच्छा कलाकार बन सकता हूँ ।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मेरे पिताजी ही मेरे प्रेरणाश्रोत है । करन खान ने मुझे मेरा काम देखा और मौका दिया है।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 नहीं ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की नहीं सोचा है और ना ही अब मेरा यह उद्देश्य है। पर इस लाईन पर काम करटा रहूँगा।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहते हैं?
00 मेरी दिली इच्छा आईएएस की परीक्षा पास कर कलेक्टर बनने की है। फिर साथ साथ छालीवुड में भी कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अपनी मेहनत से एक अच्छा कलाकार कहलाना पसंद करूंगा। 

शनिवार, 12 दिसंबर 2015

फिल्म को ही कॅरियर बनाउंगी : सुहानी

गायिका बनने की चाहत है , मेरा शौक भी है 
हिन्दी फिल्म मीराधा की नायिका सुहानी जेठलिया कहती है की गायन मेरा शौक है और चाहत भी,लेकिन अब
फिल्म को ही अपना कैरियर बनाउंगी। जब इंडस्ट्री में आ ही गयी हूँ तो पीछे नहीं हटूंगी। इस फिल्म में छत्तीसगढ़ के अमिताभ कहे जाने वाले अशोक मालू ने भी काम किया है। उनका कहना है कि मुझे हर तरह के रोल करने की इच्छा है मीराधा में नायिका हूँ ,और अपनी भूमिका के साथ बहुत ही मेहनत की है। दैनिक सन स्टार ने उनसे हर पहलूओं पर बेबाक बात की।
0 फिल्म मीराधा में आपका क्या रोल है और कैसे कर पा रही है?
00 ये मेरी पहली फिल्म है मुझे नायिका का रोल दिया गया है। इसमें मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। मैंने एक आधुनिक लड़की राधा का किरदार निभाया है। इस फिल्म में बहुत मेहनत की है।
0  क्या है इस फिल्म में दर्शकों के लिए?
00 इस फिल्म में एक सन्देश है जो दर्शकों को पसंद आएगा। इसमें सब कुछ है दो नायिका और एक नायक है । आप अपने जिंदगी को कैसे जी सकते है इस फिल्म में बेहतर तरीके से बताया गया है। इस फिल्म को लेकर हम आश्वस्त हैं।
0  पहली बार कैमरे के सामने आने से डर नहीं लगा?
00 जी नहीं बिलकुल डर नहीं लगा। हम सब ने इसमें एक साथ कैमरे का सामना किया है।
0 इस फिल्म की क्या सम्भावनाये दिखती है?
00 बेहतर है। उम्मीद है कि और बॉलीवुड की अन्य फिल्मो की तरह ही चलेंगी। इसमें सब कुछ है। आप देखिये ,हमें तो पूरी उम्मीद है।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में भी एक्टिंग किया करती थी। कई नाटकों में भाग लिया था। वैसे मेरा रुझान गायन की तरफ ही रहा है।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है । मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मेरे पिता श्री सूर्यप्रकाश जेठलिया इस फिल्म के निर्माता है और मेरे प्रेरणास्रोत भी। मेरे लगन को देखकर उन्होंने मुझे फिल्म करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके ही कारण मैं फिल्म में अच्छे से रोल कर पाई हूँ।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 नहीं ! मेरा रुझान गायन की और ही था। एक्टिंग करने की कभी नहीं सोची थी । अब इसी लाईन पर काम करती रहूंगी, पीछे नहीं हटूंगी ।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 हाँ मै छाहती हूँ कि मीराधा खूब चले जनता मेरी एक्टिंग को सराहे। इस फिल्म में मैंने दो गाने गाये है।
0 कभी आपको निराशा हुयी और सबसे ज्यादा उत्साहित कब हुई थी?
00 निराश कभी नहीं हुई हूँ। पर फिल्म में पहले और आख़िरी दिन मुझे खूब खुशी हुई थी क्योकि इससे मेरे जीवन में एक नया मोड़ आया है। 

गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

छत्तीसगढ़ी फिल्मो में मौलिकता और संस्कृति की कमी झलकती है

 पात्र के अनुसार कलाकारों का चयन हो - विनय अम्बष्ड 
छत्तीसगढ़ी फिल्मो के खलनायक के रूप में तेजी से उभरे अम्बिकापुर के विनय अम्बष्ड का कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में मौलिकता और छत्तीसगढ़ी संस्कृति की कमी झलकती है। यही नहीं कलाकारों का चयन
भी पात्रों के अनुसार होना चाहिए। विनय अम्बष्ड ने थियेटर से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी और आज छत्तीसगढ़ी फिल्मों का एक जाना पहचाना नाम बन गया है। उन्होंने बॉलीवुड की दो फिल्मे कर छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है। अब वे लगातार फिल्मे ही करते रहना चाहते हैं। दैनिक सन स्टार ने उनसे हर पहलुओं पर बात की।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। जब मै पांच साल का था तब पहली फिल्म देखा था ,तब से कुछ अलग करने की सोच ली थी। मन में लगन हो तो सब संभव है। मैंने थियेटर ज्वाइन किया और आज इस मुकाम पर हूँ।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में अपनी संस्कृति और मौलिकता की कमी झलकती है। कलाकारों का चयन भी पात्रों के अनुसार नहीं होता क्योकि निर्माता सबसे पहले फाइनेंसर की तलाश में होता है। जो पैसा लगाता है वो कलाकार बन जाता है।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मै थियेटर से आया हूँ। मेरी पहली फिल्म एक हॉरर फिल्म है। सही मायने में मेरी पहली फिल्म सरपंच है जो बड़े परदे पर सफल रही है। पंकज कपूर मेरे आदर्श हैं। फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा ने मुझे छत्तीसगढ़ में अभिनेता के तौर पर पहचान दी है और अभी मेरे पास धर्मेन्द्र चौबे की करवट तथा बही तोर सुरता मा जैसे फिल्मे हैं।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चला था। इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। लगातार काम करूंगा।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगा।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
00 सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये , टाकिजों में छत्तीसगढ़ी फिल्म दिखाना अनिवार्य करे। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।
0 आप फिल्मो में भूमिका को लेकर कैसा महसूस करते हैं ?
00 जब मैं कोई भूमिका निभाता हूँ तो पहले गंभीरता से मनन करता हूँ। उसमे पूरी तरह से डूब जाता हूँ।
0 रिल और रियल लाइफ में क्या अंतर है?
00 रिल और रियल लाइफ में बहुत अंतर है। रील लाइफ काल्पनिक होता है और रियल लाइफ में सच्चाई होती है।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। 

सोमवार, 7 दिसंबर 2015

फिल्म को ही कॅरियर बनाउंगी : अश्मिता बख्शी

 बॉलीवुड में महिला कलाकारों के साथ अन्याय नहीं होता
छोटे परदे की बहुचर्चित धारावाहिक नियति से बॉलीवुड में कदम रखने वाली अदाकारा अश्मिता बख्शी कहती है कि अब फिल्म को ही अपना कैरियर बनाउंगी। जब इंडस्ट्री में आ ही गयी हूँ तो पीछे नहीं हटूंगी। उनका कहना है कि बॉलीवुड में महिला कलाकारों के साथ अन्याय नहीं होता है बल्कि उनका अच्छे से ख्याल रखा जाता है। उनकी पहली हिन्दी फिल्म मकडज़ाल 11 नवम्बर को देशभर में रिलीज हो रही है जिसके प्रमोशन के सिलसिले में वह रायपुर में है। दैनिक सन स्टार ने उनसे हर पहलूओं पर बेबाक बात की।

0 फिल्म मकडज़ाल में आपका क्या रोल है और कैसे कर पा रही है?
00 ये मेरी पहली फिल्म है मुझे नायिका का रोल दिया गया है। इसमें मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। एक अच्छी कहानी पर बनी है। मैंने इस फिल्म  मेहनत की है।
0  क्या है इस फिल्म में दर्शकों के लिए?
00 इस फिल्म में एक सन्देश है जो फिल्म की बजट से भी बड़ा है। मुझे दुख है की एक किस सीन के चलते फिल्म को ए सर्टिफिकेट दे दिया गया। जबकि इससे ज्यादा किस सीन फिल्मो में देखने को मिलता है। आप अपने जिंदगी को कैसे जी सकते है इस फिल्म में बेहतर तरीके से बताया गया है।
0  पहली बार कैमरे के सामने आने से डर नहीं लगा?
00 नहीं इसके पहले धारावाहिक कर चुकी हूँ। कैमरे के सामने आने से डर नहीं लगता बल्कि अच्छा ही महसूस होता है।

0 इस फिल्म की क्या सम्भावनाये दिखती है?
00 बेहतर है। उम्मीद है कि और बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी। इसमें सब कुछ है। आप देखिये आपको कालेज के दिन याद आ जाएंगे।
0 कैमरे के सामने आने से पहले कितनी तैयारी करती है ?
00 हमने पहले वर्कशॉप किया था जिससे करेक्टर को समझने का मौका मिला और अपनी भूमिका आसान हो गयी।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में भी एक्टिंग किया करती थी।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 एक्टिंग मैंने खुद से खीखा है । मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। धारावाहिक नियति में डायरेक्टर दिनेश जी ने मेरा काम देखा और मौका दिया है।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 नहीं ! मैंने एमबीए की पढ़ाई की है फिर सीरियल में मौका मिला और काम करने लगी। अब मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चल रही हूँ। इसी लाईन पर काम करती रहूंगी, पीछे नहीं हटूंगी ।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 बॉलीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। अपनी मेहनत से एक अच्छी एक्ट्रेस बनना चाहती हूँ।