-अरुण कुमार बंछोर
देवी अहिल्या की नगरी इंदौर का नाम देश के चुनिंदा 18 पर्यटन स्थलों में शुमार हो गया है। शहरवासियों के लिए यह खुश-खबर अवश्य है, लेकिन नगर को सँवारने वाली संस्थाओं पर जवाबदारी और बढ़ गई है। इंदौर को प्रारंभिक विकास के दौर में जिन कपड़ा उद्योगों व हस्तशिल्प ने पहचान दिलाई थी, आज भी उसी हस्तशिल्प ने इस शहर को पर्यटन स्थलों में शुमार होने का गौरव दिलाया है।
चुनिंदा पर्यटन स्थलों की फेहरिस्त केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने जारी की है। इन शहरों की सूची में इंदौर का नाम आगरा, अहमदाबाद, भुवनेश्वर, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, गोआ, दार्जीलिंग, गुवाहाटी, जयपुर, कोचीन, मैसूर, श्रीनगर, उदयपुर, पटना, पांडिचेरी और वाराणसी के साथ शामिल किया गया है। ये शहर हस्तकला वस्तुओं की बिक्री के केंद्र हैं। पर्यटक इन स्थानों पर घूमने के साथ-साथ लुभावने व कलात्मक हस्तशिल्प की वस्तुओं को खरीदने के लिए भी बेताब रहते हैं। इन वस्तुओं पर की जाने वाली सूक्ष्म कारीगरी पर्यटकों का मुख्य आकर्षण होती है।
इंदौर में होलकर रियासत की पहचान बनीं महेश्वरी साड़ियाँ पूरी दुनिया में इस क्षेत्र की याद दिलाती हैं। महेश्वर देवी अहिल्याबाई के जमाने से श्रेष्ठ बुनकरों का स्थान रहा है। शिल्प क्षेत्र के साथ आधुनिक वस्त्र व्यवसाय में भी इंदौर की ख्याति दूर-दूर तक है। शिल्प के पाँच चुनिंदा विषयों में सुई कार्य, जनजातीय कार्य, फायबर, पर्यावरण के अनुकूल (आर्गेनिक) शिल्प, उत्सव के सजावटी उत्पाद शामिल हैं।
पर्यटकों को बताया गया है कि इंदौर शहर सरस्वती और खान नदियों के किनारे बसा शहर है। इन नदियों की दशा किसी से छिपी नहीं है। पर्यटन स्थल के रूप में शहर की पहचान को बनाए रखने के लिए नालों में तब्दील इन नदियों को पुनः नदियों में बदलना होगा। शहर को स्वच्छ और सुंदर, हरा-भरा बनाना होगा। शहर को सँवारने का दायित्व जिन संस्थाओं पर है उनके लिए यह चुनौती होगी।
देवी अहिल्या की नगरी इंदौर का नाम देश के चुनिंदा 18 पर्यटन स्थलों में शुमार हो गया है। शहरवासियों के लिए यह खुश-खबर अवश्य है, लेकिन नगर को सँवारने वाली संस्थाओं पर जवाबदारी और बढ़ गई है। इंदौर को प्रारंभिक विकास के दौर में जिन कपड़ा उद्योगों व हस्तशिल्प ने पहचान दिलाई थी, आज भी उसी हस्तशिल्प ने इस शहर को पर्यटन स्थलों में शुमार होने का गौरव दिलाया है।
चुनिंदा पर्यटन स्थलों की फेहरिस्त केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने जारी की है। इन शहरों की सूची में इंदौर का नाम आगरा, अहमदाबाद, भुवनेश्वर, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, गोआ, दार्जीलिंग, गुवाहाटी, जयपुर, कोचीन, मैसूर, श्रीनगर, उदयपुर, पटना, पांडिचेरी और वाराणसी के साथ शामिल किया गया है। ये शहर हस्तकला वस्तुओं की बिक्री के केंद्र हैं। पर्यटक इन स्थानों पर घूमने के साथ-साथ लुभावने व कलात्मक हस्तशिल्प की वस्तुओं को खरीदने के लिए भी बेताब रहते हैं। इन वस्तुओं पर की जाने वाली सूक्ष्म कारीगरी पर्यटकों का मुख्य आकर्षण होती है।
इंदौर में होलकर रियासत की पहचान बनीं महेश्वरी साड़ियाँ पूरी दुनिया में इस क्षेत्र की याद दिलाती हैं। महेश्वर देवी अहिल्याबाई के जमाने से श्रेष्ठ बुनकरों का स्थान रहा है। शिल्प क्षेत्र के साथ आधुनिक वस्त्र व्यवसाय में भी इंदौर की ख्याति दूर-दूर तक है। शिल्प के पाँच चुनिंदा विषयों में सुई कार्य, जनजातीय कार्य, फायबर, पर्यावरण के अनुकूल (आर्गेनिक) शिल्प, उत्सव के सजावटी उत्पाद शामिल हैं।
पर्यटकों को बताया गया है कि इंदौर शहर सरस्वती और खान नदियों के किनारे बसा शहर है। इन नदियों की दशा किसी से छिपी नहीं है। पर्यटन स्थल के रूप में शहर की पहचान को बनाए रखने के लिए नालों में तब्दील इन नदियों को पुनः नदियों में बदलना होगा। शहर को स्वच्छ और सुंदर, हरा-भरा बनाना होगा। शहर को सँवारने का दायित्व जिन संस्थाओं पर है उनके लिए यह चुनौती होगी।
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जवाब देंहटाएंआभार जानकारी का.
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