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आज के दौर में व्हाइट कॉलर जॉब पाने के लिए किसी भी कैंडीडेट के पास न्यूनतम योग्यता के तौर पर ग्रेजुएशन की डिग्री तो होनी ही चाहिए। अक्सर ऐसा होता है कि 10+2 की परीक्षा में स्टूडेंट्स के अच्छे अंक नहीं आ पाते, जिससे उन्हें कॉलेज के रेगुलर कोर्सेज में प्रवेश नहीं मिल पाता। इसके अलावा कई स्टूडेंट्स ऐसे भी होते हैं, जो जॉब के साथ अपनी पढाई जारी रखना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए रेगुलर कॉलेज में एडमिशन लेकर पढाई जारी रख पाना कठिन रहता है। ऐसे में सवाल है कि क्या किया जाए? ऐसे स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के जरिये अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज के अलावा कई तरह के प्रोफेशनल कोर्सेज भी ऑफर करती है।
अंडर ग्रेजुएट कोर्स
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग से बीए यानी बैचलर ऑफ आटर्स के अलावा इंग्लिश और पॉलिटिकल साइंस विषयों में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की जा सकती है। अगर आप कॉमर्स विषय में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं तो इसके लिए बीकॉम या फिर बीकॉम ऑनर्स कोर्स में प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं।
न्यूनतम योग्यता
बीए और बीकॉम पास कोर्स में प्रवेश के लिए कैंडीडेट के पास मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10+2 का सर्टिफिकेट होना चाहिए। जबकि बीए इन इंग्लिश या पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स कोर्स में एडमिशन के लिए कैंडीडेट के क्रमश: 50 और 45 फीसदी अंक अवश्य होने चाहिए। बीकॉम ऑनर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम अंकों का प्रतिशत भी 45 निर्धारित किया गया है।
प्रवेश प्रक्रिया
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग में अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए प्रवेश की प्रक्रिया जून के महीने से आरंभ होती है। वर्ष 2010 की प्रवेश प्रक्रिया 1 जून से आरंभ होगी और अंतिम तिथि 27 अगस्त निर्धारित की गई है। लेट फीस के साथ सितंबर में भी प्रवेश लिया जा सकता है।
प्रवेश लेने के लिए स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के फॉर्म के साथ दसवीं और बारहवीं कक्षा के सर्टिफिकेट्स की प्रति लगानी होती है। फार्म के साथ ही कोर्स की फीस भी डिमांड ड्राफ्ट के जरिये जमा की जाती है।
माइग्रेशन की सुविधा
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के बाद अगर आप इसे बदलना चाहते हैं तो यह भी संभव है। कोर्स बदलने के अलावा दिल्ली यूनिसवर्सिटी के रेगुलर कॉलेज के छात्र चाहें तो वे भी अपना माइग्रेशन स्कूल ऑफ ओपन लर्निग में करा सकते हैं। इसी तरह स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के छात्र-छात्राओं को सीटों की उपलब्धता और परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन के आधार पर रेगुलर कॉलेज में माइग्रेशन का अवसर मिलता है। साथ ही स्कूल ऑफ ओपन लर्निग से दूसरी यूनिवर्सिटीज में भी माइग्रेशन संभव है।
स्टूडेंट सपोर्ट
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग में प्रवेश के उपरांत रेगुलर कॉलेज की ही तरह छात्र-छात्राओं को आइडेंटिटी कार्ड दिए जाते हैं। लेक्चरर और प्राफेसर्स के साथ कैंडीडेट्स को भी संस्थान लाइबे्ररी की सुविधा भी मुहैया कराता है, जो कि नॉर्थ और साउथ दोनों कैम्पसों में मौजूद है। यही नहीं, कैडीडेट्स को संस्थान, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी की तरह कोर्स मेटीरियल भी मुहैया कराता है, जो परीक्षा में मददगार साबित होते हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग से हिन्दी, इतिहास, पॉलिटिकल साइंस और संस्कृत के अलावा एमकॉम की डिग्री भी हासिल की जा सकती है। एमकॉम प्रोग्राम में प्रवेश के लिए कैंडीडेट के पास मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से बीकॉम की डिग्री होनी चाहिए। इस कोर्स में कैंडीडेट को मेरिट के अलावा प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। एमए प्रोग्राम में प्रवेश के लिए कैंडीडेट के ग्रेजुएशन में कम से कम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। इससे कम अंक होने पर प्रवेश परीक्षा में बैठकर प्रवेश प्राप्त किया जा सकता है। पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स करने वाले कैंडीडेट्स को भी लाइबे्ररी की सुविधा मुहैया कराई जाती है। साथ ही आवश्यकतानुसार ये स्टूडेंट्स स्कूल के लेक्चरर्स और रीडर्स की सहायता भी हासिल कर सकते हैं।
प्रोफेशनल कोर्सेज
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग, सेंट फॉर प्रोफेशनल एंड टेक्निकल ट्रेनिंग कैम्पस ऑफ ओपन लर्निग के जरिये कई तरह के प्रोफेशनल कोर्सेज का संचालन भी करता है। ऐसे कोर्सेज के अंतर्गत सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन डेवलपमेंट, ऑटोमोबाइल सर्विस एंड मैनेजमेंट, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, टेलीकॉम सेल्स एंड सर्विस एसोसिएट्स, वेब डिजाइनिंग, इंश्योरेंस, फोटोग्राफी, मास कॉम, 3डी एनिमेशन, रेडियो जॉकी एंड टीवी न्यूज रीडिंग के अलावा और भी कई कोर्स ऑफर करता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के अलावा नॉन कॉलिजिएट के स्टूडेंट्स इन कोर्सेज में प्रवेश पा सकते हैं।
आज के दौर में व्हाइट कॉलर जॉब पाने के लिए किसी भी कैंडीडेट के पास न्यूनतम योग्यता के तौर पर ग्रेजुएशन की डिग्री तो होनी ही चाहिए। अक्सर ऐसा होता है कि 10+2 की परीक्षा में स्टूडेंट्स के अच्छे अंक नहीं आ पाते, जिससे उन्हें कॉलेज के रेगुलर कोर्सेज में प्रवेश नहीं मिल पाता। इसके अलावा कई स्टूडेंट्स ऐसे भी होते हैं, जो जॉब के साथ अपनी पढाई जारी रखना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए रेगुलर कॉलेज में एडमिशन लेकर पढाई जारी रख पाना कठिन रहता है। ऐसे में सवाल है कि क्या किया जाए? ऐसे स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के जरिये अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज के अलावा कई तरह के प्रोफेशनल कोर्सेज भी ऑफर करती है।
अंडर ग्रेजुएट कोर्स
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग से बीए यानी बैचलर ऑफ आटर्स के अलावा इंग्लिश और पॉलिटिकल साइंस विषयों में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की जा सकती है। अगर आप कॉमर्स विषय में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं तो इसके लिए बीकॉम या फिर बीकॉम ऑनर्स कोर्स में प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं।
न्यूनतम योग्यता
बीए और बीकॉम पास कोर्स में प्रवेश के लिए कैंडीडेट के पास मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10+2 का सर्टिफिकेट होना चाहिए। जबकि बीए इन इंग्लिश या पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स कोर्स में एडमिशन के लिए कैंडीडेट के क्रमश: 50 और 45 फीसदी अंक अवश्य होने चाहिए। बीकॉम ऑनर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम अंकों का प्रतिशत भी 45 निर्धारित किया गया है।
प्रवेश प्रक्रिया
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग में अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए प्रवेश की प्रक्रिया जून के महीने से आरंभ होती है। वर्ष 2010 की प्रवेश प्रक्रिया 1 जून से आरंभ होगी और अंतिम तिथि 27 अगस्त निर्धारित की गई है। लेट फीस के साथ सितंबर में भी प्रवेश लिया जा सकता है।
प्रवेश लेने के लिए स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के फॉर्म के साथ दसवीं और बारहवीं कक्षा के सर्टिफिकेट्स की प्रति लगानी होती है। फार्म के साथ ही कोर्स की फीस भी डिमांड ड्राफ्ट के जरिये जमा की जाती है।
माइग्रेशन की सुविधा
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के बाद अगर आप इसे बदलना चाहते हैं तो यह भी संभव है। कोर्स बदलने के अलावा दिल्ली यूनिसवर्सिटी के रेगुलर कॉलेज के छात्र चाहें तो वे भी अपना माइग्रेशन स्कूल ऑफ ओपन लर्निग में करा सकते हैं। इसी तरह स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के छात्र-छात्राओं को सीटों की उपलब्धता और परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन के आधार पर रेगुलर कॉलेज में माइग्रेशन का अवसर मिलता है। साथ ही स्कूल ऑफ ओपन लर्निग से दूसरी यूनिवर्सिटीज में भी माइग्रेशन संभव है।
स्टूडेंट सपोर्ट
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग में प्रवेश के उपरांत रेगुलर कॉलेज की ही तरह छात्र-छात्राओं को आइडेंटिटी कार्ड दिए जाते हैं। लेक्चरर और प्राफेसर्स के साथ कैंडीडेट्स को भी संस्थान लाइबे्ररी की सुविधा भी मुहैया कराता है, जो कि नॉर्थ और साउथ दोनों कैम्पसों में मौजूद है। यही नहीं, कैडीडेट्स को संस्थान, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी की तरह कोर्स मेटीरियल भी मुहैया कराता है, जो परीक्षा में मददगार साबित होते हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग से हिन्दी, इतिहास, पॉलिटिकल साइंस और संस्कृत के अलावा एमकॉम की डिग्री भी हासिल की जा सकती है। एमकॉम प्रोग्राम में प्रवेश के लिए कैंडीडेट के पास मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से बीकॉम की डिग्री होनी चाहिए। इस कोर्स में कैंडीडेट को मेरिट के अलावा प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। एमए प्रोग्राम में प्रवेश के लिए कैंडीडेट के ग्रेजुएशन में कम से कम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। इससे कम अंक होने पर प्रवेश परीक्षा में बैठकर प्रवेश प्राप्त किया जा सकता है। पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स करने वाले कैंडीडेट्स को भी लाइबे्ररी की सुविधा मुहैया कराई जाती है। साथ ही आवश्यकतानुसार ये स्टूडेंट्स स्कूल के लेक्चरर्स और रीडर्स की सहायता भी हासिल कर सकते हैं।
प्रोफेशनल कोर्सेज
स्कूल ऑफ ओपन लर्निग, सेंट फॉर प्रोफेशनल एंड टेक्निकल ट्रेनिंग कैम्पस ऑफ ओपन लर्निग के जरिये कई तरह के प्रोफेशनल कोर्सेज का संचालन भी करता है। ऐसे कोर्सेज के अंतर्गत सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन डेवलपमेंट, ऑटोमोबाइल सर्विस एंड मैनेजमेंट, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, टेलीकॉम सेल्स एंड सर्विस एसोसिएट्स, वेब डिजाइनिंग, इंश्योरेंस, फोटोग्राफी, मास कॉम, 3डी एनिमेशन, रेडियो जॉकी एंड टीवी न्यूज रीडिंग के अलावा और भी कई कोर्स ऑफर करता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के अलावा नॉन कॉलिजिएट के स्टूडेंट्स इन कोर्सेज में प्रवेश पा सकते हैं।
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