ठोकर खाकर भी बदल सकती है राह
हेलो दोस्तो! कोई अपना व्यवहार क्यों और कब बदल देगा इसका अंदाजा लगाना बड़ा कठिन है। हमारी दुनिया अपनी ही धुन पर चलती है। हममें से अधिकतर लोगों को जब जिस ओर बेहतरी दिखती है बस उसी के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। उस वक्त न तो किसी नैतिकता पर विचार करने की आवश्यकता महसूस होती है और न ही किसी की पीड़ा से कोई मतलब होता है। हर पल हम एक प्रकार की तुलना में ही जीते रहते हैं। जो पलड़ा जितना अपने फायदे की ओर झुका होता है हमारा फैसला भी उसी ओर हो जाता है।
समाज में ऐसे भी बहुतेरे लोग मिल जाएँगे जिन्हें जीवन के किसी एक वक्त जिन विचार, धर्म, स्त्री, पुरुष, बच्चे, भाषा, संस्कृति, रंग साहित्य आदि से नफरत थी उन्हें जीवन के दूसरे मोड़ पर उससे प्यार हो गया। तब जीने के लिए वही नफरत वाली भावना बदलनी पड़ी या कहें कि स्वार्थ के लिए हम कोई भी कदम उठा सकते हैं। किसी को नीचा दिखा सकते हैं। किसी की मासूम भावना का मजाक उड़ा सकते हैं। जिसकी भावना का तमाशा बनाया जा रहा हो उसके लिए सचमुच जीना मुहाल हो जाता है।
ऐसी ही स्थिति में पड़कर रंजन (बदला हुआ नाम) सबसे मुँह छुपाते फिर रहे हैं। दोस्तों के कमेंट ने उन्हें एकांत में ढकेल दिया है। आँसू बहाने के सिवा उनके पास कोई चारा नहीं बचा है। रंजन इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष के छात्र हैं और वह प्रथम वर्ष की एक छात्रा को बेहद पसंद करते थे। नए वर्ष के मौके पर उन्होंने एक लाल गुलाब और नया वर्ष बधाई कार्ड उसे गर्ल्स हॉस्टल भिजवा दिया। तकरीबन एक हफ्ते बाद वह लड़की उन्हें मिली और उस पर खूब चिल्लाई, बुरा-भला कहा और इल्जाम लगाया कि उसने उसे कलंकित किया है जबकि वह ऐसी-वैसी लड़की नहीं है।
रंजन को ग्लानि हुई। यहाँ तक तो कहानी सीधी थी। ऐसा अमूमन होता रहता है। पर उस वक्त रंजन हैरान रह गया जब उसी लड़की के सामने दो-तीन दिनों के भीतर ही एक और लड़के ने प्रस्ताव रखा और वह झट खुशी-खुशी मान गई। लड़की के इस दोहरे व्यवहार ने रंजन को मजाक का पात्र बना दिया। अब कॉलेज के लड़के रंजन को हर वक्त चिढ़ाते रहते हैं। वह लड़की दूसरे लड़के के साथ खूब हँसी-ठिठोली करती घूमती फिरती है। रंजन को समझ में नहीं आता कि वह यह सब कैसे भुलाए। वह उस लड़की के व्यवहार से उपजे हजार सवाल अपने मन से पूछता है पर उसे जवाब नहीं मिलता।
रंजन जी, हम सभी लोग दूसरों का व्यवहार सोच-सोचकर ही परेशान होते हैं। दूसरे ने खास प्रकार का व्यवहार क्यों किया, वह आप नहीं जान सकते। आप उस व्यक्ति की सोच को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं।
हो सकता है वह लड़की उस लड़के को पसंद करती हो। दोनों ही एक-दूसरे को पसंद करते हों पर औपचारिक रूप से ऐलान न किया हो। ऐसे में उसे अपनी एकनिष्ठा एवं पवित्रता साबित करने के लिए उसने आपका प्रस्ताव स्वीकार न किया हो। अपने प्रेमी को अपनी वफादारी जताने का यही तरीका उसे समझ में आया हो। आखिर वह भी एक छोटी लड़की ही है। दूसरी बात यह कि वह उतनी संवेदनशील लड़की नहीं होगी, नहीं तो वह आपसे क्षमा जरूर माँगती। कई बार हम भीतर से ज्यादा मजबूत न हों तो अधिक चीखते-चिल्लाते हैं। मना करने का उसका तरीका गलत था।
आपने अभी जीवन जीना शुरू किया है। पहली बार बिना किसी सलाह-मशविरे के आपने एक फैसला लिया और उस पर अमल किया। वह गलत निकला इसलिए आपको ज्यादा बुरा लग रहा है। यह जीवन है यहाँ न जाने कितनी ऐसी घटनाएँ होंगी जो आपकी अपेक्षा के विपरीत होंगी। इतना हताश होने से काम नहीं चलता।
आप अपने भीतर झाँकें। आपने न तो किसी का मजाक उड़ाया है और न ही किसी का दिल तोड़ा है फिर आप क्यों परेशान होते हैं। आपने बड़ी ईमानदारी से अपनी भावना सामने रखी। वह कोई पाप नहीं है। एक अच्छे इंसान को दुख तो होता है पर शैतानों के लिए मन छोटा करना अक्लमंदी नहीं है। आप अपने दोस्तों से चाहे तो कह दें, उसे जो पसंद था उसके साथ हो ली। चलता है, वे भी हँसकर चुप हो जाएँगे। न भी कहें तो थोड़े ही दिनों में सब भूल जाएँगे। समय हर मर्ज की दवा है। आप मायूस न हों। खूब दिल लगाकर पढ़ें। समय के साथ ही बेहतर रास्ते भी बनते हैं।
हेलो दोस्तो! कोई अपना व्यवहार क्यों और कब बदल देगा इसका अंदाजा लगाना बड़ा कठिन है। हमारी दुनिया अपनी ही धुन पर चलती है। हममें से अधिकतर लोगों को जब जिस ओर बेहतरी दिखती है बस उसी के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। उस वक्त न तो किसी नैतिकता पर विचार करने की आवश्यकता महसूस होती है और न ही किसी की पीड़ा से कोई मतलब होता है। हर पल हम एक प्रकार की तुलना में ही जीते रहते हैं। जो पलड़ा जितना अपने फायदे की ओर झुका होता है हमारा फैसला भी उसी ओर हो जाता है।
समाज में ऐसे भी बहुतेरे लोग मिल जाएँगे जिन्हें जीवन के किसी एक वक्त जिन विचार, धर्म, स्त्री, पुरुष, बच्चे, भाषा, संस्कृति, रंग साहित्य आदि से नफरत थी उन्हें जीवन के दूसरे मोड़ पर उससे प्यार हो गया। तब जीने के लिए वही नफरत वाली भावना बदलनी पड़ी या कहें कि स्वार्थ के लिए हम कोई भी कदम उठा सकते हैं। किसी को नीचा दिखा सकते हैं। किसी की मासूम भावना का मजाक उड़ा सकते हैं। जिसकी भावना का तमाशा बनाया जा रहा हो उसके लिए सचमुच जीना मुहाल हो जाता है।
ऐसी ही स्थिति में पड़कर रंजन (बदला हुआ नाम) सबसे मुँह छुपाते फिर रहे हैं। दोस्तों के कमेंट ने उन्हें एकांत में ढकेल दिया है। आँसू बहाने के सिवा उनके पास कोई चारा नहीं बचा है। रंजन इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष के छात्र हैं और वह प्रथम वर्ष की एक छात्रा को बेहद पसंद करते थे। नए वर्ष के मौके पर उन्होंने एक लाल गुलाब और नया वर्ष बधाई कार्ड उसे गर्ल्स हॉस्टल भिजवा दिया। तकरीबन एक हफ्ते बाद वह लड़की उन्हें मिली और उस पर खूब चिल्लाई, बुरा-भला कहा और इल्जाम लगाया कि उसने उसे कलंकित किया है जबकि वह ऐसी-वैसी लड़की नहीं है।
रंजन को ग्लानि हुई। यहाँ तक तो कहानी सीधी थी। ऐसा अमूमन होता रहता है। पर उस वक्त रंजन हैरान रह गया जब उसी लड़की के सामने दो-तीन दिनों के भीतर ही एक और लड़के ने प्रस्ताव रखा और वह झट खुशी-खुशी मान गई। लड़की के इस दोहरे व्यवहार ने रंजन को मजाक का पात्र बना दिया। अब कॉलेज के लड़के रंजन को हर वक्त चिढ़ाते रहते हैं। वह लड़की दूसरे लड़के के साथ खूब हँसी-ठिठोली करती घूमती फिरती है। रंजन को समझ में नहीं आता कि वह यह सब कैसे भुलाए। वह उस लड़की के व्यवहार से उपजे हजार सवाल अपने मन से पूछता है पर उसे जवाब नहीं मिलता।
रंजन जी, हम सभी लोग दूसरों का व्यवहार सोच-सोचकर ही परेशान होते हैं। दूसरे ने खास प्रकार का व्यवहार क्यों किया, वह आप नहीं जान सकते। आप उस व्यक्ति की सोच को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं।
हो सकता है वह लड़की उस लड़के को पसंद करती हो। दोनों ही एक-दूसरे को पसंद करते हों पर औपचारिक रूप से ऐलान न किया हो। ऐसे में उसे अपनी एकनिष्ठा एवं पवित्रता साबित करने के लिए उसने आपका प्रस्ताव स्वीकार न किया हो। अपने प्रेमी को अपनी वफादारी जताने का यही तरीका उसे समझ में आया हो। आखिर वह भी एक छोटी लड़की ही है। दूसरी बात यह कि वह उतनी संवेदनशील लड़की नहीं होगी, नहीं तो वह आपसे क्षमा जरूर माँगती। कई बार हम भीतर से ज्यादा मजबूत न हों तो अधिक चीखते-चिल्लाते हैं। मना करने का उसका तरीका गलत था।
आपने अभी जीवन जीना शुरू किया है। पहली बार बिना किसी सलाह-मशविरे के आपने एक फैसला लिया और उस पर अमल किया। वह गलत निकला इसलिए आपको ज्यादा बुरा लग रहा है। यह जीवन है यहाँ न जाने कितनी ऐसी घटनाएँ होंगी जो आपकी अपेक्षा के विपरीत होंगी। इतना हताश होने से काम नहीं चलता।
आप अपने भीतर झाँकें। आपने न तो किसी का मजाक उड़ाया है और न ही किसी का दिल तोड़ा है फिर आप क्यों परेशान होते हैं। आपने बड़ी ईमानदारी से अपनी भावना सामने रखी। वह कोई पाप नहीं है। एक अच्छे इंसान को दुख तो होता है पर शैतानों के लिए मन छोटा करना अक्लमंदी नहीं है। आप अपने दोस्तों से चाहे तो कह दें, उसे जो पसंद था उसके साथ हो ली। चलता है, वे भी हँसकर चुप हो जाएँगे। न भी कहें तो थोड़े ही दिनों में सब भूल जाएँगे। समय हर मर्ज की दवा है। आप मायूस न हों। खूब दिल लगाकर पढ़ें। समय के साथ ही बेहतर रास्ते भी बनते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें