गुरुवार, 16 सितंबर 2010

ऐसा प्यार और कहाँ?


ध्वनि और प्रकाश की कहानी हीर-रांझा, सोहनी-महिवाल से कम नहीं। जिसे पढ़ने और सुनने के बाद मुँह से केवल एक ही बात निकलती है। आह! इसे कहते हैं प्यार, जिसे अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता, सिर्फ महसूस किया जा सकता है।

ध्वनि और प्रकाश दोनों एक ही काम्प्लेक्स में हाल ही में रहने आए हैं। इस बिल्डिंग को बने ज्यादा समय नहीं हुआ। ध्वनि जहाँ सुंदर दिखती है, वहीं प्रकाश भी स्मार्ट और हैंडसम है। निगाहों-निगाहों से उतरे दोनों एक-दूसरे के दिल में। लिफ्ट में जब पहली बार दोनों अकेले मिले। तो जान-पहचान के हिसाब से प्रकाश ने ध्वनि से हलो किया और खुद का नाम बताते हुए ध्वनि से नाम पूछ लिया। ध्वनि ने रिएक्ट ऐसे किया जैसे उनके अलावा और भी कोई लिफ्ट में हो। मी? आई एम ध्वनि।
ऐसे ही कभी कभार टकराने पर दोनों कुछेक जुमले छोड़ दिया करते थे। पहले कहाँ रहते थे या आप क्या करते हैं। वगैरह-वगैरह। उसके बाद दोनों के फ्रेंड सर्कल के जरिये दोनों में संपर्क बढ़ा। अन्य फ्लैट्‍स के दोस्त और ध्वनि की फ्रेंड्‍स के जरिये आगे की जानकारी दोनों तक पहुँच जाती थी। आग दोनों तरफ लगी हुई। चोरी-छिपे मिलना, फोन पर बात करना शुरू हुआ।
साल-दो साल की इन मुलाकातों के बाद ध्वनि ने एक दिन प्रकाश को बताया कि उसके दिल में छेद है। पहले तो प्रकाश का दिल धक करके रह गया। एक क्षण तो लगा जैसे ऐसी गंभीर बीमारी उसे खुद ही हो। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ज्यादा ठीक न होने के कारण उसका ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है। यदि तुम चाहो तो अपना जीवनसाथी कोई दूसरा चुन सकते हो। मैं तुम्हें यह बात पहले भी बताना चाहती थी लेकिन पता नहीं समय कब निकलता गया और आज हमें मिले 2 साल होने को आए। लेकिन अभी भी कुछ देर नहीं हुई है।
सोच-विचार करने के बाद प्रकाश ध्वनि की मेडिकल रिपोर्ट लेकर चेन्नईClick here to see more news from this city के हॉस्पिटल गया और इलाज के खर्च के बारे में पता लगा जिसमें लगभग ढाई से तीन लाख रुपए खर्च आना था। प्रकाश ने अपनी सैलेरी से सारे खर्च बंद करके पैसा जोड़ना शुरू किया। यहाँ तक कि घंटों ध्वनि से फोन पर बात करना बंद कर दिया। क्योंकि उसे फोन लगाने के लिए एसटीडी का ही उपयोग करना पड़ता था और उसका बिल महीने भर का लगभग दो-ढाई हजार आता था। कभी-कभार ही थोड़े समय के लिए फोन लगाता। अब उसके जीवन में रुपयों की अहमियत काफी बढ़ गई थी।
लगभग 2 साल में उसने डेढ़ लाख रुपया जोड़ लिया। प्रकाश और ध्वनि के दोस्तों ने भी उसकी आर्थिक मदद की। अपने माता-पिता को जैसे-तैसे राजी कर वह सवा लाख रुपया लेने में सफल हो गया। अंतरजातीय होने के कारण लड़की के माता-पिता बिल्कुल भी दोनों की शादी के पक्ष में नहीं थे। इसलिए दोनों ने चुपचाप चेन्नई जाकर इलाज करवाया और फोन पर ध्वनि के माता-पिता को इसकी जानकारी दी।
जीवन में कभी उन लोगों पर भरोसा मत करो, समय बदलने के साथ जिनकी भावनाएँ भी बदल जाती हैं बल्कि उन लोगों पर भरोसा करो जिनकी भावनाएँ समय बदलने के साथ नहीं बदलती। जैसा प्रका‍श ने किया ध्वनि की बीमारी पता लगने के बाद भी उसकी चाहत में कोई कमी नहीं आई।
दोनों के साथ होने की खबर लगते ही ध्वनि के माता-पिता नाराज हुए और प्रकाश के घर उसके माता-पिता से लड़ने पहुँच गए कि कैसे तुम्हारा बेटा हमारी बेटी को लेकर चला गया और पुलिस में जाकर रिपोर्ट लिखाने की बात करने लगे। लेकिन कुछ घंटों के बाद प्रकाश के माता-पिता ध्वनि के घर गए और उनसे विनम्रता पूर्वक बोले 'आप ही नहीं दोनों की शादी के हम भी खिलाफ थे। परंतु जब प्रकाश ने हमें सारी बात बताई कि दोनों एक-दूसरे को प्यार करते हैं और इलाज के बाद शादी भी करने को तैयार हैं तो आखिर मुझे भी हार माननी पड़ी और शादी के लिए राजी होना पड़ा और जब वह इतना प‍रेशान हो ही रहा है आपकी बेटी के इलाज के लिए तो मेरा आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि आप भी इतनी सी बात मान लें।
प्रकाश ने कभी पैसे का इतना महत्व नहीं समझा जितना पिछले 2 सालों में उसे समझ में आया है। मैंने तो हकीकत में इतना प्रेम पहली बार ही देखा है। सोचने का समय माँगकर उस समय भी ध्वनि के माता-पिता बात को टाल गए और दो दिन बाद जब प्रकाश और ध्वनि चेन्नई से लौटे तो प्रकाश से मिलने के बाद उन्होंने भी शादी के लिए हाँ कर दी। दोनों ने बड़ी धूमधाम से शादी रचाकर अन्य प्रेमी युगलों के लिए मिसाल पेश की। आज भी दोनों अपनी गृहस्थी भलीभाँति चला रहे हैं।
जीवन में कभी उन लोगों पर भरोसा मत करो, समय बदलने के साथ जिनकी भावनाएँ भी बदल जाती हैं बल्कि उन लोगों पर भरोसा करो जिनकी भावनाएँ समय बदलने के साथ नहीं बदलती। जैसा प्रका‍श ने किया ध्वनि की बीमारी पता लगने के बाद भी उसकी चाहत में कोई कमी नहीं आई।