मंगलवार, 13 जुलाई 2010

अंक-786 इस्लाम में खास क्यों ?


सैकड़ों या उससे भी ज्यादा धर्म हैं पृथ्वी पर। हर धर्म की कुछ विशिष्टताएं या खासियतें होती है। हिन्दुओं में ऊँ, स्वास्तिक और कार्य के प्रारंभ में श्री गणेशाय नम: का विशेष महत्व माना जाता है। सिक्खों मे अरदास, गुरुवाणी, सत श्रीअकाल और पगड़ी का खास महत्व होता है। वहीं ईसाई धर्म के मानने वालों का जीजस का्रइस्ट, क्रास का चिन्ह, माता मरियम और बाइबिल आदि के प्रति बड़ा आत्मीय सम्मान होता है।
जिस तरह किसी भी नए या शुभ कार्य की शुरुआत करने से पूर्व हिन्दुओं में गणेश को पूजा जाता है, क्योंकि गणेश को विघ्नहर्ता और सद्बुद्धि का देवता माना जाता है। उसी प्रकार इस्लाम धर्म में अंक-786 को सुभ अंक या शुभ प्रतीक माना जाता है। अरब से जन्में इस्लाल धर्म में अंक-786 का बड़ा ही धार्मिक महत्व माना गया है। प्राचीन काल में अंक ज्योतिष और नक्षत्र ज्योतिष दोनों एक भविष्य विज्ञान के ही अंग थे। प्राचीन समय में अंक ज्योतिष के क्षेत्र में अरब देशों में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई थी। अरब देशों में ही इस्लाम का जन्म और प्रारंभिक संस्कारीकरण हुआ है। अंक-786 को अरबी ज्योतिष में बड़ा ही शुभकारक अंक माना गया है।
अंक ज्योतिष के अनुसार जब ७+८+६ का योग २१ आता है, तथा २+१ का योग करने पर ३ का आंकड़ा मिलता है, जो कि लगभग सभी धर्मों में अत्यंत शुभ एवं पवित्र अंक माना जाता है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश की संख्या तीन, अल्लाह, पैगम्बर और नुमाइंदे की संख्या भी तीन तथा सारी सृष्टि के मूल में समाए प्रमुख गुण- सत् रज व तम भी तीन ही हैं।

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