ईस्लाम धर्म का रमजान महिना बहुत पवित्र माना जाता है। इस्लामी मान्यताओं में रमजान के पवित्र महीने के दौरान ही अल्लाह के पवित्र संदेश देवदूत जिब्राइल के माध्यम से पैगम्बर मुहम्मद को प्राप्त हुए, जो कुरान के रूप में लिखे गए। इसी की याद में पूरी दुनिया में रमजान माह खास त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
इस पूरे माह इस्लाम धर्म परंपराओं में आस्था रखने वाला हर जन पूरी तरह से भोजन और सुख-सुविधाओं से दूर होकर अल्लाह को समर्पित हो जाते है। यह भी माना जाता है कि इस महीने में जन्नत यानि स्वर्ग के द्वार खुले होते है और जहन्नुम अर्थात् नरक के द्वार बंद रहते हैं।
रमजान मुसलमानों के लिए मात्र धार्मिक प्रथा ही नहीं बल्कि अच्छा जीवन जीने के सूत्र देता है। इस माह में रोजा रखना संयम, आत्म-अनुशासन और सहनशीलता की सीख देता है, जो जीवन के लिए बहुत महत्व रखते है। मुसलमानों के लिए यह माह अल्ल्लाह से निकटता का एक मौका माना जाता है। क्योंकि इस्लाम का दर्शन है कि अल्लाह को वह शख्स ही प्यारा है, जो नेक होता है। इस माह में पैगंबर की तरह इंसानियत की रक्षा के लिए पवित्र आचरण और व्यवहार करने वाले ही अल्लाह की रहमत का हकदार बनते हैं।
इस माह की पावन और नेक संदेश से भरे होने के कारण ही इस माह में मुसलमान के साथ अन्य धर्म के लोग भी इस्लाम धर्म की पंरपराओं में शामिल होते हैं। इस माह में नमाज, इबादत, रोजा रखकर हर कोई अल्लाह से रहमत और बरकत की कामना करता है। ताकि तमाम परेशानियों और तकलीफों से बचकर खुशहाल जीवन जी सके।
इस पूरे माह इस्लाम धर्म परंपराओं में आस्था रखने वाला हर जन पूरी तरह से भोजन और सुख-सुविधाओं से दूर होकर अल्लाह को समर्पित हो जाते है। यह भी माना जाता है कि इस महीने में जन्नत यानि स्वर्ग के द्वार खुले होते है और जहन्नुम अर्थात् नरक के द्वार बंद रहते हैं।
रमजान मुसलमानों के लिए मात्र धार्मिक प्रथा ही नहीं बल्कि अच्छा जीवन जीने के सूत्र देता है। इस माह में रोजा रखना संयम, आत्म-अनुशासन और सहनशीलता की सीख देता है, जो जीवन के लिए बहुत महत्व रखते है। मुसलमानों के लिए यह माह अल्ल्लाह से निकटता का एक मौका माना जाता है। क्योंकि इस्लाम का दर्शन है कि अल्लाह को वह शख्स ही प्यारा है, जो नेक होता है। इस माह में पैगंबर की तरह इंसानियत की रक्षा के लिए पवित्र आचरण और व्यवहार करने वाले ही अल्लाह की रहमत का हकदार बनते हैं।
इस माह की पावन और नेक संदेश से भरे होने के कारण ही इस माह में मुसलमान के साथ अन्य धर्म के लोग भी इस्लाम धर्म की पंरपराओं में शामिल होते हैं। इस माह में नमाज, इबादत, रोजा रखकर हर कोई अल्लाह से रहमत और बरकत की कामना करता है। ताकि तमाम परेशानियों और तकलीफों से बचकर खुशहाल जीवन जी सके।