सीनियर सेकेंडरी के बाद उच्च शिक्षा के लिए सही स्ट्रीम या विषय का चयन किसी भी छात्र की प्राथमिकता हो सकती है, लेकिन इसके लिए चिंता करने को वाजिब नहीं कहा जा सकता। आज किसी भी विषय में की गई पढ़ाई एक अच्छे करियर की नींव साबित हो सकती है, बशर्ते आप मेहनती हों और लक्ष्य साध कर चले हों। ज्यादातर करियर ऐसे उभर कर सामने आए हैं, जो किसी भी स्ट्रीम के छात्रों के लिए खुले हैं। सिर्फ इंजीनियरिंग और मेडिकल से संबद्ध क्षेत्रों के लिए क्रमश: छात्रों को फिजिक्स, कैमिस्ट्री व मैथ्स या फिजिक्स, कैमिस्ट्री व बायोलॉजी लेने की जरूरत होती है।
अधिक अंक आपके सुनहरे भविष्य की घोषणा नहीं करते। किसी अच्छे स्कूल/कॉलेज/इंस्टिट्य़ूट से निकले छात्रों में आवश्यक ज्ञान तो होता ही है। इसके विपरीत 80 प्रतिशत वेटेज छात्रों के अन्य गुणों को दिया जाता है, जैसे कम्युनिकेशन स्किल, इंटरपर्सनल स्किल, सृजनात्मक योग्यता, ज्ञान का व्यावहारिक उपयोग, नेतृत्व की क्षमता आदि, जिनका विकास एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी में भाग लेने और खुद में तमाम हॉबीज, जैसे रीडिंग, पेंटिंग, म्यूजिक आदि की खूबियां विकसित करने से होता है।
करियर की किसी राह पर चल पड़ने के बावजूद आप चाहें तो अपना ट्रैक बदल भी सकते हैं। मल्टी-स्किल्ड व्यक्तित्व के विकास के लिए जरूरी है कि आप में बहुआयामी प्रवृत्ति की झलक दिखाई दे। डॉ. करीम, जो ‘सोच’ नामक फिल्म बना चुके हैं, एक बेहद सफल सर्जन भी हैं। कोलकाता स्थिति संगीत रिसर्च एकेडमी के डायरेक्टर अमित मुखर्जी न सिर्फ एक बेहतर शास्त्रीय गायक हैं, बल्कि जियोलॉजिस्ट भी हैं। तभी तो वह जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर के रूप में भी काम करते हैं। पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस केकी दारूवाला काफी प्रसिद्ध लेखक भी हैं। ह्यूग प्रैथर ने इस कॉन्सेप्ट को संक्षेप में इन शब्दों में व्यक्त किया है- ‘मेरा एक अंश है जो लिखना चाहता है, एक अंश है जो कोई सिद्धांत स्थापित करना चाहता है, एक अंश है जो कुछ गढ़ना चाहता है और एक अंश है जो पढ़ाना चाहता है। मुझे किसी एक काम के लिए बाध्य करना मेरे अधिकांश भाग को खत्म कर देगा।’
जॉब सिक्योरिटी के कॉन्सेप्ट में भी बदलाव आया है। इसकी बजाय अब इनकम सिक्योरिटी के बारे में अधिक सोचा जा रहा है। कॉन्ट्रैक्ट का चलन अब अधिकांश कंपनियों में है। इस कॉन्ट्रैक्ट को तभी आगे बढ़ाया जाता है, जब अपने काम में आप बेहतर प्रदर्शन करें और यह तभी संभव है, जब आप में जरूरी योग्यता, क्षमता और ज्ञान के अलावा आगे बढ़ने की योग्यता हमेशा विद्यमान रहे, ताकि आपका ‘द बेस्ट’ सबके सामने आ सके।
कोई भी करियर आइडियल नहीं है, बल्कि आप जिस विकल्प का चयन करते हैं, वह खास है। सभी करियर ऑप्शन खास हैं। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसमें से किसमें खुद को निखारते हैं।
इंफॉर्मेशन-कम्युनिकेशन-एंटरटेनमेंट
टेलीविजन चैनलों की बूम और तमाम मल्टीनेशनल मीडिया नेटवर्क्स के आगमन से निर्माताओं, निर्देशकों, कंप्यूटर प्रोफेशनल्स, तकनीशियनों, इंजीनियरों, जर्नलिस्ट, वीजे, एंकर पर्सन, न्यूज रीडर, एडिटर, सेट डिजाइनर आदि प्रोफेशनल्स के लिए जॉब के कई अवसर सामने आए हैं।
मेट्रो में एफएम रेडियो की लोकप्रियता और विभिन्न रेडियो स्टेशन के उद्भव से ब्रॉडकासटिंग में करियर अब काफी आकर्षक हो गया है। एफएम स्टेशन के लिए आप रेडियो जॉकी, मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, कॉरेसपॉन्डेंस, साउंड इंजीनियर आदि के रूप में काम कर सकते हैं। ग्लोबलाइजेशन के इस युग में एडवरटाइजिंग एंड पब्लिक रिलेशन एक अन्य विस्तार पाता क्षेत्र है। तुलनात्मक रूप से इस क्षेत्र से ही बेहद करीब है ईवेंट मैनेजमेंट का काम। इसके तहत ईवेंट के कॉन्सेप्ट को तैयार करने, प्लानिंग, व्यवस्था और ईवेंट को अंजाम देने जैसे काम आप कर सकते हैं।
डिजाइन
डिजाइनिंग का काम आज सभी उद्यमों का खास आधार है। डिजाइन का क्षेत्र काफी विस्तृत है और इसके अंतर्गत शामिल हैं- प्रोडक्ट डिजाइन, टेक्सटाइल डिजाइन, सेरामिक डिजाइन, इंटीरियर डिजाइन, फैशन डिजाइन, ज्वैलरी डिजाइन, विजुअल मर्केडाइजिंग और कम्युनिकेशन डिजाइन। कम्युनिकेशन डिजाइन के तीन भाग हैं- ग्राफिक डिजाइन, एनिमेशन फिल्म डिजाइन और वीडियो प्रोग्रामिंग।
सर्विस सेक्टर
विश्व में सबसे तेजी से विकसित होने वाले उद्यम के रूप में आज पर्यटन का ही नाम सामने आता है। यही कारण है कि ट्रैवल और टूरिज्म के साथ-साथ होटल और कैटरिंग से जुड़े कार्यो के लिए आज कुशल प्रोफेशनल्स की भारी मांग है।
इस क्षेत्र में इंश्योरेंस सेक्टर के भी शामिल हो जाने के कारण अब इसमें संबंधित लोगों की मांग खूब बढ़ी है। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधित कामों के लिए हैल्थ केयर सेक्टर में भी हॉस्पिटल/हैल्थ मैनेजर और एडमिनिस्ट्रेटर की काफी मांग है। यह बेहद ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर है और इस कारण यहां स्किल्ड प्रोफेशनल्स की मांग काफी है। इसे नई सदी के टॉप 10 करियर ऑप्शंस में शामिल किया गया है।
‘सबके लिए शिक्षा’ आंदोलन के रफ्तार पकड़ने के साथ ही औद्योगिक युग से अब ज्ञान युग के आगमन का अहसास होना शुरू हो गया है। यही कारण है कि एजुकेशन और ट्रेनिंग में आज प्रोफेशनल्स की मांग काफी बढ़ गई है। आज अच्छी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्कूल खूब प्रयासरत हैं। इसके लिए उन्हें कुशल और प्रशिक्षित टीचर्स की जरूरत है, जिनकी सैलेरी का कोई जवाब नहीं। वाकई किसी को भी ईर्ष्या हो सकती है। और सबसे अंत में, पर सबसे महत्त्वपूर्ण आईटी इंडस्ट्री का तो कोई मुकाबला ही नहीं है। टेली शॉपिंग सेंटर्स, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, आंकड़ों की सुरक्षा और उनका संकलन, इंश्योरेंस क्लेमिंग और मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए तमाम रिकॉर्डस रखने जैसे कामों के लिए इंग्लिश स्पीकिंग और कंप्यूटर लिटरेट प्रोफेशनल्स की जरूरत आज सब जगह है।
लॉ
ग्लोबलाइजेशन के युग ने कॉरपोरेट लॉयर की डिमांड अचानक ही बढ़ा दी है। जिस क्षेत्र में विशेषज्ञों की जरूरत भविष्य में सबसे ज्यादा होगी, वह क्षेत्र है साइबर लॉ का। इंटरनेट के विस्तार से साइबर लॉ के जानकारों के लिए मानो करियर का खुला आसमान ही उपलब्ध हो गया है। इसके अलावा लॉ से संबंधित एक और उभरता क्षेत्र है जेनेटिक्स लॉ का।
जितने भी कानूनी सिस्टम हैं, उनमें ऐसे लोगों की काफी जरूरत है, जो ऐसे लॉ की पेचिदगियों को समझ सकें और उसकी व्याख्या कर सकें। सिविल और क्रिमिनल लॉयर के रूप में प्रैक्टिस करने के अलावा छात्र बिजनेस लॉ, एन्वायरमेंटल लॉ, पेटेंट लॉ, रियल एस्टेट लॉ, लेबर लॉ, साइबर लॉ, जेनेटिक्स लॉ आदि में विशेषज्ञता हासिल करके भी अपना भविष्य खास अंदाज में संवार सकते हैं।
बिजनेस मैनेजमेंट
विभिन्न संस्थानों को यदि लाभ कमाना है तो आने वाले समय में इस कॉम्पीटीटिव युग में उनको ऐसे उद्यमी मैनेजरों की जरूरत पड़ेगी, जो उनके काम को आसानी से लाभ में बदल सकें। वे सिर्फ जॉब न करें, बल्कि किसी उद्यमी की तरह अपने काम को अंजाम दें। बिजनेस कंसलटिंग एक और उभरता क्षेत्र है। देखा जाए तो बिजनेस मैनेजमेंट एक बेहद ही विस्तृत दायरे में तमाम कार्यों को अपने अंदर समेटे हुए है, जिसके लिए रियल प्रोफेशनल्स की डिमांड आने वाले समय में निश्चय ही बढ़ेगी।
रोबोटिक्स
इस क्षेत्र में विकास का आलम यह है कि इसका इस्तेमाल अब सर्जरी, सुरक्षा, हैल्थ केयर, स्पेस, फास्ट फूड इंडस्ट्री आदि विभिन्न क्षेत्रों में मानव की जगह किया जाने लगा है। ऐसे में जानकारों की मांग तो बढ़ेगी ही।
साइंस एंड टेक्नोलॉजी
इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन सिस्टम के विकसित रूप ने आज वैज्ञानिक आविष्कारों और तकनीकी उपयोगिता को काफी विस्तार देना शुरू कर दिया है। इससे इस क्षेत्र में करियर के ऑप्शंस भी खूब हैं। इससे इंजीनियरिंग और मेडिकल के क्षेत्र में भी तमाम अवसर उपलब्ध होने लगे हैं। जहां तक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का सवाल है तो आज के युग में इसका कोई मुकाबला ही नहीं है। बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी हो रहे विकास से करियर ऑप्शंस के क्षेत्र में विस्तार आता जा रहा है। जेनेटिक्स इसमें सबसे हॉट एरिया है, जिसमें एग्रीकल्चर और ह्यूमन हैल्थ के क्षेत्र में रिकॉर्ड तोड़ काम हुआ है। वाकई बायोटेक्नोलॉजी ने आहार की कमी को दूर कर दिया है।
न्यूरोसाइंस
यह सबसे नया क्षेत्र है, जिसमें सेल्यूलर और मोलेक्यूलर बायोलॉजी को बायोलॉजी, कैमिस्ट्री, मनोविज्ञान और फिजियोलॉजी का साथ मिलता है और फिर मचता है इस क्षेत्र में धमाल। ऐसे में विशेषज्ञों के लिए जॉब की कमी कैसे हो सकती है।
नैनोटेक्नोलॉजी
नैनोटेक्नोलॉजी भविष्य की तकनीक है। इसकी सूक्ष्म तकनीक ने विकास के तमाम दरवाजे खोल दिए हैं और साथ ही रोजगार के भी।
स्पेस रिसर्च
इसके तहत मुख्य रूप से एस्ट्रोनॉमी, एस्ट्रोफिजिक्स, अर्थ साइंस, अंतरिक्ष, सोलर सिस्टम और थ्योरिटिकल फिजिक्स का अध्ययन किया जाता है। अंतरिक्ष को समझने की लालसा और इससे संबंधित क्षेत्रों में हो रही रिसर्च ने प्रोफेशनल्स की मांग काफी बढ़ा दी है।
कॉग्निटिव साइंस
न्यूरोसाइंस से संबंधित इस खास क्षेत्र में भी भविष्य काफी सुनहरा है। इसके तहत मनोविज्ञान, ब्रेन बायोलॉजी और मानव व्यवहार का मिला-जुला अध्ययन किया जाता है।
एन्वायरमेंटल साइंस
पर्यावरण प्रदूषण को लेकर आज सभी चिंतित हैं। ऐसे में तमाम ऐसी कोशिशें हो रही हैं, जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके। इसके तहत सभी प्रकार के प्रदूषणों पर काम किया जाता है, ताकि धरती को बचाया जा सके।
एनजीओ सेक्टर
तमाम विकास संबंधी कार्यों को अंजाम देकर गरीबी को दूर करने का जिम्मा पूरी दुनिया में विभिन्न नॉन-गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशंस (एनजीओ) ने उठा रखा है, इसलिए सोशल वर्क, एंथ्रोपोलॉजी, ह्यूमन राइट्स, डेवलपमेंटल इकोनॉमिक्स और एचआरडी से संबंधित विशेषज्ञता आपके लिए करियर के कई द्वार खोलती है।
सोशल वर्क के तहत करियर कई तरह की विशेषज्ञता की मांग करता है, जिनका संबंध कम्युनिटी डेवलपमेंट और लोगों के साथ भागीदारी से होता है। इसमें बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं, मानसिक या शारीरिक विकलांगों के साथ रहना पड़ता है, उनकी समस्याओं को समझना पड़ता है और उनको दूर करने की कोशिश करनी पड़ती है।
इसके तहत अन्य जिन क्षेत्रों में जॉब के अवसर हैं, वे हैं- लेबर वेलफेयर, इंडस्ट्रियल रिलेशन, फैमिली वेलफेयर, काउंसलिंग सर्विस आदि। इसके अलावा सोशल वर्कर्स रिसर्च स्टडीज, डाटा मूल्यांकन, प्रोजेक्ट का निर्धारण और निर्माण के साथ-साथ समाज में जागरूकता फैलाने जैसे कार्यों को भी अंजाम देते हैं।
नए जमाने के करियर
सबसे बड़ा भ्रम यह सोचना है कि 12वीं के बाद सामान्य डिग्री लेने की बजाय कोई प्रोफेशनल डिग्री लेने की कोशिश की जाए, क्योंकि बीए, बीएससी और बीकॉम जैसी डिग्रियों की अब कोई अहमियत नहीं है। इस तरह की अवधारणा छात्रों को भ्रमित करती है, क्योंकि यह निर्णय निजी अभिरुचि पर निर्भर करता है।
ग्रेजुएट स्तर पर विभिन्न विषयों का अध्ययन छात्रों के ज्ञान के विस्तार के साथ-साथ उनकी चिंतन क्षमता में भी मददगार होता है, जो किसी भी क्षेत्र में प्रोफेशनल डेवलपमेंट के लिए अत्यंत जरूरी है। ज्ञान की इस अर्थव्यवस्था में, जहां बौद्धिक पूंजी से ही वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की क्षमता अपने शीर्ष पर पहुंचती है, ऐसी डिग्रियां बेहद जरूरी हैं।
आज, मैककिंजे जैसी मल्टीनेशनल कंपनियां भी अच्छे स्टाफ का सेलेक्शन करने के लिए टॉप कॉलेज में कैंपस इंटरव्यू करने पहुंच जाती हैं, ताकि स्मार्ट माइंड और स्मार्ट पर्सनेलिटी का चयन किया जा सके। ऐसी कंपनियों के लिए विषय मायने नहीं रखता। हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, मैथ्स, स्टेटिस्टिक्स, फिजिक्स, साहित्य आदि किसी भी विषय से स्मार्ट छात्रों का चयन कर लिया जाता है।
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