सोमवार, 18 जनवरी 2010

बाल जगत

बच्चों में बढ़ती थायरॉयड संबंधी समस्याएं
सात वर्षीय अक्षत की आदतों और व्यवहार में अचानक बदलाव आने लगा। उसकी मम्मी को ऐसा महसूस हुआ कि आजकल वह बहुत ज्यादा खाने लगा है और सर्दी के मौसम में भी अकसर उसे पसीना निकलता रहता है। उन्होंने जब उसे डॉक्टर को दिखाया तो मालूम हुआ कि वह थायरॉयड की समस्या से ग्रस्त है। अगर आप भी अपने बच्चे को इस समस्या से बचाना चाहती हैं तो आपके लिए सबसे पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि यह समस्या क्या है?

क्या है थायरॉयड

थायरॉयड ग्लैंड हमारी गर्दन के निचले हिस्से में स्थित होता है। इससे खास तरह के हॉर्मोन टी-3, टी-4 का स्राव होता है, जिसकी मात्रा के असंतुलन का बच्चों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। शरीर की सभी कोशिकाएं सही ढंग से काम कर सकें, इसके लिए थायरॉयड हॉर्मोन्स की जरूरत होती है। बच्चे का शारीरिक विकास भी इन्हीं हॉर्मोन्स पर निर्भर होता है।

क्यों होती है समस्या

आमतौर पर दो प्रकार की थायरॉयड संबंधी समस्याएं देखने को मिलती हैं। पहले प्रकार की समस्या को हाइपरथॉयरायडिज्म कहा जाता है। इसमें थायरॉयड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है और इससे टी-3 और टी-4 हॉर्मोन अधिक मात्रा में निकल कर रक्त में घुलनशील हो जाता है। इसके विपरीत हाइपोथायरॉयडिज्म में थायरॉयड ग्लैंड सक्रिय नहीं होता। इसलिए शरीर की जरूरत के मुताबिक रक्त में टी-3, टी-4 हॉर्मोन नहीं पहुंच पाते। ये दोनों ही स्थितियां बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदेह होती हैं।

क्या हैं कारण
इस समस्या के सही कारणों के बारे में डॉक्टर और वैज्ञानिक अभी तक किसी खास निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं। क्योंकि यह सर्दी-जुकाम की तरह संक्रामक बीमारी नहीं है, न ही इसका संबंध खानपान, प्रदूषण और जीवनशैली आदि से है। फिर भी इन कारणों से यह समस्या हो सकती है:
1. यह समस्या ज्यादातर आनुवंशिक कारणों से होती है।
2. कुछ बच्चों में जन्मजात रूप से भी यह समस्या हो सकती है। कई बार ऐसा भी होता है कि जन्म के समय बच्चे का थायरॉयड ग्लैंड अच्छी तरह विकसित नहीं होता या कुछ स्थितियों में इस ग्लैंड के विकसित होने के बावजूद इससे हॉर्मोन का स्राव नहीं होता। इस वजह से भी बच्चे को यह समस्या हो सकती है।
3. आयोडीन की कमी या अधिकता से भी ऐसी समस्या हो सकती है।
4. कुछ ऐसी एंटीबॉयोटिक और स्टीरॉयड दवाएं होती हैं, जिनके प्रभाव से भी थायरॉयड ग्लैंड से हॉर्मोन का स्राव रुक जाता है।

क्या हैं लक्षण
1. एकाग्रता में कमी और व्यवहार में चिडचिडापन
2. सर्दी में भी पसीना निकलना
3. अच्छी तरह नींद न आना
4. तेजी से वजन बढना या घटना
5. भोजन में अरुचि या ज्यादा भूख लगना
6. धीमा शारीरिक विकास
7. आंखों की पुतलियों का उभर आना
8. कुछ स्थितियों में गले के सामने का हिस्सा उभरा हुआ दिखाई देता है। इसे गोयटर कहा जाता है। यह समस्या थायरॉयड ग्लैंड के अधिक सक्रिय या निष्क्रिय होने के कारण पैदा होती है।
क्या है उपचार
1. अगर आपको अपने बच्चे में ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दें तो बिना देर किए डॉक्टर से परामर्श लें।
2. ब्लड टेस्ट में टी-3 और टी-4 हॉर्मोन के स्तर की जांच की जाती है और उपचार के दौरान दवाओं के माध्यम से शरीर में इस हॉर्मोन के स्तर को संतुलित रखने की कोशिश की जाती है।
3. अगर किसी बच्चे को यह समस्या है तो कम से कम वर्ष में दो बार ब्लड टेस्ट के माध्यम से थायरॉयड की जांच जरूर करवानी चाहिए।
4. अगर कोई समस्या न हो तब भी जन्म के बाद बच्चे का थायरॉयड टेस्ट करवा लेना चाहिए।
5. इस समस्या से ग्रस्त बच्चे भी सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि बच्चे का नियमित रूप से मेडिकल चेकअप करवाया जाए और दवाएं बीच में बंद न की जाएं।

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