शुक्रवार, 11 जून 2010

चाँद और पत्नी का मूड

-अरुण कुमार बंछोर

भारत में लगभग हर हिन्दू नारी अपने सुहाग की रक्षा के लिए चतुर्थी का व्रत रखती है। इस हेतु वह दिनभर भूखी प्यासी रहकर चंद्रोदय का इंतजार करती है। चाँद के आसमान के पटल पर उदित होने पर उसका पूजन करने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती है। न जाने क्यों इस दिन चाँद बहुत लुकाछिपी खेलता है और देर रात तक या तो नहीं उगता या बादलों के पीछे छिपा रहता है।

कम लोगों को ज्ञात होगा कि पत्नियों के मूड का भी चाँद के साथ गहरा संबंध है। जिस दिन पत्नी का मूड फुल ऑफ हो उस दिन समझ लेना चाहिए कि आज अमावस्या है और चाँद आसमान से गायब है। मूड जब कुछ सुधरे तो समझ लेना चाहिए कि उस दिन एकम है। शुक्ल पक्ष की दूज...तीज से आगे जब चाँद बढ़ने लगता है तो पत्नियों का मूड भी सुधरने लगता है तो पतियों की जान में जान आ जाती है।
जिस दिन पत्नी का मूड बहुत बढ़िया और रोमांटिक हो वह दिन चौदस का होता है और उसी दिन पति पत्नी से कहता है ‍कि आज तो तुम चौदहवीं का चाँद लग रही हो।

पूर्णिमा का‍ दिन प्रेम की पराकाष्ठा का दिन होता है और इस दिन पति-पत्नी में फुल पटती है। यदि सर्वे करवाया जाए तो पूर्णिमा के‍‍ दिन अधिकतर प्रेमी जोड़े सिनेमा, मॉल, होटल अथवा ताजमहल पर मिलेंगे।
कृष्ण पक्ष के आते ही चाँद वापस ढलने लगता है और पति की परेशानियाँ बढ़ने लगती है। कृष्ण पक्ष में जो कुछ भी बीतता है उसे ही पति पत्नी के अंदरूनी मामलात कहा जाता है जिनमें दखल देना ठीक नहीं माना जाता है।
पति के लिए बेहतर है कि कृष्ण पक्ष के इन दिनों में अपने टूर आदि प्लान कर लें या फिर पत्नी को वेकेशन पर लेकर चले जाएँ। बिगड़ी स्थि‍ति को गिफ्‍ट आदि देकर भी सँभाला जा सकता है या फिर अपने से अधिक अनुभवी ‍पतियों की सलाह ली जा सकती है।
सारांश में इन दिनों में पत्नी से कम से कम बात की जाए, उसकी किसी बात का विरोध न किया जाए और कोई भी पंगा लेने से बचा जाए तो जीवन का हर दिन चौदहवीं का चाँद और पूर्णिमा बन सकता है।

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