दो चींटियां एक डिब्बे पर रेंग रही थीं। अचानक एक चींटी डिब्बे को जोर-जोर से काटने लगी।
दूसरी ने पूछा, ‘ऐसा क्यों कर रही हो?’
पहली चींटी ने कहा, ‘तुमने पढ़ा नहीं, डिब्बे पर लिखा है, यहां काटिए।’
कयामत के दिन देवदूत ने सभी लोगों से अपने पापों को एक पर्चे में लिखने को कहा।
थोड़ी देर बाद पीछे से एक आवाज आई ‘एक्स्ट्रा शीट प्लीज।’
जज, (चोर से) ‘तुमने एक हफ्ते में 15 चोरियां कैसे की?’
चोर, ‘हुजूर दिन-रात मेहनत करके।’
जेलर (चोर से), ‘तुम्हारा कोई रिश्तेदार तुमसे मिलने क्यों नहीं आता?’
चोर (हंसते हुए), ‘दरअसल, वो सब जेल में ही हैं।’
वीरू (जय से), ‘कल तुझे मेरे मोहल्ले के दस लड़कों ने बहुत बुरी तरह पीटा।
फिर तूने क्या किया?’
वीरू, ‘मैंने उन सभी से कहा कि कि अगर हिम्मत है, तो अकेले-अकेले आओ।’
जय, ‘फिर क्या हुआ?’
वीरू, ‘होना क्या था, उसके बाद उन सबने एक-एक करके फिर से मुझे पीटा।’
घर की पालतू बिल्ली के अचानक मर जाने पर नौकर जोर-जोर से रो रहा था।
उसे देखकर मालिक ने पूछा, ‘‘अरे! बिल्ली के लिए तुम इतना क्यों रो रहे हो?’’
नौकर : ‘‘क्या कहूं साहब, मैं तो लुट गया। अब सारा दूध पीने के बाद मैं किसका नाम लगाऊंगा।’’
रास्ते में उसे जलेबी की दुकान दिखी।
उसने हलवाई से पूछा, ‘‘वॉट इस दिस।’’
हलवाई, ‘‘दिस इज राउंड-राउंड एंड स्टॉप।’’
सुबह-सुबह साहब बाग में टहल रहे थे कि उनके एक डॉक्टर दोस्त मिल गए और बोले, ‘‘सुबह-सुबह बाग में घूमना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।’’ ‘‘खाक अच्छा है।’’ साहब झल्लाकर बोले। डॉक्टर दोस्त ने पूछा, ‘‘आप नाराज क्यों हो रहे हैं? क्या बात है?’’ साहब बोले, ‘‘अरे, मैं तो रात से ही यहां घूम रहा हूं। पत्नी ने रात से दरवाजा नहीं खोला।’’
यात्री, ‘‘यह बस कहां जाएगी?’’ कंडक्टर, ‘‘सड़क पर।’’ टीचर, ‘‘तुम कहां जाना पसंद करोगे?’’ बच्चे, ‘‘जहां स्कूल न हो।’’
एक आदमी बहरे व्यक्ति से बातें कर रहा था। इस पर बहरा बोला, ‘‘भाई साहब, आप इतनी देर से मुझसे बातें कर रहे हैं। मैं बहरा हूं।’’ आदमी बोला, ‘‘भाई साहब, मैं आपसे बातें नहीं कर रहा, बल्कि च्युंगम चबा रहा हूं।’’
पति, ‘चलो आज चाय पीने कहीं बाहर चलें।’ पत्नी,‘क्यों, तुम्हें लगता है मैं चाय बनाते-बनाते थक गई हूं?’ पति, ‘नहीं, दरअसल मैं कप धोते-धोते हुए तंग आ गया हूं।’
पहला, ‘मान लो कोई रेलगाड़ी तुम्हारी तरफ तेजी से आ रही हो, तो उस वक्त तुम क्या करोगे ?’ दूसरा, ‘मैं हैलीकॉप्टर में बैठ कर फुर्र हो जाऊंगा।’ पहला, ‘तुम्हारे पास हैलीकॉप्टर कहां से आएगा?’ दूसरा, ‘वहीं से, जहां से तुम्हारी रेलगाड़ी आएगी।’
टीचर, ‘तुम दिन में आठ घंटे सोया करो।’ छात्र, ‘ऐसा कैसे हो सकता है सर, स्कूल तो सिर्फ छह घंटे तक होता है।’
पहला, ‘बस और साइकिल में क्या फर्क होता है ?’ दूसरा, ‘बस अपने स्टैंड के साथ कहीं नहीं जाती, लेकिन साइकिल का स्टैंड हमेशा उसके साथ जाता है।’
ढाबे का उद्घाटन धूमधाम से किया गया। अब वे अपने पहले ग्राहक के इंतजार में थे। पर पहले दिन कोई नहीं आया। उन्होंने और इंतजार किया पर फिर भी कोई नहीं आया। यहां तक कि एक सप्ताह बीतने चला फिर भी कोई नहीं आया। दरअसल ढाबे के मुख्य द्वार पर एक सूचना लटकी हुई थी-“बाहर के लोगों को इजाजत नहीं है।” ढाबे के काम में असफलता मिलने पर दोनों ने गैराज खोलने का निश्चय किया। उन्होंने अच्छे-अच्छे औजार खरीदे और गैराज खोल दिया। उन्हें अब मरम्मत के लिए आने वाली पहली कार का इंतजार था। एक दिन बीता, दो दिन गुजरे पर कोई कार मरम्मत के लिए नहीं आई। इंतजार करते हुए एक सप्ताह बीतने चला पर कार नहीं आई। जानते हैं क्यों? क्योंकि यह गैराज उसी बिल्डिंग के पहले तल्ले पर था।
सर्दियों की एक रात मैं घर लौट रहा था। सड़क पर कितनी फिसलन थी इसका मुझे अनुमान नहीं था। एक चौराहे पर मैंने कार को रोकना चाहा, मगर फिसलती हुई वह पास खड़ी पुलिस की एक वैन से जा टकराई।
दूसरी ने पूछा, ‘ऐसा क्यों कर रही हो?’
पहली चींटी ने कहा, ‘तुमने पढ़ा नहीं, डिब्बे पर लिखा है, यहां काटिए।’
कयामत के दिन देवदूत ने सभी लोगों से अपने पापों को एक पर्चे में लिखने को कहा।
थोड़ी देर बाद पीछे से एक आवाज आई ‘एक्स्ट्रा शीट प्लीज।’
जज, (चोर से) ‘तुमने एक हफ्ते में 15 चोरियां कैसे की?’
चोर, ‘हुजूर दिन-रात मेहनत करके।’
जेलर (चोर से), ‘तुम्हारा कोई रिश्तेदार तुमसे मिलने क्यों नहीं आता?’
चोर (हंसते हुए), ‘दरअसल, वो सब जेल में ही हैं।’
वीरू (जय से), ‘कल तुझे मेरे मोहल्ले के दस लड़कों ने बहुत बुरी तरह पीटा।
फिर तूने क्या किया?’
वीरू, ‘मैंने उन सभी से कहा कि कि अगर हिम्मत है, तो अकेले-अकेले आओ।’
जय, ‘फिर क्या हुआ?’
वीरू, ‘होना क्या था, उसके बाद उन सबने एक-एक करके फिर से मुझे पीटा।’
घर की पालतू बिल्ली के अचानक मर जाने पर नौकर जोर-जोर से रो रहा था।
उसे देखकर मालिक ने पूछा, ‘‘अरे! बिल्ली के लिए तुम इतना क्यों रो रहे हो?’’
नौकर : ‘‘क्या कहूं साहब, मैं तो लुट गया। अब सारा दूध पीने के बाद मैं किसका नाम लगाऊंगा।’’
रास्ते में उसे जलेबी की दुकान दिखी।
उसने हलवाई से पूछा, ‘‘वॉट इस दिस।’’
हलवाई, ‘‘दिस इज राउंड-राउंड एंड स्टॉप।’’
सुबह-सुबह साहब बाग में टहल रहे थे कि उनके एक डॉक्टर दोस्त मिल गए और बोले, ‘‘सुबह-सुबह बाग में घूमना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।’’ ‘‘खाक अच्छा है।’’ साहब झल्लाकर बोले। डॉक्टर दोस्त ने पूछा, ‘‘आप नाराज क्यों हो रहे हैं? क्या बात है?’’ साहब बोले, ‘‘अरे, मैं तो रात से ही यहां घूम रहा हूं। पत्नी ने रात से दरवाजा नहीं खोला।’’
यात्री, ‘‘यह बस कहां जाएगी?’’ कंडक्टर, ‘‘सड़क पर।’’ टीचर, ‘‘तुम कहां जाना पसंद करोगे?’’ बच्चे, ‘‘जहां स्कूल न हो।’’
एक आदमी बहरे व्यक्ति से बातें कर रहा था। इस पर बहरा बोला, ‘‘भाई साहब, आप इतनी देर से मुझसे बातें कर रहे हैं। मैं बहरा हूं।’’ आदमी बोला, ‘‘भाई साहब, मैं आपसे बातें नहीं कर रहा, बल्कि च्युंगम चबा रहा हूं।’’
पति, ‘चलो आज चाय पीने कहीं बाहर चलें।’ पत्नी,‘क्यों, तुम्हें लगता है मैं चाय बनाते-बनाते थक गई हूं?’ पति, ‘नहीं, दरअसल मैं कप धोते-धोते हुए तंग आ गया हूं।’
पहला, ‘मान लो कोई रेलगाड़ी तुम्हारी तरफ तेजी से आ रही हो, तो उस वक्त तुम क्या करोगे ?’ दूसरा, ‘मैं हैलीकॉप्टर में बैठ कर फुर्र हो जाऊंगा।’ पहला, ‘तुम्हारे पास हैलीकॉप्टर कहां से आएगा?’ दूसरा, ‘वहीं से, जहां से तुम्हारी रेलगाड़ी आएगी।’
टीचर, ‘तुम दिन में आठ घंटे सोया करो।’ छात्र, ‘ऐसा कैसे हो सकता है सर, स्कूल तो सिर्फ छह घंटे तक होता है।’
पहला, ‘बस और साइकिल में क्या फर्क होता है ?’ दूसरा, ‘बस अपने स्टैंड के साथ कहीं नहीं जाती, लेकिन साइकिल का स्टैंड हमेशा उसके साथ जाता है।’
ढाबे का उद्घाटन धूमधाम से किया गया। अब वे अपने पहले ग्राहक के इंतजार में थे। पर पहले दिन कोई नहीं आया। उन्होंने और इंतजार किया पर फिर भी कोई नहीं आया। यहां तक कि एक सप्ताह बीतने चला फिर भी कोई नहीं आया। दरअसल ढाबे के मुख्य द्वार पर एक सूचना लटकी हुई थी-“बाहर के लोगों को इजाजत नहीं है।” ढाबे के काम में असफलता मिलने पर दोनों ने गैराज खोलने का निश्चय किया। उन्होंने अच्छे-अच्छे औजार खरीदे और गैराज खोल दिया। उन्हें अब मरम्मत के लिए आने वाली पहली कार का इंतजार था। एक दिन बीता, दो दिन गुजरे पर कोई कार मरम्मत के लिए नहीं आई। इंतजार करते हुए एक सप्ताह बीतने चला पर कार नहीं आई। जानते हैं क्यों? क्योंकि यह गैराज उसी बिल्डिंग के पहले तल्ले पर था।
सर्दियों की एक रात मैं घर लौट रहा था। सड़क पर कितनी फिसलन थी इसका मुझे अनुमान नहीं था। एक चौराहे पर मैंने कार को रोकना चाहा, मगर फिसलती हुई वह पास खड़ी पुलिस की एक वैन से जा टकराई।
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