शनिवार, 16 जनवरी 2010

कहानी

बैर का परिणाम
कभी चंदन और पलाश जंगल में साथ-साथ रहते थे। चंदन महकता था। पलाश दहकता था। मित्र के रूप में वे दोनों प्रसन्न थे। किसी बात पर एक बार दोनों में गहरी अनबन हो गई। एक दिन जब एक लकड़हारा वहाँ आया और उसने सुगंधित लकड़ी की चाह की तो पलाश बोला- 'चंदन की लकड़ी काट लो ना!'
सलाह यही थी। लकड़हारे ने चंदन को ऐसे काटा कि वह लहूलुहान हो गया। उसके अंग-अंग काट दिए गए। वह कहीं का न रहा। एक दिन लकड़हारा फिर वहीं आया बोला - 'कूची बनाना है, जो अच्छी तरह पुताई कर सके।' चंदन वहाँ था, पहले से ही बौखलाया हुआ था। उसने सुझाव दिया - 'भैया, इस काम के लिए पलाश की जड़ों से अच्छा कुछ नहीं।' लकड़हारे को बात भा गई।
उसने पलाश की जड़ें खोद डाली। जड़ें क्या खुदीं, पलाश तो अधमरा हो गया। छोटी सी दुश्मनी आज तक दोनों के दुख का कारण है।

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