चॉकलेट उम्र भी बढ़ाती है
चॉकलेट प्रेमियों के लिए खुशखबरी है कि इसे खाने वालों की उम्र में इजाफा होता है, लेकिन उसकी मात्रा सीमित होनी चाहिए। अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, डेविस (यू.सी.डी.) के प्रोफेसर कार्ल कीन के अनुसार चॉकलेट आपके हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।
यू.सी.डी. के अध्ययन दल ने इस प्रयोग में हिस्सा लेने वाले स्वयं सेवकों को प्रतिदिन पानी में एक बड़ा चम्मच चॉकलेट घोलकर पिलाई और 2 घंटे बाद जब उनका रक्त परीक्षण किया तो पता चला कि उनके रक्त का थक्का बनने की अवधि में उल्लेखनीय कमी आ गई थी। इस प्रभाव के लिए उन्हें फ्लेवीनॉइट नामक चॉकलेट के एक घटक के सबसे ज्यादा उत्तरदायी होने की संभावना नजर आई है।
उधर जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी के डॉ. ताकाशी उशीमा के अनुसार चॉकलेट दाँतों के क्षय की प्रक्रिया को भी रोकती है। बच्चों में दाँतों के खराब होने की समस्या ज्यादा रहती है। चॉकलेट दंतक्षय से इस सफलता के साथ लड़ती है कि कुछ वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि उसके कतिपय घटकों को माउथवॉश या टूथपेस्ट में भी किसी दिन मिलाया जाने लगेगा।
इसी अध्ययन से पता चला है कि चॉकलेट के प्रमुख घटक कोको की फलियाँ मुख में जीवाणुओं के पैदा होने और दंतक्षय दोनों ही प्रक्रियाओं को रोकती है। उन्होंने देखा कि कोको-दाने के छिलकों की जो भूखी (सी.बी.एच.) चॉकलेट बनाते समय आमतौर से बेकार चली जाती है, उसका मुख पर जीवाणु विरोधी प्रभाव तो होता ही है, वह दाँतों पर जमने वाली लॉक (कचरे की पत्ती) तथा अन्य नुकसानदेह एजेंटों के खिलाफ भी काफी असरदार रहती है।
इसी सी.बी.एच. के अर्क को माउथवॉश या टूथपेस्ट में भी पूरक-तत्व के रूप में मिलाया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अन्य मीठे पदार्थों की तुलना में चॉकलेट कहीं कम नुकसानदेह होती है, क्योंकि कोको-बीज में मौजूद जीवाणु विरोधी एजेंट उसकी अत्यधिक मिठास के दुष्प्रभाव को काफी हद तक दूर कर देते हैं। इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि चॉकलेट कई अन्य कारणों से भी हमारे लिए फायदेमंद हो सकती है।
हॉलैंड के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा पर्यावरण संस्थान की डॉ. इल्जा आर्ट्स तथा उनके सहकर्मियों के अनुसार हमारे स्वास्थ्य के लिए चॉकलेट चाय की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर होती है क्योंकि उसमें वह रसायन काफी मात्रा में होता है, जो हमें हृदय रोग तथा कैंसर होने से बचाता है। इन नई खोजों से उन प्रारंभिक अनुसंधानों की ही पुष्टि होती है कि चॉकलेट खाना हमारी सेहत के लिए फायदेमंद है। इस अनुसंधान दल ने चॉकलेट की विभिन्न किस्मों में केरेकिन नामक उस रसायन की मात्रा को मापा, जिसके बारे में माना जा रहा है कि उससे हमारे स्वास्थ्य को लाभ होता है। केरेकिनो के बारे में मान्यता है कि वे इंसान को हृदय रोगों और कैंसर के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं। कई प्रकार के विभिन्न खाद्य-पदार्थों के रसायनिक यौगिकों का परीक्षण करने के बाद इन्हें पता चला कि चॉकलेट में भी केरेकिन रसायन होते हैं।
अब तक की धारणा यह थी कि सबसे ज्यादा केरेकिन की मात्रा चाय में होती है। किंतु अब इस नए शोध के बाद संकेत मिले हैं कि गहरे रंग के चॉकलेट में इससे 4 गुना ज्यादा केरेकिन रसायन होते हैं। गहरे रंग की चॉकलेट में जहाँ प्रति 100 ग्राम में 53.5 मिलीग्राम केरेकिन होते हैं, वहीं मिल्क चॉकलेट में उसकी मात्रा केवल 15.9 मि. ग्राम होती है जबकि दूधरहित, काली चाय में वे प्रति 100 ग्राम 13.9 मि.ग्रा. से ज्यादा नहीं होते।
इस सबके बावजूद ध्यान रहे कि चॉकलेट में कैलोरी बहुत ज्यादा होती हैं और उनके अत्यधिक सेवन से आपका मोटापा और साथ ही हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
मौसमी बुखार से बचाव
स्वच्छ जल पीना चाहिए। पानी की स्वच्छता पर शक हो तो पानी आधा घंटा उबालकर ठंडा कर पीना चाहिए।
कुछ दादी अम्मा के नुस्खे अपनाएँ, जैसे सब्जी ठीक से धोकर बनाएँ, नाखून न बढ़ाएँ, खाने से पूर्व हाथ साफ कर धोएँ।
मौसमी बुखार से बचने के लिए टीके भी आ गए हैं, इन्हें चिकित्सक से लगवा सकते हैं।
बुखार न उतर रहा हो तो तत्काल खून की जाँच कराकर इलाज शुरू करना चाहिए।
क्या आप डाइट पर हैं?
डायटिंग का मतलब भूखा रहना कभी भी नहीं होता। इस सबसे महत्वपूर्ण बात को हमेशा ध्यान रखिए।
मन से कुछ भी डाइट प्लान करने की बजाए विशषेज्ञ की सलाह लेना हमेशा फायदेमंद होता है।
किसी फ्रेंड या परिचित की देखा-देखी भी डाइट प्लान न करें। यह आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।
कम खाएँ,संतुलित खाएँ,समय पर खाएँ और नियमित व्यायाम करें। ये मंत्र सबसे उपयोगी है।
चॉकलेट प्रेमियों के लिए खुशखबरी है कि इसे खाने वालों की उम्र में इजाफा होता है, लेकिन उसकी मात्रा सीमित होनी चाहिए। अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, डेविस (यू.सी.डी.) के प्रोफेसर कार्ल कीन के अनुसार चॉकलेट आपके हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।
यू.सी.डी. के अध्ययन दल ने इस प्रयोग में हिस्सा लेने वाले स्वयं सेवकों को प्रतिदिन पानी में एक बड़ा चम्मच चॉकलेट घोलकर पिलाई और 2 घंटे बाद जब उनका रक्त परीक्षण किया तो पता चला कि उनके रक्त का थक्का बनने की अवधि में उल्लेखनीय कमी आ गई थी। इस प्रभाव के लिए उन्हें फ्लेवीनॉइट नामक चॉकलेट के एक घटक के सबसे ज्यादा उत्तरदायी होने की संभावना नजर आई है।
उधर जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी के डॉ. ताकाशी उशीमा के अनुसार चॉकलेट दाँतों के क्षय की प्रक्रिया को भी रोकती है। बच्चों में दाँतों के खराब होने की समस्या ज्यादा रहती है। चॉकलेट दंतक्षय से इस सफलता के साथ लड़ती है कि कुछ वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि उसके कतिपय घटकों को माउथवॉश या टूथपेस्ट में भी किसी दिन मिलाया जाने लगेगा।
इसी अध्ययन से पता चला है कि चॉकलेट के प्रमुख घटक कोको की फलियाँ मुख में जीवाणुओं के पैदा होने और दंतक्षय दोनों ही प्रक्रियाओं को रोकती है। उन्होंने देखा कि कोको-दाने के छिलकों की जो भूखी (सी.बी.एच.) चॉकलेट बनाते समय आमतौर से बेकार चली जाती है, उसका मुख पर जीवाणु विरोधी प्रभाव तो होता ही है, वह दाँतों पर जमने वाली लॉक (कचरे की पत्ती) तथा अन्य नुकसानदेह एजेंटों के खिलाफ भी काफी असरदार रहती है।
इसी सी.बी.एच. के अर्क को माउथवॉश या टूथपेस्ट में भी पूरक-तत्व के रूप में मिलाया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अन्य मीठे पदार्थों की तुलना में चॉकलेट कहीं कम नुकसानदेह होती है, क्योंकि कोको-बीज में मौजूद जीवाणु विरोधी एजेंट उसकी अत्यधिक मिठास के दुष्प्रभाव को काफी हद तक दूर कर देते हैं। इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि चॉकलेट कई अन्य कारणों से भी हमारे लिए फायदेमंद हो सकती है।
हॉलैंड के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा पर्यावरण संस्थान की डॉ. इल्जा आर्ट्स तथा उनके सहकर्मियों के अनुसार हमारे स्वास्थ्य के लिए चॉकलेट चाय की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर होती है क्योंकि उसमें वह रसायन काफी मात्रा में होता है, जो हमें हृदय रोग तथा कैंसर होने से बचाता है। इन नई खोजों से उन प्रारंभिक अनुसंधानों की ही पुष्टि होती है कि चॉकलेट खाना हमारी सेहत के लिए फायदेमंद है। इस अनुसंधान दल ने चॉकलेट की विभिन्न किस्मों में केरेकिन नामक उस रसायन की मात्रा को मापा, जिसके बारे में माना जा रहा है कि उससे हमारे स्वास्थ्य को लाभ होता है। केरेकिनो के बारे में मान्यता है कि वे इंसान को हृदय रोगों और कैंसर के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं। कई प्रकार के विभिन्न खाद्य-पदार्थों के रसायनिक यौगिकों का परीक्षण करने के बाद इन्हें पता चला कि चॉकलेट में भी केरेकिन रसायन होते हैं।
अब तक की धारणा यह थी कि सबसे ज्यादा केरेकिन की मात्रा चाय में होती है। किंतु अब इस नए शोध के बाद संकेत मिले हैं कि गहरे रंग के चॉकलेट में इससे 4 गुना ज्यादा केरेकिन रसायन होते हैं। गहरे रंग की चॉकलेट में जहाँ प्रति 100 ग्राम में 53.5 मिलीग्राम केरेकिन होते हैं, वहीं मिल्क चॉकलेट में उसकी मात्रा केवल 15.9 मि. ग्राम होती है जबकि दूधरहित, काली चाय में वे प्रति 100 ग्राम 13.9 मि.ग्रा. से ज्यादा नहीं होते।
इस सबके बावजूद ध्यान रहे कि चॉकलेट में कैलोरी बहुत ज्यादा होती हैं और उनके अत्यधिक सेवन से आपका मोटापा और साथ ही हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
मौसमी बुखार से बचाव
स्वच्छ जल पीना चाहिए। पानी की स्वच्छता पर शक हो तो पानी आधा घंटा उबालकर ठंडा कर पीना चाहिए।
कुछ दादी अम्मा के नुस्खे अपनाएँ, जैसे सब्जी ठीक से धोकर बनाएँ, नाखून न बढ़ाएँ, खाने से पूर्व हाथ साफ कर धोएँ।
मौसमी बुखार से बचने के लिए टीके भी आ गए हैं, इन्हें चिकित्सक से लगवा सकते हैं।
बुखार न उतर रहा हो तो तत्काल खून की जाँच कराकर इलाज शुरू करना चाहिए।
क्या आप डाइट पर हैं?
डायटिंग का मतलब भूखा रहना कभी भी नहीं होता। इस सबसे महत्वपूर्ण बात को हमेशा ध्यान रखिए।
मन से कुछ भी डाइट प्लान करने की बजाए विशषेज्ञ की सलाह लेना हमेशा फायदेमंद होता है।
किसी फ्रेंड या परिचित की देखा-देखी भी डाइट प्लान न करें। यह आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।
कम खाएँ,संतुलित खाएँ,समय पर खाएँ और नियमित व्यायाम करें। ये मंत्र सबसे उपयोगी है।
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