बुधवार, 11 अगस्त 2010

गहनों में खास क्या?

महिलाओं को गहनों से इतना प्रेम क्यों
गहने, आभूषण, ज्वेलरी या अलंकार......जैसे कितने ही नाम हैं, उन साधनों के जो स्त्रियों के सौन्दर्य को हजारों गुना बढ़ा देते हैं। यदि हम अतीत में झांक कर देखें तो गहनों के प्रयोग की परंपरा उतनी ही पुरानी है, जितनी कि इंसानी सभ्यता। गहनों का प्रयोग भारतीय संस्कृति में, बनिस्बत ओरों के कुछ ज्यादा ही हुआ है।

किन्तु आश्चर्य इस बात का है कि जो भारतीय वैदिक संस्कृति आध्यात्मिक रूप में पूरी दुनिया में विख्यात है, उसमें शारीरिक सौन्दर्य को इतना महत्व क्यों दिया गया? आत्मा का सौन्दर्य यानि कि अन्दर की खूबसूरती को अधिक तवज्जो देने वाली भारतीय संस्कृति गहनों के रूप मे बाहरी सौन्दर्य को इतना महत्व क्यों देती है? जब इस विषय में गहराई से वैज्ञानिक रिसर्च किया गया तो बहुत आश्वर्यजनक और चमत्कारी नतीजे सामने आए। नतीजों को जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि गहनों के प्रयोग का मुख्य कारण सुन्दरता नहीं बल्कि आध्यात्मिक विकास है। बहुमूल्य धातुओं से बने गहने या आभूषण किस तरह इंसान के ओवर आल व्यक्तित्व को आकर्षक और प्रभावी बनाते हैं, आइये जाने.....

- स्वर्ण आदि धातुओं में वायुमण्डल में व्याप्त ऊर्जा कणों को आकर्षित करने की विशेष क्षमता होती है।
- ब्रह्माण्ड के अन्य ग्रह-नक्षत्रों से आने वाले हानिकारक विकिरणों यानि कि हार्मफुल वेव्स से बचाव करने में गहनों में उपयोग की गई धातुओं की विशेष भूमिका होती है।
- व्यक्तित्व के विकास में इन गहनों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- नजर दोष, ऊपरी हवा और प्रेत आत्माओं के बुरे असर को दूर रखने में भी गहनों का अहम रोल होता