रविवार, 8 अगस्त 2010

सिर पर चोटी यानि कमाल का एंटिना


एक सुप्रीप साइंस जो इंसान के लिये सुविधाएं जुटाने का ही नहीं, बल्कि उसे शक्तिमान बनाने का कार्य करता है। ऐसा परम विज्ञान जो व्यक्ति को प्रकृति के ऊपर नियंत्रण करना सिखाता है। ऐसा विज्ञान जो प्रकृति को अपने अधीन बनाकर मनचाहा प्रयोग ले सकता है। इस अद्भुत विज्ञान की प्रयोगशाला भी बड़ी विलक्षण होती है। एक से बढ़कर एक आधुनिकतम मशीनों से सम्पंन प्रयोगशालाएं दुनिया में बहुतेरी हैं, किन्तु ऐसी सायद ही कोई हो जिसमें कोई यंत्र ही नहीं यहां तक कि खुद प्रयोगशाला भी आंखों से नजर नहीं आती। इसके अदृश्य होने का कारण है- इसका निराकार स्वरूप। असल में यह प्रयोगशाला इंसान के मन-मस्तिष्क में अंदर होती है।
सुप्रीम सांइस- विश्व की प्राचीनतम संस्कृति जो कि वैदिक संस्कृति के नाम से विश्य विख्यात है। अध्यात्म के परम विज्ञान पर टिकी यह विश्व की दुर्लभ संस्कृति है। इसी की एक महत्वपूर्ण मान्यता के तहत परम्परा है कि प्रत्येक स्त्री तथा पुरुष को अपने सिर पर चोंटी यानि कि बालों का समूह अनिवार्य रूप से रखना चाहिये।
सिर पर चोंटी रखने की परंपरा को इतना अधिक महत्वपूर्ण माना गया है कि , इस कार्य को हिन्दुत्व की पहचान तक माना लिया गया। योग और अध्यात्म को सुप्रीम सांइस मानकर जब आधुनिक प्रयोगशालाओं में रिसर्च किया गया तो, चोंटी के विषय में बड़े ही महत्वपूर्ण ओर रौचक वैज्ञानिक तथ्य सामने आए।
चमत्कारी रिसीवर- असल में जिस स्थान पर शिखा यानि कि चोंटी रखने की परंपरा है, वहा पर सिर के बीचों-बीच सुषुम्ना नाड़ी का स्थान होता है। तथा शरीर विज्ञान यह सिद्ध कर चुका है कि सुषुम्रा नाड़ी इंसान के हर तरह के विकास में बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चोटी सुषुम्रा नाड़ी को हानिकारक प्रभावों से तो बचाती ही है, साथ में ब्रह्माण्ड से आने वाले सकारात्मक तथा आध्यात्मिक विचारों को केच यानि कि ग्रहण भी करती है।

पांच दिव्य तीर्थ हैं, आपकी हथेलियों पर
तीर्थ यानि कि ऐसा चमत्कारी और दुर्लभ स्थान जहां धर्म और अध्यात्म का दिव्य वातावरण हो। वो स्थान जहां पहुंचकर किसी भी व्यक्ति क ी शारीरिक और मानसिक बीमारियां समाप्त हो जाएं। आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन काल में तीर्थ यात्रा करना बड़ा ही पुण्य और महत्व का कार्य बताया गया है। तीर्थ को अत्यंत महत्वपूर्ण और फायदेमंद बताने के पीछे सिर्फ आस्था और श्रृद्धा का ही कारण नहीं है, बल्कि, पूर्णत: वैज्ञानिक और तथ्यात्मक आधार भी हैं।

बहुत प्राचीन दुर्लभ और आध्यात्मिक पुस्तकों में इंसान की हथेलियों के अलग-अलग स्थानों पर तीर्थ होने का उल्लेख किया गया है। आइये देखें कि हाथ के किस स्थान पर कौनसा तीर्थ होता है:-
अग्रितीर्थ- व्यक्ति के दाहिने हाथ की हथेली का मध्यभाग ही अग्रि तीर्थ है।
ब्रह्मतीर्थ- इंसान के अंगूठे का मूल भाग ब्रह्मतीर्थ है।
देवतीर्थ- मनुष्य की उंगलियों का अग्रभाग ही देवतीर्थ है।
कायतीर्थ- व्यक्ति की कनिष्ठा अंगुली का मूल भाग ही कायतीर्थ माना गया है।
पितृतीर्थ- इंसान की तर्जनी अंगुली का मूलभाग ही पितृतीर्थ है।

खुशहाल जीवन के आसान नुस्खे

सुखी व शांतिमय जीवन हर इंसान चाहता हैं और इसी के लिए वह दिन रात मेहनत करता है। कई बार अनेक प्रयासों के बाद भी अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते हैं। यदि आपके साथ भी यही समस्या है तो आप नीचे लिखे टोटकों को अपनाकर अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
- सुबह घर से काम के लिए निकलने से पहले नियमित रूप से गाय को रोटी दें।
- एक पात्र में जल लेकर उसमें कुंकुम डालकर बरगद के वृक्ष पर नियमित रूप से चढ़ाएं।
- सुबह घर से निकलने से पहले घर के सभी सदस्य अपने माथे पर चन्दन तिलक लगाएं।
- शुद्ध कस्तूरी को चमकीले पीले कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रखें। इन टोटकों को पूर्णश्रद्धा के साथ करने से जीवन में समृद्धी व खुशहाली आने लगती है।

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