शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

मातृभूमि की सेवा

सेना ही आपकी मंज़िल
सेना के जवान को वर्दी पहने, हाथ में बंदूक उठाए देखकर क्या आपके मन में भी उनके जैसा बनने की इच्छा होती है, तो फिर समझ जाइए कि सशस्त्र सेना ही आपकी मंज़िल हैं।

सेना में शामिल होने का मतलब अपना जीवन मातृभूमि की सेवा में समर्पित कर देना होता है। इसमें शामिल होने के लिए मतलब प्रथम पग बढ़ाने के लिए क्या योग्यताएं चाहिए, आइए बताते हैं।

कैसे होती है भर्ती?
सेना में शामिल होने के लिए कुछ अनिवार्य शारीरिक, चिकित्सकीय और शैक्षणिक योग्यताओं को पूरा करना होता है। सेना में शामिल होने के दो रास्ते हैं। पहला एक कमीशंड अधिकारी रैंक के रूप में या उससे नीचे के पदों पर।

सशस्त्र बलों में कमीशंड अधिकारियों की भर्ती मुख्यत: संघ लोग सेवा आयोग द्वारा की जाती है। इसके लिए आयोग दो अखिल भारतीय प्रतियोगी परिक्षाएं आयोजित करता है।

1.राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) तथा नेवल अकादमी (एनए)
इनमें प्रवेश के लिए वर्ष में दो बार परीक्षा होती है। बारहवीं पास कोई भी विद्यार्थी जो निर्धारित योग्याताओं को पूरा करता हो, इस परीक्षा में शामिल हो सकता है।

2.संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (सीडीएसई) तथा नेवल अकादमी (एनए)
इसके लिए भी साल में दो बार प्रवेश परीक्षा होती है, लेकिन केवल गै्रजुएट (स्नातक) ही इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
इन परीक्षाओं में सफल उम्मीदवार नियमित ट्रेनिंग के लिए भारतीय सेना अकादमी/वायु सेना अकादमी/नौसेना अकादमी तथा शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी में प्रवेश करते हैं।

थल सेना में भर्ती
संघ लोग सेवा आयोग के अतिरिक्त सेना में निम्न तरीकों से भी कमीशंड अधिकारियों की भर्ती की जाती है-

1.विश्वविद्यालय भर्ती योजना
इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे फाइनल और प्री-फायनल के विद्यार्थी इस योजना के तहत सेना की तकनीकी शाखा में कमीशंड अधिकारी के रूप में स्थाई कमीशन के लिए आवेदन कर सकते हैं।

2. 10+२ तकनीकी योजना
ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने बारहवीं में भौतिकी, रसायन तथा गणित विषयों में कुल मिलाकर 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों, इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।

अधिकारी स्तर से नीचे कार्मिकों की भर्ती
अधिकारी स्तर से नीचे मतलब जवानों के लिए भर्ती खुली रैलियों द्वारा होती है। इसके लिए समय-समय पर समाचार पत्रों में सूचना प्रकाशित की जाती है। रैली स्थल पर उम्मीदवारों के दस्तावेजों की जांच तथा शारीरिक क्षमता की परीक्षा होती है। शारीरिक परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को मेडिकल जांच के लिए भेज दिया जाता है। चिकित्सा अधिकारी द्वारा मेडिकली फिट करार दिए जाने पर अभ्यार्थी को एक लिखित परीक्षा भी देनी पड़ती है। इसके बाद कुल परिणामों के आधार पर चयन होता है।

भारतीय वायुसेना में भर्ती

अधिकारियों का चयन
भारतीय वायुसेना में संघ लोकसेवा आयोग द्वारा प्रवेश केवल फ्लाइंग शाखा के लिए होता है। तकनीकी तथा गैर तकनीकी शाखाओं में भर्ती वायुसेना मुख्यालय द्वारा की जाती है।

वायुकर्मियों की भर्ती
नई दिल्ली स्थित केंद्रित वायुकर्मी चयन बोर्ड पूरे देश में फैले अपने 14 चयन केंद्रों की सहायता से एक केंद्रीकृत चयन प्रणाली के जरिए अखिल भारतीय स्तर पर वायुकर्र्मियों के रूप में योग्य उम्मीदवारों का चयन करता है। गैर तकनीकी शाखाओं में भर्ती के लिए विभिन्न वायुसेना स्टेशनों पर वर्ष में दो बार संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इस परीक्षा में कोई भी स्नातक पुरुष या महिला शामिल हो सकते है।

भारतीय नौसेना में भर्ती
अधिकारियों की भर्ती
नौसेना की शाखाओं में संघ लोकसेवा आयोग के अलावा कई अन्य तरीकों से भी भर्ती की जाती है। इन परीक्षाओं में सफल उम्मीदवारों की नियुक्ति स्थाई या शॉर्ट कमीशन में की जाती है।

नाविकों की भर्ती
नौसेना में नाविकों की भर्ती लिखित परीक्षा, शारीरिक क्षमता तथा मेडिकल परीक्षा की प्रक्रिया के जरिए की जाती है। नाविकों की भर्ती के लिए भी कई योजनाएं हैं।


एनसीसी (विशेष) प्रवेश योजना
एनसीसी के बारे में आप जानते ही होंगे, आपमें से कई तो अपने स्कूल में एनसीसी का हिस्सा भी होंगे। ये आपकी मदद थल और नौसेना में शामिल होने के लिए करेगा। एनसीसी में शामिल छात्रों को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में बैठना नहीं पड़ता। इनका चुनाव सीधे एसएसबी बोर्ड के साक्षात्कार तथा मेडिकल बोर्ड द्वारा किया जाता है। हां, इसके लिए भी कुछ योग्यताएं होती हैं, जो उम्मीदवार को पूरी करनी होती हैं।

तेजी से उड़ता जेट यान
आसमान में ऊंचाई पर उड़ते हुए हवाई जहाजों को देखकर तुम सोचते होगे न, कि काश उसमें बैठने को मिल जाता!! कितना तेज़ उड़ते हैं न वो. क्या तुमको पता है कि जेट यान किस सिद्धांत पर कार्य करते हैं? नहीं, तो आइए इस बार इनके बारे में हम बताते हैं। एक गुब्बारा लेकर इसे अच्छी तरह फुलाओ और इसके मुंह को (यानी जिस तरफ से हवा भरी हुई है) सावधानी से पकड़े रहो।

गुब्बारा वैसे ही फूला रहता है।
अब यदि तुम इसके मुंह वाले सिरे को छोड़ देत हो, तो गुबारा अंदर की हवा को बाहर निकालता हुआ आगे बढ़ जाता है। यद्यपि साधारण तौर पर यही है जेट का सिद्धांत, लेकिन फिर भी तुम यह तो जानना ही चाहोगे कि गुबारा आखिर आगे बढ़ता कैसे है?
जब तुम गुब्बारे को फुलाते हो, तो इसका मतलब है कि तुम इसके अंदर अत्यधिक दबाव पर काफी सारी हवा भर देते हो। यह हवा गुब्बारे की दीवारों को ढकेलने के लिए चारों ओर एक जैसा ज़ोर लगाती रहती है।

ऊपर-नीचे, इधर-उधर यानि सब तरफ ही।
जब तक तुम गुब्बारे का मुंह बंद रखते हो, इसकी दीवारों पर पड़ने वाला दबाव सब ओर एक जैसा ही होता है-बिल्कुल बराबर-बराबर इसलिए गुबारा एक जगह स्थिर रुका रहता है।
पर जैसे ही तुम इसका मुंह छोड़ते हो, गुब्बारे के इस ओर दबाव डालने वाली हवा को बाहर निकल भागने का मौका मिल जाता है।

मुंह खुल जाने से इस ओर हवा का दबाव खत्म हो जाता है जबकि इसके दूसरी ओर वैसा ही बना रहता है। इसी दबाव के कारण गुब्बारा दूसरी ओर भागने लगता है। यह तब तक भागता रहता है, जब तक कि इसके अंदर की सारी हवा निकलकर इसे ढकेलना बंद नहीं कर देती। ठीक इसी सिद्धांत पर आधुनिक जेट यान भी काम करते हैं।

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