जब भी कोई नया मकान बनवाता है, खरीदता है तो उसमें कलश जरूर रखा जाता है। यह कलश कभी दूध, शहद, धान या फिर पानी से भरा हो सकता है लेकिन हर कोई नए मकान में कलश रखना नही भूलता।
आखिर कलश रखने से क्या होता है? क्या यह कोई टोटका है या केवल एक परंपरा? कलश रखने से होता क्या है? ऐसे कई सवाल कई बार हमारे दिमाग में कौंधते हैं।
वास्तव में कलश हमारी परंपरा का एक अंग तो है ही लेकिन इसके साथ ही इसमें वास्तु का प्रभाव भी है। कलश रखने से वास्तु दोष में कमी आती है। इसमें भरी जाने वाली पवित्र वस्तुओं से उस घर में सकारात्मक ऊर्जा का जमाव होता है और नकारात्मक ऊर्जा बाहर जाती है।
कलश की आकृति के कारण सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और उसके साथ रखी जाने वाली सारी सामग्री जैसे दूध, पानी, शहद या धान अपने प्रभाव से उस सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करता है।
इससे उस मकान, कार्यालय या दुकान में हमेशा अच्दा वातावरण रहता है। वहां निवास करने वालों को कोई आर्थिक, मानसिक, पारिवारिक या शारीरिक परेशानी नहीं होती है।
आखिर कलश रखने से क्या होता है? क्या यह कोई टोटका है या केवल एक परंपरा? कलश रखने से होता क्या है? ऐसे कई सवाल कई बार हमारे दिमाग में कौंधते हैं।
वास्तव में कलश हमारी परंपरा का एक अंग तो है ही लेकिन इसके साथ ही इसमें वास्तु का प्रभाव भी है। कलश रखने से वास्तु दोष में कमी आती है। इसमें भरी जाने वाली पवित्र वस्तुओं से उस घर में सकारात्मक ऊर्जा का जमाव होता है और नकारात्मक ऊर्जा बाहर जाती है।
कलश की आकृति के कारण सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और उसके साथ रखी जाने वाली सारी सामग्री जैसे दूध, पानी, शहद या धान अपने प्रभाव से उस सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करता है।
इससे उस मकान, कार्यालय या दुकान में हमेशा अच्दा वातावरण रहता है। वहां निवास करने वालों को कोई आर्थिक, मानसिक, पारिवारिक या शारीरिक परेशानी नहीं होती है।