शनिवार, 18 दिसंबर 2010

ना कहना सीखें

नीता का आज पूरे दिन का शेड्यूल पैक था। पहले बेटे को हॉबी क्लास छोड़ना था..., फिर पड़ोसन मिसेस मेहता के इसरार पर उनके साथ शॉपिंग का वादा था.. फिर बेटी को डांस क्लास के लिए ड्रेस दिलवाने जाना था और उसके बाद अपनी सहेली अलका के बेटे के जन्मदिन के लिए केक बनाने का वादा पूरा करना था।
वह अच्छी तरह जानती थी कि इन सब कामों के बाद वह बुरी तरह थक भी जाएगी और उसके खुद के कुछ जरूरी काम अधूरे रह जाएँगे, लेकिन क्या करे...वह किसी को भी ना नहीं कह सकती थी।

अपने अनुसार चलने वाले ज्यादा खुश
दूसरे लोग हमें पसंद करें, हमारी तारीफ करें इसकी कई व्यक्तियों में इतनी ज्यादा इच्छा होती है कि अपनी इच्छाओं और जरूरतों को दरकिनार कर वे दूसरे को खुश करने में लगे रहते हैं। नतीजा वह अपने कामों को सही तरीके से नहीं कर पाते। अध्ययन बताते हैं कि जब सच में हमें किसी से न कहना हो तो उस समय हाँ कहना अच्छी बात नहीं होती।
'द 100 सिंपल सीक्रेट ऑफ हैप्पी पीपल' डेविड नीवेन (पीएचडी) प्लोरिडा एटलांटिक यूनिवर्सिटी के मनोविद द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग अपने अनुसार अपने निर्णय लेते हैं वे दूसरों की इच्छानुसार चलने वाले लोगों की तुलना में 3 गुना ज्यादा खुश रहते हैं।
नहीं बनें 'यस' वुमन
आमतौर पर महिलाओं का मानना होता है कि यदि वे दूसरों की खुशी का ध्यान नहीं रखेंगी तो वह आत्मकेंद्रित हो सकती हैं। इससे उनके आस-पास कोई सहयोगी नहीं होगा। यह सोच गलत भी हो सकती है क्योंकि अपनी कीमत पर दूसरों को खुश करने की कोशिश में जरूरी नहीं कि वे उनसे खुश हों। इस तरह हमेशा घर या कार्य स्थल पर यस वुमन बने रहना ठीक नहीं है।
NDआत्मविश्वास की कमी है हर वक्त हाँ
अध्ययन बता रहे हैं दूसरों को खुश रखने वाले लोग एक अजीब किस्म की मानसिकता से ग्रस्त होते हैं ऐसे लोग अकसर हीन भावना से ग्रस्त होते हैं और उनमें आत्मविश्वास की भी कमी होती है। वे अपने को मूल रूप से उपेक्षित और अयोग्य समझते हैं। इस कारण उन्हें अपने को साबित करने के लिए इस प्रकार के अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता पड़ती है।
यही वजह है कि ऐसे लोग अपने समय और ऊर्जा की परवाह किए बिना दूसरों को खुश करने के निरंतर प्रयास में लगे रहते हैं। यदि कोई थोड़े समय के लिए उनसे नाखुश हो जाए तो इसको लेकर वे काफी परेशान हो जाते हैं। इन तमाम वजहों से वे लोग उन कामों को भी करते हैं जिन्हें वे करना नहीं चाहते।
महिलाएँ ज्यादा परवाह करती हैं
महिलाओं के लिए 'न' शब्द कहना काफी कठिन होता है। इसके विपरीत पुरुषों को देखा जाए तो वे दूसरे लोग क्या सोचते या कहते हैं इसकी परवाह कम करते हैं। कोई उन्हें पसंद करता है या नहीं इसकी तो वे कभी परवाह नहीं करते। इसका मतलब यह भी नहीं कि कोई किसी की परवाह न करे या दूसरे के विषय में सोचना छोड़ दे, लेकिन ध्यान रखें यह एक बोझ की तरह न हो।

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