एक बार एक लड़की ने अपने बॉयफ्रेंड को फोन किया, तो फोन बॉयफ्रेंड के भतीजे ने उठाया।
लड़की ने प्यार से कहा- जरा अपने अंकल को फोन देना।
चिंटू ने पूछा- मैं उन्हें आपका क्या नाम बताऊं?
लड़की ने इतरा कर कहा- उनसे कहो कि उनकी जानेमन का फोन है।
चिंटू बोला- लेकिन फोन में तो आपके नंबर के आगे आइटम नंबर 3 लिखा है।
बच्चों की मासिक पत्रिका भोपाल से प्रकाशित , सम्पादक -अरुण बंछोर, उपसंपादक -ओमप्रकाश बंछोर
शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014
मंगलवार, 14 जनवरी 2014
।हनुमान चालीसा।
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥
दोहा :
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
शुक्रवार, 3 जनवरी 2014
देवी के सामने बच्चे को सुलाकर मां करती है पूजा
चढ़ावे के रूप में चढ़ती है लौकी
30 साल की मिलउतीन अपने बच्चे को देवी के सामने सुलाकर प्रार्थना कर रही है। मन ही मन बुदबुदा रही है... मां मेरे लाडले को कभी कोई बीमारी न घेरे। मंदिर से बाहर निकलती इस महिला के चेहरे पर आस्था के भाव थे, आंखें नम थीं। उसके बाहर निकलते ही चढ़ावे के लिए लौकी और तेंदू की लकड़ी लेकर टीकम अपने बच्चे के साथ भीतर जाती है। टीकम के बाद शकुंतला, सुशीला और फिर मीलों दूर से आई ज्योति तिवारी की बारी।
ऐसे ही दृश्य पूरे दिन रतनपुर के शाटन देवी मंदिर में देखने को मिलते हैं। यह आम मंदिरों से कई मायनों में अनूठा और अलग है। देशभर में रतनपुर की पहचान महामाया मंदिर को लेकर है। यहां का शाटन देवी मंदिर उन लोगों के लिए अनजाना नहीं है, जिनके बच्चे किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हों। करीब 150 साल पुराने इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। यहां चढ़ावे के रूप में फल, प्रसाद या पैसे नहीं, बल्कि लौकी और तेंदू की लकडिय़ां चढ़ाई जाती हैं। रतनपुर में इसे 'बच्चों का मंदिर' और देवी को 'बच्चों की देवी के नाम से जाना जाता है। पुजारी त्रिभुवन दास वैष्णव का कहना है कि सूखा रोग से पीडि़त कई बच्चे मंदिर में आकर ठीक हुए हैं।
ऐसी कोई बीमारी नहीं : शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सुशील कुमार का कहना है कि बच्चों के पैर जुडऩे को लेकर किसी भी तरह की बीमारी नहीं होती। आए दिन इस तरह की बातें सुनने को मिलती हैं, लेकिन मेडिकल साइंस में इसका कोई आधार नहीं है। मैं देवी-देवताओं की पूजा के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन क्या ऐसी बीमारी के ठीक होने के लिए पूजा करना उचित है, जो बीमारी ही नहीं है। कई बच्चे तो अस्पताल में ठीक नहीं हुए तो यहां लाए गए और उन्हें आराम मिला। यह अंधविश्वास नहीं, हजारों लोगों की आस्था से जुड़ा मामला है।
लकड़ी और लौकी इसलिए... मंदिर में तेंदू की लकड़ी और लौकी विशेष रूप से चढ़ाई जाती है।
इसकी वजह पूछने पर मंदिर के पुजारी त्रिभुवन दास वैष्णव कहते हैं कि तेंदू की लकड़ी लचकदार होती है और लौकी ते से विकसित होने का प्रतीक है। मान्यता है कि इससे बच्चे का शरीर लचकदार व तंदरुस्त होता है और वह लौकी की तरह तेजी से विकसित होता है। दूर होती है पैर सटने की बीमारी बच्चों को सूखा रोग होने पर पैर आपस में सट जाते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक यह बीमारी देवी की पूजा से दूर हो जाती है।बच्चों की स्वास्थ्य रक्षा और संतान की मुराद भी पूरी होती है। पुजारी के मुताबिक मां नौदुर्गा का छठवां स्वरूप कात्यायनी देवी का है, जिसे संकट हरिणी, पुत्रदा और बलदा भी कहा जाता है। इसी देवी को यहां शाटन देवी और शटवाई दाई के नाम से पूजा जाता है।
मंदिर का उल्लेख नहीं
जनश्रुति के मुताबिक नए मंदिर के पहले यहां छोटा सा मंदिर था, जहां ग्रामीण 150 वर्षों से कुष्मांडा देवी को शटवाई दाई के रूप में पूजते आ रहे हैं। जिन ग्रंथों में रतनपुर के बारे में जानकारी है, उनमें या बाद के ग्रंथों में इस मंदिर का उल्लेख नहीं है।
जनश्रुति के मुताबिक नए मंदिर के पहले यहां छोटा सा मंदिर था, जहां ग्रामीण 150 वर्षों से कुष्मांडा देवी को शटवाई दाई के रूप में पूजते आ रहे हैं। जिन ग्रंथों में रतनपुर के बारे में जानकारी है, उनमें या बाद के ग्रंथों में इस मंदिर का उल्लेख नहीं है।
मंगलवार, 26 नवंबर 2013
भाई-बहन का रिश्ता
भाई-बहन का रिश्ता बचपन से जुड़ा होता है। दोनों खेलते-कूदते बड़े होते है और उनका रिश्ता भी उतना ही स्नेहभरा और विश्वास से भरा होता है। आपके लिए पेश है रक्षाबंधन के त्योहार पर भाई-बहन से जुड़े महत्वपूर्ण विचार :-
बहन के लिए,
बहन एक ऐसी मित्र है जिससे आप बच नहीं सकते। आप जो करते हैं वो सब बहनों को पता रहता है।
- एमी ली
बहन बचपन की यादों की साझेदार होती है।
- पाम ब्राउन
ऊंघती हुई आलसी और नाजुक बहन तब शेरनी बन जाती है जब उसका भाई मुश्किल में हो।
-क्लेरा ऑर्टेगा
बहन बचपन का वो प्यारा हिस्सा है जो कभी खो नहीं सकता।
- मेरिऑन सी गैरेटी
कब हुई महिला क्रिकेट विश्वकप की शुरुआत?
महिला क्रिकेट विश्वकप की शुरुआत 1973 में इंग्लैंड में हुई थी। पहला विश्वकप इंग्लैंड की महिला टीम ने जीता था। यह बात ध्यान देने योग्य है कि पहला महिला क्रिकेट का विश्वकप पुरुषों की विश्वकप प्रतियोगिता के भी दो साल पहले हुआ था।
हाल में हुई 9वीं महिला विश्वकप क्रिकेट प्रतियोगिता में इंग्लैंड की महिला टीम ने विजेता का खिताब जीता। भारत इस प्रतियोगिता में तीसरे क्रम पर रहा। अगली महिला विश्वकप क्रिकेट प्रतियोगिता 2013 में भारत में ही आयोजित की जाना है।
सूरज में इतनी आग क्यों है?
गर्मियों में सूरज की तमतमाती धूप को देखकर, उसे महसूस कर आपने जरूर यह सोचा होगा कि आखिर सूरज इतना गर्म क्यों है? तो चलिए हम बताते हैं आपको इसका कारण। हमारे सौर मंडल में सूर्य सबसे बड़ा है जो हाइड्रोजन और कुछ मात्रा में हीलियम गैसों से बना है।
सूर्य हमारी पृथ्वी से तीन लाख गुना भारी है। सूर्य के केन्द्र में एक विशाल दबाव और इसके बड़े आकार के कारण बहुत बड़ा गुरुत्वाकर्षण बल है। जब सूर्य की उत्पत्ति हुई तब यह दबाव एक बड़ी मात्रा की ऊष्मा का कारण बना और हाइड्रोजन ने जलना शुरू कर दिया। हाइड्रोजन का जलना एक न्यूक्लियर रिएक्शन है इस कारण यह क्रिया फ्यूजन रिएक्शन कहलाई क्योंकि इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन के नाभिक आपस में संलयित होते हैं, और इनके बनने के कारण ही हीलियम गैस का निर्माण हुआ।
इस प्रक्रिया में ऊष्मा, प्रकाश और विकिरण (रेडिएशन) के रूप में ऊर्जा की एक बड़ी भारी मात्रा निकलती है जो सूर्य के चमकने के लिए जिम्मेदार है। इस क्रिया में हर सेकेंड 600 टन हाइड्रोजन जलती है, और इस दर पर जलने के बावजूद भी सूर्य में अभी इतनी हाइड्रोजन है कि वह अगले 5,000 मिलियन सालों तक इसी प्रकार जगमगाता रहेगा। इसी हाइड्रोजन के जलने से पैदा हुई ऊष्मा की वजह से ही सूर्य इतना गर्म है।

शनिवार, 2 नवंबर 2013
सच्ची दोस्ती... (बच्चों के लिए कहानी)
टीना नवीं कक्षा में पढ़ती थी, वह पढ़ाई में बहुत होशियार थी और हमेशा ही अपनी कक्षा में अव्वल आती थी। टीना में वैसे तो सभी आदतें अच्छी थीं किन्तु पढ़ाई को लेकर वह बहुत असुरक्षित महसूस करती थी। उसे हमेशा डर रहता था कि पढ़ाई में कहीं कोई उससे आगे न निकल जाए। अपने असुरक्षा बोध के कारण वह अपनी पढ़ाई को कभी किसी के साथ भी शेयर नहीं करती थी। टीना की एक सहेली थी रितु, रितु भी टीना के साथ ही पढ़ती थी और पढ़ाई में भी टीना के लगभग बराबर ही थी। टीना रितु के साथ वैसे तो अपनी सभी बातें शेयर करती किन्तु जैसे ही पढ़ाई की बात आती वह या तो बात बदल देती या पढ़ाई न हो पाने का रोना रोती, परीक्षा आने से पहले तक टीना को यह कहते सुना जा सकता था कि उसकी पढ़ाई अच्छी नहीं चल रही है। कई बार जब उसकी सहेली रितु किसी कारण से क्लास वर्क न कर पाने के कारण अथवा स्कूल में अनुपस्थिति की वजह से काम न कर पाती और टीना से उसकी कॉपी या नोट्स मांगती तो टीना हमेशा ही यह बहाना बना देती कि उसका काम पूरा नहीं हुआ है। टीना को डर था कि कहीं उसके नोट्स पढ़कर कोई उससे ज्यादा नंबर न ले आए। रितु टीना की इस आदत को समझने लगी थी कि टीना यह झूठ बोल रही है परन्तु वह टीना को अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती थी, वह उसकी बात उसके सामने बताकर उसे झूठा नहीं ठहरा सकती थी। एक बार की बात है टीना बहुत बीमार थी, बीमारी की वजह से वह कई दिनों सें स्कूल भी नहीं जा पा रही थी। परीक्षाएं नजदीक थीं और कई दिनों से स्कूल न जा पाने के कारण टीना परीक्षाओं का सिलेबस भी पूरा नहीं कर पाई थी। टीना बहुत दुः.खी थी। एक दिन अचानक रितु टीना के घर उसकी तबियत के बारे में पूछने आई। टीना ने बताया कि तबियत तो अब कुछ ठीक है किन्तु डॉक्टर ने उसे अभी और कुछ दिन तक आराम करने को कहा है। टीना ने रितु को बताया कि इतने दिनों से स्कूल न जा पाने की वजह से उसका स्कूल का सारा काम बाकी है और परीक्षाएं भी सिर पर हैं। रितु टीना की प्राब्लम को समझ पा रही थी, उसने तुरंत ही टीना से कहा- ‘‘टीना ! यदि तू चाहे तो मैं स्कूल के बाद शाम को अपने स्कूल बैग के साथ एक-दो घंटे तेरे घर आ सकती हूं, इस बीच हम स्कूल में बाकी रह गए तुम्हारे काम को भी पूरा कर पाएंगे और परीक्षा की तैयारी भी कर सकेंगे। रितु की बात से टीना को बड़ा आश्चर्य हुआ, टीना को रितु के साथ अपने पूर्व व्यवहार के कारण यह उम्मीद नहीं थी कि रितु इस तरह से उसका साथ देगी। टीना की आंखों में आंसू थे, उसने हां में अपना सिर हिलाया। अगले दिन से रितु प्रतिदिन टीना के घर गई और अपने नोट्स देकर स्कूल न जा पाने के कारण बाकी रह गए उसके सारे कार्य को निपटाने में उसकी मदद की। साथ मिलकर पढ़ने से उनकी पढ़ाई से संबंधित बहुत सी दुविधाएं भी दूर हो गईं थीं। रितु की मदद से टीना इस बार अपनी परीक्षाएं पूरे विश्वास के साथ दे पाई और पहले की ही तरह पूरे नंबर भी प्राप्त किए। टीना को अपनी मार्कशीट देखकर स्वयं से ज्यादा गर्व अपनी सहेली पर हो रहा था। अब उसने तय कर लिया था कि वह भी अपनी आदत बदलेगी और समय पड़ने पर अपने दोस्तों का सदा साथ देगी।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)